शिक्षा

समावेशी व सीखने वाले समाजों के सृजन हेतु, शिक्षा रूपान्तर

शिक्षा रूपान्तर सम्मेलन के लिए, यूएन महासचिव के विशेष सलाहकार लियोनार्डो गार्नियर ने, शुक्रवार को न्यूयॉर्क में एक प्रैस वार्ता में कहा कि इस नीति-पत्र में ये स्वीकार किया गया है कि शिक्षा के सामने, सुलभता और गुणवत्ता व प्रासंगिकता के दोहरे संकट दरपेश हैं.

उन्होंने कहा, “एक तरफ़ तो दुनिया भर में करोड़ों लोग ऐसे हैं जो शिक्षा प्राप्ति की व्यवस्था से बाहर हैं, और औपचारिक स्कूली शिक्षा में शिरकत करने वाले बहुत से लोगों को, बुनियादी शिक्षा भी हासिल नहीं हो रही है.”

उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि मौजूदा शिक्षा प्रणालियाँ, बच्चों को, तेज़ी से बदलते भविष्य में उनके सामने आने वाली जटिल चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार नहीं कर रही हैं.

लियोनार्डो गार्नियर ने ज़ोर देकर कहा, “हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि स्कूल जाने वाले प्रत्येक बच्चे को, उसकी आवश्यकतानुसार सबकुछ सीखने को मिले.”

प्रमुख सिद्धान्तों का पुलिन्दा

इस नीति-पत्र में, प्रमुख सिद्धान्तों का एक ऐसा पुलिन्दा पेश किया गया है, जिसे देश, अपने यहाँ शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए लागू करने पर विचार कर सकते हैं.

विशेष सलाहकार ने कहा, “पाठ्यक्रम वर्तनाम और भविष्य के लिए प्रासंगिक होना चाहिए, जिसमें टिकाऊ विकास पर विशेष ध्यान हो. साथ ही जो, नागरिक ज़िम्मेदारी, शान्ति और मानव विविधता के सम्मान की एक संस्कृति को आगे बढ़ाए.”

उन्होंने कहा कि सरकारों को तात्कालिक सोच को छोड़कर, अपना ध्यान शिक्षा क्षेत्र में वित्त सुनिश्चित करने को, एक अति महत्वपूर्ण निवेश समझने पर लगाना होगा […] जिसमें मध्यम व दीर्घकालीन अहम फ़ायदे होंगे.

शिक्षा की गुणवत्ता पर, तंज़ानिया में एक कार्यशाला.

संस्कृति को बदलना

संयुक्त राष्ट्र के शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की शिक्षा सहायक निदेशक स्तेफ़ानिया गियान्निनी ने भी इस अवसर पर, रेखांकित करते हुए कहा कि ये नीति-पत्र एक “स्पष्ट दृष्टिकोण” उपलब्ध कराता है.

उन्होंने कहा कि ये नीति-पत्र, एक तरफ़ तो पहले से ही मौजूद अधिगम संकटों पर ध्यान देता है, जो कोविड-19 महामारी के कारण और भी गम्भीर हुए हैं. साथ ही दूसरी तरफ़, ये शिक्षा के विकास परिणामों को भी आपस में जोड़ता है.

स्तेफ़ानिया गियान्निनी ने कहा, “ये शिक्षा प्रणालियों में सुधार करने की संस्कृति से हटकर, रूपान्तरकारी बदलाव करने की संस्कृति की तरफ़ बढ़ने के बारे में है – जिसमें मामूली बढ़त वाला बदलाव नहीं हो, बल्कि जिसके परिणामस्वरूप, आज से बिल्कुल भिन्न शिक्षा प्रणालियाँ वजूद में आएँ.”

ये नीति-पत्र, वर्ष 2022 में हुए शिक्षा रूपान्तर सम्मेलन में से वजूद में आया है, और ये देशों व वैश्विक स्तरों पर हुए विचार-विमर्श का परिणाम है.

अगला क़दम

स्तेफ़ानिया गियान्निनी ने ये भी कहा कि सितम्बर 2023 में होने वाला एसडीजी सम्मेलन, शिक्षा क्षेत्र में रूपान्तरकारी बदलावों के लिए उठाए जाने वाले ठोस क़दमों को दिखाने का एक अहम मौक़ा होगा.

ये एसडीजी सम्मेलन, वर्ष 2024 में होने वाली एक वैश्विक बैठक का रास्ता साफ़ करेगा, जिसमें वर्ष 2022 में शुरू हुए आन्दोलन में हुई प्रगति का जायज़ा लिया जाएगा.

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