यूएन के विशेष दूत और संयुक्त राष्ट्र में आपात सहायता मामलों के प्रमुख ने मंगलवार को राजधानी दमिश्क से वीडियो लिन्क के ज़रिये सुरक्षा परिषद की बैठक में सदस्य देशों को वहाँ राजनैतिक घटनाक्रम व मानवीय हालात से अवगत कराया.
विशेष दूत गेयर पैडरसन ने कहा कि सीरिया में पिछले कुछ दिनों में जो कुछ हुआ, वो ऐतिहासिक स्तर की घटनाएँ हैं. लम्बे समय से जारी गृहयुद्ध के बीच, कुछ ही दिनों के भीतर असद परिवार के शासन का पतन हो गया, जिसने 50 वर्षों से अधिक समय से सीरिया पर राज किया था.
“पूर्व शासन व्यवस्था के पतन के बाद अभी केवल 11 दिन ही बीते हैं, मगर मेरी विभिन्न धडों के प्रतिनिधियों से मुलाक़ात हो चुकी है, और मेरा सीरियाई लोगों के साथ सम्पर्क व बातचीत जारी रहेगी. मैं आशाओं को सुनता हूँ, और भय को भी.”
उन्होंने कहा कि सीरिया नागरिकों में एक गहरा एहसास है कि यह उनका क्षण है, और उनके लिए यह अपनी जायज़ आकाँक्षाओं को साकार करने का एक अवसर है.
विशेष दूत के अनुसार, देश के पास यह एक वास्तविक अवसर है, शान्ति, आर्थिक स्थिरता, प्रगति, सर्वजन के लिए समावेशन, जवाबदेही और न्याय की दिशा में क़दम बढ़ाने का.
हालांकि, उन्होंने सचेत किया कि अनेक लोग भविष्य के प्रति आशंकित हैं, और सीरिया के समक्ष विशाल चुनौतियाँ मौजूद हैं.
“मुझे चिन्ता है कि यदि सीरियाई नागरिकों व अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा स्थिति को सही ढंग से नहीं सम्भाला गया, तो हालात का बदतरीन दिशा में मुड़ जाना सम्भव है.”
समावेशन अहम
गेयर पैडरसन ने कहा कि सीरिया फ़िलहाल गम्भीर आर्थिक चुनौती से गुज़र रहा है, और देश की क़रीब 90 फ़ीसदी आबादी निर्धनता में जीवन व्यतीत कर रही है.
उनके अनुसार, इन चुनौतियों से निपटने के लिए मानवीय सहायता से इतर समर्थन की दरकार होगी, ताकि देश में आर्थिक विकास, पुनर्निर्माण प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए. साथ ही, सीरिया पर थोपे गए प्रतिबन्धों को हटाने के लिए क़दम उठाने होंगे.
विशेष दूत ने कहा कि सीरिया को आर्थिक समर्थन सुनिश्चित करने के लिए यह अहम है कि राजनैतिक बदलाव के इस दौर को समावेशी बनाया जाए. मौजूदा आवश्यकताएँ विशाल स्तर पर हैं, जिन्हें केवल व्यापक समर्थन के ज़रिये ही पूरा किया जा सकता है.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि सीरिया में महिलाएँ अपने अधिकारों व समाज में दर्जे के लिए आश्वासन चाहती हैं और संक्रमण के इस दौर की व्यवस्थाओं में उन्हें जगह देनी होगी, अन्यथा इस प्रक्रिया को समावेशी नहीं माना जाएगा.
चुनौतियों से निपटना होगा
यूएन में आपात सहायता मामलों के प्रमुख, टॉम फ़्लैचर ने कहा की सीरिया की जनता ने पिछले एक दशक से अधिक समय से जिस तरह पीड़ा भोगी है, जिसका अन्दाज़ा लगाना पाना कठिन है.
“आशा व जोखिम के इस क्षण में, हमें चुनौतियों के अनुरूप आगे बढ़ना होगा और सीरियाई जनता की मदद करनी होगी.”
सीरिया में घटनाक्रम हाल के दिनों में तेज़ी से बदला है, मगर इसके बावजूद मानवीय संकट अब भी मौजूद है. यह विश्व के सबसे बड़े संकटों में है और क़रीब 1.7 करोड़ लोगों, 70 फ़ीसदी आबादी को सहायता की आवश्यकता है.
70 लाख से अधिक सीरियाई नागरिक देश की सीमाओं के भीतर विस्थापित हैं जबकि लाखों अन्य शरणार्थी के तौर पर अन्य देशों में रह रहे हैं. 1.3 करोड़ लोग खाद्य असुरक्षा से जूझ रहे हैं.
टॉम फ़्लैचर ने सुरक्षा परिषद को बताया कि पिछले कुछ दिनों में मानवीय आवश्यकताएँ बढ़ी हैं और दो सप्ताह से कम समय में 10 लाख लोग विस्थापित हुए हैं. सैकड़ों अन्य हताहत हुए हैं.
‘कार्यवाहक प्रशासन ने जताई प्रतिबद्धता’
यूएन अवर महासचिव टॉम फ़्लैचर ने बताया सीरिया की उनकी यात्रा के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं: मानवीय सहायता प्रयासों में बेहतर समन्वय, मानवतावादी कार्य के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ, और सभी हितधारकों के साथ सम्पर्क व बातचीत.
उन्होंने राजधानी दमिश्क में नए कार्यवाहक प्रशासन के प्रतिनिधियों के साथ मुलाक़त की है, जिनमें नए प्रशासन के कमांडर अहमद अल-शरा और प्रधानमंत्री मोहम्मद अल-बशीर हैं.
अवर महासचिव फ़्लैचर के अनुसार, कार्यवाहक प्रशासन ने देश में मानवीय सहायता का स्तर व दायरा बढ़ाने के प्रयासों को अपना समर्थन देने का संकल्प व्यक्त किया है.
इस सिलसिले में आश्वासन दिया गया है कि मानवीय राहतकर्मियों और तुर्कीये, लेबनान, जॉर्डन, इराक़ समेत पड़ोसी देशों से राहत सामग्री की आवाजाही सुनिश्चित की जाएगी.