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साझा मानवता के लिए फिर से जुड़ने, जोखिम भरे ‘नए सामान्य हालात’ को नकारने का आग्रह

यूएन कार्यालय के शीर्ष अधिकारी ने जिनीवा में मानवाधिकार परिषद के समक्ष अपना वार्षिक अपडेट प्रस्तुत करते हुए यह बात कही है. उन्होंने ध्यान दिलाया कि अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार और मानवतावादी क़ानून, निरंकुश शक्तियों के विरोध में हमारा आधार है.

अपने चार वर्षीय कार्यकाल में दूसरे वर्ष की समाप्ति के अवसर पर, उन्होंने मानवाधिकारों के लिए मौजूदा हालात पर अपनी चिन्ताओं को साझा किया.

वोल्कर टर्क के अनुसार, ऐसा प्रतीत होता है कि हम दोराहे पर खड़े हुए हैं. “हम या तो मौजूदा पथ पर आगे बढ़ना जारी रख सकते हैं, जोकि जोखिम भरे नए हालात हैं, जिनसे हम नीन्द में एक अत्यधिक पीड़ा भरे दौर में प्रवेश कर जाएंगे.”

“या फिर हम जाग करके, परिस्थितियों को बेहतरी की ओर ले जा सकते हैं, मानवता व ग्रह के लिए.”

अन्तहीन टकरावों के विरोध में

यूएन एजेंसी प्रमुख ने सचेत किया कि नए सामान्य हालात, अन्तहीन, घातक सैन्य टकरावों, भयावह व टैक्नॉलॉजी संचालित युद्धक तौर-तरीक़ों, नियंत्रण व दमन के नहीं हो सकते हैं.

ना तो, देशों के भीतर और उनके बीच गहराती विषमताओं पर बेपरवाही को अपनाया जाना जारी रखा जा सकता है, और ना ही ग़लत व भ्रामक सूचनाओं के बेरोकटोक प्रसार, तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने और हेट स्पीच की अनुमति दी जा सकती है.

उनके अनुसार, नए सामान्य हालात में ना तो राष्ट्रीय सम्प्रुभता को ठेस पहुँचाई जा सकती है, ना ही बहुपक्षीय संस्थाओं की विश्वसनीयता पर चोट की जा सकती है और ना ही सार्वभौमिक रूप से सहमति प्राप्त मानदंड़ों से दूर हटा जा सकता है.

इसके मद्देनज़र, उन्होंने ऐसे विकल्प चुने जाने की अपील की, जिनसे साझा मानवता, प्रकृति व पृथ्वी के साथ फिर से जुड़ना सम्भव हो सके.

नेतृत्व का संकट

वोल्कर टर्क ने मानवाधिकार परिषद को बताया कि मानवाधिकार, संकट में नहीं हैं. मगर, राजनैतिक नेतृत्व द्वारा उन्हें वास्तविकता में बदले जाने की ज़रूरत है.

दुनिया के हर क्षेत्र में गहराई तक समाए शक्ति समीकरणों के ज़रिये, सत्ता में बने रहने की कोशिशें हो रही हैं, और यह सार्वभौमिक मानवाधिकारों को ताक पर रख करके हो रही है.

समाजों को नस्लवाद, नस्लीय भेदभाव, विदेशियों के प्रति नापसन्दगी व डर और असहिष्णुता का सामना करना पड़ रहा है, जिन्हें सत्ता तंत्रों, निहित स्वार्थों, संस्थागत जड़ता और हानिकारक धारणाओं से बल मिल रहा है, जोकि अक्सर औपनिवेशवाद व दासता की विरासत में फले-फूले हैं.

वोल्कर टर्क ने कहा कि कुछ नेता, प्रवासियों, शरणार्थियों, अल्पसंख्यकों को निशाना बनाते हैं, जैसाकि हाल ही में, ऑस्ट्रिया, फ़्राँस, हंगरी, ब्रिटेन, और अमेरिका समेत अन्य देशों में चुनावों के दौरान किया गया. इसके लिए डिजिटल टैक्नॉलॉजी का ग़लत इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें निजी डेटा का दोहन किया जाता है.

बांग्लादेश में सरकार विरोधी प्रदर्शन देश भर में फैल गए थे, जिनमें 400 से अधिक लोग मारे गए और हज़ारों अन्य घायल भी हुए.

बांग्लादेश में सरकार विरोधी प्रदर्शन देश भर में फैल गए थे, जिनमें 400 से अधिक लोग मारे गए और हज़ारों अन्य घायल भी हुए.

मानवाधिकारों की शक्ति

उन्होंने कहा कि शक्ति के ग़लत इस्तेमाल से मानवाधिकारों पर गहरा असर होता है, मगर ये नियामक की भूमिका निभाते हैं और सत्ता के ग़लत दिशा में क़दम बढ़ाने से उन्हें रोकते हैं.

