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सुरक्षा परिषद को शान्ति की ख़ातिर एकजुट होने के लिए लगाना होगा पूरा ज़ोर

सुरक्षा परिषद को शान्ति की ख़ातिर एकजुट होने के लिए लगाना होगा पूरा ज़ोर

उन्होंने यूएन चार्टर के सिद्धान्तों को ज़ोरदार समर्थन दिए जाने और भविष्य के लिए सहमति-पत्र (Pact for the Future) में सुझाए गए सुधारों को बुनियाद बनाकर आगे बढ़ने की भी हिमायत की है. ग़ौरतलब है कि इस सहमति-पत्र को, गत रविवार को, भविष्य के शिखर सम्मेलन में अपनाया गया था.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने न्यूयॉर्क स्थित सुरक्षा परिषद चैम्बर में आयोजित इस बैठक में विश्व नेताओं और वरिष्ठ मंत्रियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि देशों के दरम्यान गहराते विभाजनों और बढ़ते अविश्वास को देखते हुए, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून और यूएन चार्टर के “बार-बार किए जाने वाले उल्लंघनों” के साथ, दंडमुक्ति भी बढ़ रही है.

उन्होंने कहा, “शान्ति के लिए नेतृत्व का मतलब है ये सुनिश्चित किया जाना कि यूएन सुरक्षा परिषद, वैश्विक तनावों को कम करने और दुनिया भर में भारी तकलीफ़ें देने वाले टकरावों के समाधान तलाश करने के लिए सार्थक रूप में काम करे.”

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “एक सुर में बोलने वाली यानि अविभाजित परिषद, शान्ति के लिए विशाल मदद कर सकती है. एक विभाजित परिषद नहीं कर सकती.”

उन्होंने कहा कि यह बहुत ज़रूरी है कि वीटो के अधिकार वाले स्थाई सदस्यों के दरम्यान अक्सर मतभेदों के कारण कार्रवाई करने में नाकामी को देखते हुए, सदस्य देशों को एक साझा धरातल तलाश कनरे की दिशा में एकजुट होकर काम करने के लिए कोई क़सर बाक़ी नहीं छोड़नी चाहिए.

शान्तिरक्षा में सफलता

यूएन प्रमुख ने कहा कि ग़ाज़ा और यूक्रेन में युद्धों पर कार्रवाई नहीं किए जाने के बावजूद, कारगर एकजुट कार्रवाई के भी उदाहरण देखने को मिले हैं. इनमें लगभग 70 हज़ार कर्मियों वाले 11 यूएन शान्तिरक्षा अभियानों के संचालन से लेकर, ऐतिहासिक प्रस्ताव को पारित किए जाने तक की मिसालें शामिल हैं जिसमें अफ़्रीकी संघ के नेतृत्व वाले अभियानों को समर्थन दिया गया है.

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि इनसे “साबित होता है कि शान्ति सम्भव है”, और इसमें ग़ाज़ा, यूक्रेन, और सूडान भी शामिल हैं.

“शान्ति पर प्रगति के लिए हमारी केवल उम्मीद, परिषद के सदस्यों के दरम्यान तालमेल और एकता पर निर्भर है.”

यूएन महासचिव ने कहा कि “आज मैं सभी सदस्यों से अपनी इस विशाल ज़िम्मेदारी और यूएन चार्टर से किए गए वादे को निभाने का आहवान करता हूँ. इस परिषद की सफलता में योगदान करें – ना कि इसके लुप्त हो जाने के लिए.”

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