Uncategorized

समुद्री जलस्तर में वृद्धि को रोकने के लिए, ‘गर्माती जलवायु की रफ़्तार को थामना होगा’

समुद्री जलस्तर में वृद्धि को रोकने के लिए, ‘गर्माती जलवायु की रफ़्तार को थामना होगा’

एक अनुमान के अनुसार, 1880 के बाद से अब तक महासागर के जलस्तर में लगभग 20-23 सेंटीमीटर (8-9 इंच) की वृद्धि हो चुकी है. यूएन एजेंसी ने चिन्ता जताई है कि पिछले 10 वर्षों में समुद्री जलस्तर में वृद्धि की दर, 1993 से 2002 तक की रफ़्तार के दोगुने से भी अधिक है.

महासभा अध्यक्ष ने सचेत किया कि समुद्री जलस्तर में वृद्धि की वजह से तटीय समुदायों की आजीविकाओं, बुनियादी ढाँचे पर ख़तरा है और 1.2 अरब लोग विस्थापन का शिकार हो सकते हैं.

उन्होंने देशों से एक साथ मिलकर सहनसक्षमता विकसित करने, विकास को बढ़ावा देने, बेहतर तटीय प्रबन्धन सुनिश्चित करने और जलवायु अनुकूलन रणनीतियों को लागू करने का आग्रह किया है.

“हमें गर्माती जलवायु को रोकना होगा जिसकी वजह से समुद्री जलस्तर में वृद्धि हो रही है और तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री से अधिक होने से रोकने के लक्ष्य के प्रति संकल्प जताना होगा.”

कार्रवाई, वित्त पोषण

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने पुख़्ता कार्रवाई पर बल दिया है – समुद्री जलस्तर में कमी लाने के लिए उत्सर्जन घटाने और ज़िन्दगियों की रक्षा करने के लिए.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि वर्ष 2027 तक हर किसी को, हर जगह समय पूर्व चेतावनी प्रणाली के दायरे में लाना होगा.

इसके समानान्तर, देशों को अपनी जलवायु कार्रवाई योजनाओं को महत्वाकाँक्षी बनाना होगा, ताकि तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखा जा सके. जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को चरणबद्ध ढंग से घटाई जानी होगी.

यूएन प्रमुख ने कहा कि इसके लिए वित्त पोषण की आवश्यकता है, और अज़रबैजान में वार्षिक जलवायु सम्मेलन, कॉप29 में धनराशि का प्रबन्ध करने के लिए नए स्रोतों की तलाश की जानी होगी.

महासचिव गुटेरेश ने जलवायु परिवर्तन की आँच में झुलस रहे देशों के लिए ‘हानि व क्षति कोष’ में योगदान देने की अपील की है. धनी देशों को वर्ष 2025 तक जलवायु अनुकूलन उपायों के लिए कम से कम 40 अरब डॉलर की रक़म मुहैया करानी होगी और बहुपक्षीय विकास बैन्कों में सुधार लाना होगा ताकि विकासशील देशों को रियायती दरों पर सहायता मुहैया कराई जा सके.

अनेक देशों के लिए जोखिम

बढ़ता समुद्री जलस्तर, महासागर के तापमान में वृद्धि होने, हिमनद व जमे हुए पानी के पिघलने का परिणाम है. इन रुझानों के लिए सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन को ज़िम्मेदार माना जाता है.

यदि वैश्विक तापमान में वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक काल के स्तर की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित भी रखा जाए, पृथ्वी पर समुद्री जल के स्तर में काफ़ी हद तक बढ़ोत्तरी हो चुकी होगी. समुद्री जलस्तर में वृद्धि से अर्थव्यवस्थाओं, संस्कृति, विरासत और लघु द्वीपीय विकासशील देशों के अस्तित्व के लिए ख़तरा है.

तुवालू के प्रधानमंत्री फ़ेलेटी टिओ ने चिन्ता जताई कि अनेक देशों को अपने क्षेत्र में भूमि को खोना पड़ सकता है और उनके लिए वहाँ रहना भी बेहद कठिन हो सकता है.

खारे जल की बाढ़ आने से तटीय इलाक़ों में पर्यावास, जैसेकि प्रवाल भित्तियों व मछलियों, कृषि-योग्य भूमि के अलावा बुनियादी ढाँचे को क्षति पहुँच सकती है.  

प्रधानमंत्री टिओ ने कहा कि उनके लोगों के लिए इन द्वीपों पर रहना सम्भव नहीं होगा, जबकि ये कई पीढ़ियों से उनके लिए घर थे. उनके अनुसार, ऐसे अनेक देशों को इन कटु वास्तविकताओं का सामना आज ही करना पड़ रहा है, और ये कोई भविष्य में घटित होने वाली बात नहीं है.

Source link

Most Popular

To Top