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सुखबीर सिंह संधू और ज्ञानेश कुमार बने चुनाव आयुक्त, अधीर रंजन चौधरी बोले- इस प्रक्रिया को मान्यता नहीं देता मैं

सुखबीर सिंह संधू और ज्ञानेश कुमार बने चुनाव आयुक्त, अधीर रंजन चौधरी बोले- इस प्रक्रिया को मान्यता नहीं देता मैं

Sukhbir Singh Sandhu and Gyanesh Kumar became Election Commissioner Adhir Ranjan Chaudhary said this- India TV Hindi

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सुखबीर सिंह संधू और ज्ञानेश कुमार बने चुनाव आयुक्त

चुनाव आयोग में खाली चुनाव आयुक्तों के 2 पदों पर नियुक्ति हो चुकी है। इन पदों के लिए सुखबीर सिंह संधू और ज्ञानेश कुमार को चुना गया है। इस बाबत पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में समिति की बैठक की गई थी, जिसके बाद इन दोनों नामों पर मुहर लग गई है। समिति के सदस्य अधीर रंजन चौधरी ने इस बाबत कहा कि आज दो इलेक्शन कमिश्नर के चयन की मीटिंग हुई। चुनाव केलिए पद रिक्त नहीं होना चाहिए, हम यह मानते हैं। इस समिति में पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, अर्जुनराम मेघवाल और अधीर रंजन चौधरी शामिल थे। अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इस बैठक में 6 नामों पर चर्चा की गई।

किन 6 नामों पर हुई चर्चा

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के मुताबिक इस बैठक में उत्पल कुमार सिंह, प्रदीप कुमार त्रिपाठी, ज्ञानेश कुमार, इंदीवीर पांडेय, सुखबीर सिंह, गंगाधर राहत के नामों पर चर्चा की गई। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मैंने पहले ही एक शॉर्टलिस्ट मांगा था। मतलब छोटी सूची हमें सौंपी जाए। मुझे जो सूची दी गई थी, उसमें 212 नाम ते। हमारी कमेटी में पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल हैं। यानि सराकर की बहुमत है। यानी सरकार के मुताबिक ही चुनाव आयुक्त का चयन होगा। सुप्रीम कोर्ट ने गोयल साहब के अपॉइंटमेंट पर कहा था कि जिस गति से उनका अपॉइंटमेंट हुआ, उसी गति से वो निकल गए। 

क्या बोले अधीर रंजन चौधरी

अधीर रंजन चौधरी ने आगे कहा कि चुनाव आयुक्तों के चयन की इस प्रक्रिया को मैं मान्यता नहीं देता हूं। मैंने बारी से डीसेंट नोट दिया है। मैंने कहा, मैं नहीं मानता, लोकतंत्र के इतने बड़े पद, इतने कद्दावर नेता का नाम मेरे हाथ में औपचारिकता है। मुझे 212 नाम दिए गए थे। आखिरी के 10 मिनट में 6 नाम दिए गए। यही डिटेंस नोट मैंने दिया। अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वे चुनाव आयुक्तों के चयन की इस प्रक्रिया को नहीं मानते हैं और मान्यता नहीं देते हैं। बता दें कि चुनाव आयुक्त के इस्तीफे के बाद से यह पद खाली हो गया था। साथ ही लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इस पद पर नियुक्ति बेहद अहम थी।

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