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शेयर बाजार को डरा रहा क्रिसमस का भूत! 2018 से जारी है स्मॉलकैप शेयरों में गिरावट का ट्रेंड

शेयर बाजार में पिछले 5-6 सालों से एक अजीब ट्रेंड देखने को मिल रहा है। क्रिसमस के ठीक पहले बाजार में एक बड़ी गिरावट जरूर आती है। खासतौर से स्मॉलकैप शेयरों (Smallcap Stocks) में पैसा लगाने वालों को काफी नुकसान होता है। इस बार भी आपने बुधवार को देखा कि स्मॉलकैप शेयरों में कितनी तेज गिरावट आई। क्रिसमस का यह भूत कम से कम 2018 से बाजार को सता रहा है। इस बार बुधवार 20 दिसंबर को स्मॉलकैप इंडेक्स करीब 4% टूट गए। निफ्टी का स्मॉलकैप इंडेक्स 100 अंकों का गोता लगाकर 14,400 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं बीएसई का स्मलॉकैप इंडेक्स 41,000 के नीचे चला गया था। आज 21 दिसंबर को फिर से स्मॉलकैप इंडेक्स करीब 1.5% ऊपर गया है। हालांकि अगर पिछले 5 सालों के ट्रेंड को देखें तों, क्रिसमस की छुट्टी के आसपास अभी स्मॉलकैप इंडेक्स में एक-दो दिन और गिरावट आने की आशंका दिखती है।

क्रिसमस से पहले विदेशी निवेशक करते हैं बिकवाली

टेक्निकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि विदेशी निवेशक आमतौर पर क्रिसमस और नए साल की छुट्टियों से पहले जोखिम भरे स्मॉलकैप शेयरों से बाहर निकलने की कोशिश करते हैं, क्योंकि वह छुट्टियों के दौरान कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। यह गिरावट का एक बड़ा कारण हो सकता है। एक जर्मन इनवेस्टमेंट बैंक में काम करने वाले, CFA जितेंद्र चावला ने इस ट्रेंड को लेकर हाल में ट्वीट भी किया था। उन्होंने लिखा, “हर साल बिना किसी नागा के, 20 से 25 दिसंबर के बीच बाजार में एक बड़ी हलचल देखने को मिलती है। ऐसा लगता है कि कुछ विदेशी निवेशकों छुट्टियों पर जाने से पहले बाजार में बिकवाली करते हैं।”

विदेशी निवेशकों ने इस हफ्ते 3,593 करोड़ के शेयर बेचे

जितेंद्र चावला की बात सही भी लगती है क्योंकि क्रिसमस से पहले इस हफ्ते में अभी 4 दिन कारोबार हुआ है और चारों दिनों विदेशी निवेशकों ने शुद्ध रूप से बिकवाली की है। यह भी दिलचस्प है कि हर दिन बिकवाली की रकम बढ़ती गई है। सोमवार 18 दिसंबर को FII ने शुद्ध रूप से 33 करोड़ के शेयर बेचे, फिर मंगलवार को उन्होंने 601 करोड़, बुधवार को 1,322 करोड़ और आज गुरुवार 21 दिसंबर को उन्होंने शुद्ध रूप से 1,636 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। इस तरह पिछले 4 दिनों में उन्होंने कुल करीब 3,593 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं।

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स्मॉलकैप शेयरों ने दिया इस साल सबसे ज्यादा रिटर्न

स्मॉलकैप इंडेक्स इसलिए भी फोकस हैं क्योंकि इस साल सबसे अच्छा रिटर्न इन्हीं शेयरों ने दिया है। रिटेल निवेशकों के साथ विदेशी निवेशकों ने 2023 में खूब स्मलॉकैप शेयरों की खरीदारी है। निफ्टी का स्मॉलकैप इंडेक्स इस साल 50%, जबकि बीएसई का स्मॉलकैप इंडेक्स 40% बढ़ा है। पिछले कुछ समय से दोनों इंडेक्स लगभग हर दिन नए ऑलटाइम हाई छू रहे थे और यही भर एक एनालिस्ट्स को एक जोखिम दिख रहा हैं।

स्मॉलकैप शेयरों का वैल्यूएशन महंगा हुआ

एनालिस्ट्स का कहना है कि हालिया तेजी के बाद कई स्मॉलकैप शेयरों का वैल्यूएशन काफी महंगा हो गया है, जो इनमें गिरावट का दूसरा बड़ा कारण दिख रहा है। ट्रेलिंग आधार पर, निफ्टी50 इस समय अपने अर्निंग्स के 22 गुना वैल्यूएशन पर कारोबार कर रहा है। जबकि इसके मुकाबले निफ्टी का मिडकैप-100 इंडेक्स 25 गुना और स्मॉलकैप-100 इंडेक्स 29 गुना वैल्यूएशन पर कारोबार कर रहा है। यानी स्मॉलकैप इंडेक्स का वैल्यूएशन सबसे ज्यादा है।

म्यूचुअल फंड्स को स्मॉलकैप शेयर चुनने में हो रही दिक्कत

यहां तक कि हालिया तेजी के बाद कुछ म्यूचुअल फंडों को भी स्मॉलकैप शेयरों में अपना निवेश रोकना पड़ा है। उनका कहना है कि उन्हें अपना पैसा लगाने में काफी मुश्किलें आ रहे हैं। कुछ दिनों पहले एक्विटस इन्वेस्टमेंट्स ने एक बयान में कहा कि उसने स्मॉलकैप शेयरों में नए निवेश को रोक दिया है क्योंकि हालिया तेजी के बाद अब वाजिव वैल्यूएशन वाला शेयर खोजना काफी मुश्किल हो गया है।

एक दूसरे एनालिस्ट ने बताया कि स्मॉल और मिडकैप इंडेक्स में पिछले छह महीनों में काफी तेजी आई है और इसके चलने निवेश के पैमाने पर फिट होने वाले शेयरों की संख्या काफी कम हो गई है और यही म्यूचुअल फंडों को दिक्कत आ रही है।

फंड हाउसों को भी बेचने पड़ सकते हैं स्मॉलकैप स्टॉक्स

इसके अलावा कई शेयरों ने इतना ज्यादा रिटर्न दिया कि उन्होंने किसी एक शेयर में अधिकतम निवेश की सीमा को पार कर दिया है। आमतौर पर म्यूचुअल फंड किसी एक शेयर में 10% से अधिक निवेश नहीं करते हैं। स्मॉलकैप स्कीमों में यह सीमा इससे भी कम होती है। लेकिन भारी रिटर्न के चलते कई स्टॉक ने इस अधिकतम निवेश के पास पहुंच गए हैं। इस सीमा को पार करने के बाद फंड हाउसों को भी स्टॉक बेचने पर मजबूर होना पड़ सकता है, जो गिरावट का एक और कारण हो सकता है।

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