इस सिलसिले में, उन्होंने बांग्लादेश में हालात का उल्लेख किया, जहाँ उनके अनुसार छात्र आन्दोलन ने मानवाधिकारों की मशाल को आगे बढ़ाया. उन्होंने बताया कि मानवाधिकार कार्यालय देश में नए प्रशासनिक ढाँचे को सहयोग प्रदान कर रहा है और मानवाधिकार हनन मामलों की छानबीन के लिए तथ्य-खोजी मिशन के अलावा, अन्य समर्थन मुहैया कराया जाएगा.

इस वर्ष अनेक देशों में चुनाव हो रहे हैं, जिसके मद्देनज़र वोल्कर टर्क ने मतदाताओं नागरिकों को सलाह देते हुए कहा कि अपना वोट डालते समय उन्हें उन मुद्दों को ध्यान में रखना होगा, जिनसे उनका जीवन सर्वाधिक प्रभावित होता है.

जैसेकि बच्चों के लिए शिक्षा, उनके परिवारों का स्वास्थ्य, न्याय, पर्यावरण, हिंसा समेत अन्य मुद्दे, जोकि मानवाधिकारों से जुड़े हुए हैं.

सूडान, ग़ाज़ा में हिंसक टकराव

मानवाधिकार उच्चायुक्त ने ध्यान दिलाया कि चार जिनीवा सन्धियों की यह 75वीं वर्षगाँठ है, जोकि युद्ध के नियमों पर केन्द्रित हैं. वहीं, यूएन चार्टर में उत्तरोत्तर पीढ़ियों को युद्ध के दंश से बचाने का वादा किया गया है, और इसे 80 वर्ष पहले पारित किया गया था.

इसके बावूजद, सूडान विश्व में बदतरीन मानवीय व संरक्षण संकट से जूझ रहा है, दंडमुक्ति के साथ अपराधों को अंजाम दिया जा रहा है, जातीय तनावों को भड़काया जा रहा है और परस्पर विरोधी आर्थिक हितों हवा दी जा रही है.

उनके अनुसार, टकराव की बुनियादी वजहों से निपटने में विफल रहने से नफ़रत का चक्र बार-बार उभरता है, और ग़ाज़ा में मौजूदा हालात इसी का एक उदाहरण है.

वोल्कर टर्क ने ज़ोर देकर कहा कि युद्ध का अन्त करना और वृहद क्षेत्रीय टकराव को टालना एक परम आवश्यक व तात्कालिक प्राथमिकता है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सदस्य देशों को अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के प्रति खुली बेपरवाही दर्शाए जाने के मामलों को अस्वीकार्य बनाना होगा, जिनमें यूएन सुरक्षा परिषद और अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के क़ानूनी रूप से बाध्यकारी निर्णय भी हैं.

तबाह हो चुके ग़ाज़ा में एक विस्थापित फ़लस्तीनी परिवार.

तबाह हो चुके ग़ाज़ा में एक विस्थापित फ़लस्तीनी परिवार.

यूक्रेन, म्याँमार में चिन्ताजनक हालात

मानवाधिकार उच्चायुक्त ने ध्यान दिलाया कि यूक्रेन में आम नागरिक आतंक के कुचक्र में फँसे हुए हैं और रूसी सैन्य बलों के हमले निरन्तर जारी हैं, जिनमें स्कूलों व अस्पतालों समेत नागरिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया जा रहा है.

वहीं, म्याँमार में संकट अमानवता की गहराइयों में गिरता जा रहा है, और पिछले कुछ समय में हवाई हमलों, सामूहिक गिरफ़्तारियों, न्यायेतर हत्याओं की ख़बरें हैं, जिन्हें दंडमुक्ति की भावना से अंजाम दिया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि कई मामलों में मानवीय सहायता आपूर्ति का रास्ता रोका जाता है, उसका रुख़ मोड़ दिया जाता है और निगरानीकर्ताओं को ज़रूरतमन्द आबादी तक नहीं पहुँचने दिया जाता है.

सदस्य देशों का दायित्व

वोल्कर टर्क ने कहा कि हमारी साझा मानवता को सहेज कर रखने के लिए अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी एवं मानवाधिकार क़ानून को तैयार किया गया है. निरंकुश सत्ता के प्रति यही हमारा आधार हैं.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि प्रभुत्व रखने वाले देशों समेत सभी पक्षों को हिंसक टकराव व युद्ध पर विराम लगाने के लिए हरसम्भव प्रयास करने होंगे.

इस क्रम में यह ज़रूरी है कि तयशुदा दायित्वों के तहत, सशस्त्र टकराव में किसी पक्ष को हथियार निर्यात करने या हस्तांतरित करने से परहेज़ किया जाए, जहाँ उनके ग़लत इस्तेमाल का ख़तरा हो. उन्होंने बताया कि कुछ देशों द्वारा इस विषय में सही दिशा में क़दम उठाना उत्साहजनक है.

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