संयुक्त राष्ट्र के शीर्षतम अधिकारी ने यूएन व्यापार एवं विकास संगठन की 60वीं वर्षगाँठ पर आयोजित वैश्विक नेताओं की फ़ोरम को सम्बोधित करते हुए यह बात कही है. इस एजेंसी को पहले व्यापार एवं विकास पर यूएन सम्मेलन, UNCTAD, के नाम से जाना जाता था.
यूएन महासचिव ने कहा कि सर्वजन के लिए एक सतत व समावेशी वैश्विक अर्थव्यवस्था को आकार देने के रास्ते में अनेक प्रकार की चुनौतियाँ हैं.
उन्होंने सचेत किया कि नए और लम्बे समय से जारी हिंसक संघर्षों का पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर हो रहा है. वैश्विक कर्ज़ में उछाल आया है जबकि निर्धनता और भूख समेत अन्य प्रमुख विकास संकेतक लुढ़के हैं.
मौजूदा व्यवस्था की विफलता
यूएन प्रमुख ने अपनी चेतावनी को दोहराया कि मौजूदा अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय तंत्र पुराना हो चुका है, न्यायसंगत नहीं है और सही ढंग से कार्य नहीं कर पा रहा है.
उन्होंने क्षोभ व्यक्त किया कि कर्ज़ में डूबे हुए विकासशील देशों के लिए एक सुरक्षा चक्र प्रदान करने में यह विफल रहा है. अन्तरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली को फ़िलहाल हर ओर से दबाव का सामना करना पड़ रहा है और यह इस हद तक है कि मौजूदा व्यवस्था बिखरने के कगार पर पहुँच रही है.
भूराजनैतिक तनाव, विषमताएँ और कर्ज़ समेत अन्य चुनौतियाँ बढ़ रही हैं.
उन्होंने UNCATAD के पहले महासचिव रॉल प्रेबिश को उद्धत करते हुए कहा कि विकास सम्बन्धी समस्याओं पर यूएन एजेंसी, तटस्थ रुख़ नहीं अपना सकती है, जैसेकि विश्व स्वास्थ्य संगठन, मलेरिया पर तटस्थ नहीं रह सकता.
“व्यापार एक दोधारी तलवार बन चुका है: समृद्धि व असमानता; आन्तरिक जुड़ाव व निर्भरता; आर्थिक नवाचार व पर्यावरणी क्षरण का एक स्रोत.”
दरारों को पाटना होगा
उन्होंने ध्यान दिलाया कि वर्ष 2019 के बाद से व्यापार अवरोधों में तीन गुना वृद्धि हुई है, जिनमें से अनेक के पीछे वजह भूराजनैतिक प्रतिस्पर्धा है, जबकि विकासशील देशों पर इसके प्रभाव के प्रति कोई चिन्ता नहीं है. इसके मद्देनज़र, देशों के बीच कहीं अधिक संवाद की आवश्यकता है.
महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि दुनिया दो प्रतिद्वंद्वी हिस्सों में बंटने का जोखिम मोल नहीं ले सकती है. टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति और शान्ति व सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक वैश्विक बाज़ार और एक वैश्विक अर्थव्यवस्था की आवश्यकता है, जहाँ भूख व निर्धनता के लिए कोई स्थान ना हो.
उनके अनुसार इस चिन्ताजनक पृष्ठभूमि में, व्यापार व निवेश के ज़रिये टिकाऊ व समावेशी वैश्विक अर्थव्यवस्था हासिल करने के प्रयासों में जिनीवा-स्थित यूएन एजेंसी की भूमिका पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है.
व्यवस्था में मौजूदा कमियों व विसंगतियों की शिनाख़्त करने, उन्हें पाटने, और व्यावहारिक, तथ्य-आधारित समाधानों को बढ़ावा देने के लिए.
महासचिव ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय वित्त पोषण, कर व्यवस्था और डिजिटल शासन व्यवस्था के लिए एक नए तंत्र की आवश्यकता है. साथ ही, प्रगति के आकलन के लिए, दक्षिण-दक्षिण व्यापार को बढ़ावा देने और एक बहुध्रुवीय विश्व में स्थिरता लाने के लिए एक नई दृष्टि अपनाई जानी होगी.
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