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सूडान को ‘दुस्वप्न’ से निकालने के लिए, वैश्विक समुदाय से ठोस क़दम उठाने की पुकार

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि आपात हालात का स्तर स्तब्धकारी है और हिंसक टकराव को रोकने के लिए पर्याप्त क़दम नहीं उठाए जा रहे हैं.

सूडान में परस्पर विरोधी सैन्य बलों के बीच हिंसक टकराव में अब तक 20 हज़ार से अधिक लोगों की जान गई है, और विश्व में सबसे बड़ा आन्तरिक विस्थापन संकट उपजा है. देश की सीमाओं के भीतर एक करोड़ से अधिक विस्थापन का शिकार हुए हैं, जबकि 20 लाख लोगों ने पड़ोसी देशों में शरण ली है. 

अप्रैल 2023 के बाद से अब तक, सूडान में आम लोग सशस्त्र बलों और अर्द्धसैनिक बल (RSF) के बीच बड़े पैमाने पर घातक टकराव की आँच झेल रहे हैं.

500 दिनों से जारी लड़ाई में मृतक आँकड़ा निरन्तर बढ़ता जा रहा है और आन्तरिक विस्थापितों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है.

वहीं, विनाशकारी बाढ़ की वजह से अहम बुनियादी ढाँचे को नुक़सान पहुँचा है, हैज़ा व मलेरिया समेत अन्य बीमारियों का प्रकोप है, और हिंसक टकराव सम्बन्धी यौन हिंसा के मामले सामने आए हैं.

मौजूदा आपात हालात और मानवीय सहायता मार्ग में अवरोधों के कारण कुछ हिस्सों में अकाल जैसी परिस्थितियाँ हैं. यूएन एजेंसी प्रमुख ने सूडान में अपने दो-दिवसीय यात्रा के समापन पर पत्रकारों को जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि ढाई करोड़ से अधिक लोग, यानि देश की आबादी का 50 फ़ीसदी से अधिक, ऊँचे स्तर पर अचानक खाद्य असुरक्षा से पीड़ित है. देश में 70-80 प्रतिश स्वास्थ्य केन्द्र अपनी पूर्ण क्षमता के साथ काम नहीं कर पा रहे हैं.

इन चुनौतियों के बावजूद, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी अपने साझेदार संगठनों के साथ मिलकर मानवतावादी अभियान के लिए प्रयासरत है.

डॉक्टर टैड्रॉस ने क्षोभ जताया कि ऐसा प्रतीत होता है कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने सूडान को भुला दिया है और देश को छिन्न-भिन्न कर रहे हिंसक टकराव पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है. इसके क्षेत्र के लिए व्यापक नतीजे हो सकते हैं.

‘शान्ति, सर्वोत्तम औषधि’

महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि हिंसक टकराव के कारण सूडान में फ़िलहाल ढाई करोड़ लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है.

इनमें से क़रीब डेढ़ करोड़ लोगों को तत्काल जीवनरक्षक सहायता पहुँचाने के लिए मानवतावादी संगठनों ने 2.7 अरब डॉलर की अपील की है, मगर आधी से कम रक़म का ही प्रबन्ध हो पाया है.

इस पृष्ठभूमि में उन्होंने ज़िन्दगियों की रक्षा के लिए अनेक क़दम उठाए जाने की अपील की है: स्वास्थ्य केन्द्रों, स्वास्थ्यकर्मियों और मरीज़ों की रक्षा; मानवीय सहायता व आपूर्ति के लिए सतत मार्ग की सुलभता; बीमारियों की निरन्तर निगरानी के लिए व्यवस्था और टीकाकरण कवरेज.

उन्होंने आग्रह किया कि सूडान को इस दुस्वप्न से निकालने के लिए विश्व समुदाय को नीन्द से जागना होगा, और तत्काल युद्धविराम व स्थाई राजनैतिक समाधान की तलाश करनी होगी.

“सर्वोत्तम औषधि, शान्ति ही है.”

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