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सूडान: अल फ़शर की घेराबन्दी का अन्त करने की मांग, सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पारित

ब्रिटेन की ओर से लाए गए इस प्रस्ताव के पक्ष में 14 वोट डाले गए और विरोध में मतदान नहीं हुआ. रूस ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.

सूडान में पिछले वर्ष अप्रैल महीने से परस्पर विरोधी सैन्य बलों, सशस्त्र सेना और अर्द्धसैनिक बल (RSF) के बीच हिंसक टकराव जारी है, जिससे देश में एक विशाल मानवीय संकट उपजा है.

गुरूवार को पारित हुए इस प्रस्ताव में नॉर्थ दारफ़ूर प्रान्त की राजधानी अल-फ़शर में लड़ाई में और तेज़ी आने की आशंका पर गहरी चिन्ता व्यक्त की गई है. नॉर्थ दारफ़ूर में अल-फ़शर ही एक शहर है जोकि अर्द्धसैनिक बल, RSF के नियंत्रण में नहीं है.

हाल के महीनों में अल-फ़शर शहर पर नियंत्रण के लिए दोनों पक्षों में लड़ाई तेज़ हुई है.

ब्रिटेन की राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने बताया कि इस प्रस्ताव के ज़रिये स्पष्ट सन्देश दिया गया है कि अल फ़शर में हमला उन 15 लाख लोगों के लिए विनाशकारी होगा, जिन्होंने शहर में शरण ली हुई है. 

“हमने इस प्रस्ताव को पेश किया है ताकि अल फ़शर के इर्दगिर्द स्थानीयकृत युद्धविराम हासिल हो सके और वृहद पैमाने पर ऐसी परिस्थितियों का निर्माण हो, जिससे देश भर में टकराव में कमी लाने में समर्थन मिले और अन्तत: ज़िन्दगियों की रक्षा हो.”

सूडान युद्ध में अब तक 15 हज़ार से अधिक लोगों की जान गई है और लड़ाई के कारण 88 लाख से अधिक लोग अपना घर छोड़कर जाने के लिए मजबूर हुए हैं. 

1.8 करोड़ लोग पिछले कुछ समय में खाद्य असुरक्षा का शिकार हुए हैं, जिनमें से लगभग 50 लाख लोग आपात स्तर पर भूख से जूझ रहे हैं. 

ब्रिटेन की राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने सूडान संकट के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की बैठक को सम्बोधित किया.

ब्रिटेन की राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने सूडान संकट के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की बैठक को सम्बोधित किया.

आम नागरिकों की रक्षा

प्रस्ताव में मांग की गई है कि परस्पर विरोधी सैन्य बलों को आम नागरिकों का संरक्षण सुनिश्चित करना होगा, जिसमें लोगों की इच्छानुसार अल फ़शर में प्रवेश करने और बाहर जाने की अनुमति भी है.

इसके अलावा, युद्धरत पक्षों से मांग की गई है कि ज़रूरतमन्द आबादी तक त्वरित, सुरक्षित और बिना किसी अवरोध के मानवीय राहत सुनिश्चित की जानी होगी. इसके लिए लालफ़ीताशाही व अन्य बाधाओं को हटाना होगा.  

ब्रिटेन की राजदूत के अनुसार, सूडान में हताशा भरे हालात हैं और विशाल स्तर पर मानवीय आवश्यकताएँ उपजी हैं.

बारबरा वुडवर्ड ने कहा कि इस प्रस्ताव में सूडानी प्रशासन से यूएन एजेंसियों के साथ सहयोग बढ़ाने पर बल दिया गया है, और चाड से लगी आद्रे सीमा को खोला जाना होगा, ताकि मानवीय सहायता के स्तर को बढ़ाया जा सके.

“इस सिलसिले में, यह प्रस्ताव अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से अपना समर्थन बढ़ाने और मौजूदा संकल्पों को पूरा करने का आग्रह करता है.”

एक ठोस संकेत

प्रस्ताव में यूएन महासचिव से अनुरोध किया गया है कि सूडान में आम नागरिकों के संरक्षण के लिए और अनुशन्साएँ प्रस्तुत की जानी होंगी.

सूडान के लिए निजी दूत रामतने लमामरा, अफ़्रीकी संघ, अरब राष्ट्रों की लीग और अन्य क्षेत्रीय पक्षों के साथ मिलकर समन्वित प्रयास किए जाने होंगे, ताकि शान्ति को बढ़ावा दिया जा सके.

ब्रिटेन की राजदूत ने कहा कि सुरक्षा परिषद ने हिंसक टकराव में शामिल युद्धरत पक्षों को आज एक कठोर सन्देश भेजा है.

उनके अनुसार, सूडान में इस क्रूर और अनुचित हिंसक टकराव का अन्त होने की ज़रूरत है, और गुरूवार को पारित प्रस्ताव दर्शाता है कि सुरक्षा परिषद, देश में शान्ति प्रयासों को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है.

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