उद्योग/व्यापार

संसदीय समिति ने माइक्रोइंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस पर GST 18% से कम करने का सुझाव दिया

सांसद जयंत सिन्हा की अगुवाई में संसद की एक समिति ने सीनियर सिटिजन के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स और माइक्रोइंश्योरेंस प्रोडक्ट्स पर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) कम करने का सुझाव दिया है। समिति ने इस पर GST 18 पर्सेंट से कम रखने का सिफारिश की है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कमेटी को लगता है कि इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स, खास तौर पर हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस पर GST रेट को तर्कसंगत बनाने की जरूरत है, जो फिलहाल 18 पर्सेंट है। GST रेट ज्यादा रहने से प्रीमियम का बोझ ज्यादा बढ़ जाता है, जिस वजह से लोगों के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी लेना मुश्किल हो जाता है।’

कमिटी का मानना है कि इंश्योरेंस को और सस्ता बनाने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स पर GST रेट कम करने की जरूरत है, खास तौर पर सीनियर सिटिजन और माइक्रोइंश्योरेंस पॉलिसी के मामले में यह कदम उठाने की जरूरत है।

इंश्योरेंस PSUs

कमेटी के मुताबिक, पब्लिक सेक्टर की 4 जनरल इंश्योरेंस कंपनियों की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इन कंपनियों के पास पूंजी की कमी है और इंसॉल्वेंसी रेशियो भी कम है। कमेटी को बताया गया है कि हेल्थ इंश्योरेंस बिजनेस में इन कंपनियों की जरूरत से ज्यादा भागीदारी के कारण इन्हें ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा है। इन कंपनियों के कुल बिजनेस में हेल्थ इंश्योरेंस का हिस्सा 50 पर्सेंट से भी ज्यादा है।’

माइक्रोइंश्योरेंस

कमेटी का कहना है कि नए माइक्रोइंश्योरेंस प्रोडक्ट्स को बेहद किफायती आधार पर तैयार कर इन्हें उपलब्ध कराने की जरूरत है, ताकि समाज के कमजोर और वंचित तबकों को भी इन प्रोडक्ट्स का लाभ मिल सके। कमेटी का मानना है कि इन खिलाड़ियों के लिए 100 करोड़ रुपये की पूंजी की जरूरत को कम किया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘जरूरतमंदों के हिसाब से इनोवेटिव और कस्टमाइज्ड प्रोजक्ट्स तैयार करना बेहद जरूरी है। कमेटी को लगता है कि विभिन्न इलाकों में छोटे और एक्सपर्ट खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। कमेटी का सुझाव है कि ऐसे खिलाड़ियों के लिए 100 करोड़ की पूंजी की जरूरत को कम किया जा सकता है।’

मोटर इंश्योरेंस

मोटर इंश्योरेंस पर अमल सुनिश्चत करने के लिए कमेटी ने सुझाव दिया है कि वित्तीय संस्थानों द्वारा ऑटो और कमर्शियल व्हीकल लोन सिर्फ तब दिया जाना चाहिए, जब उनके पास इंश्योरेंस कवरेज का सबूत मिल जाए। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) और रिजर्व बैंक को इन शर्तों पर विचार करना चाहिए।’ इंश्योरेंस इंफॉर्मेशन ब्यूरो ऑफ इंडिया (IIB) की मोटर एन्युअल रिपोर्ट, 2019-20 के मुताबिक भारत में सड़कों पर 25.33 करोड़ से भी ज्यादा गाड़ियां थीं, जिनमें से 56 पर्सेंट गाड़ियां बिना इंश्योरेंस वाली थीं। इसका मतलब है कि सड़कों पर बड़ी संख्या में बिना इंश्योरेंस वाली गाड़ियां चल रही हैं, जो गाड़ी मालिकों और थर्ड पार्टी, दोनों के लिए बेहद खतरनाक है।

आयुष्मान भारत

रिपोर्ट में कहा गया है कि कम आय वाले परिवारों को हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज मुहैया कराने में आयुष्मान भारत सरकार का बेहद सफल अभियान है। रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि, बाकी लोगों (अपेक्षाकृत ज्यादा आय वाले) को भुगतान के आधार पर इस प्रक्रिया में शामिल कर इस स्कीम को और मजबूत बनाया जा सकता है।

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