इंडिया में फाइनेंशियल सेक्टर की ग्रोथ जबर्दस्त रही है। लेकिन, इसके साथ एक नई प्रॉब्लम सामने आई है। वह है ऐसा इनवेस्टमेंट का जिसका कोई दावेदार नहीं है। ऐसे करोड़ों रुपये स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स, प्रोविडेंट फंड आदि में पड़े हैं, जिनका कोई दावेदार नहीं है। इसकी कई वजहें हैं। लेकिन, इस पैसे को उसके सही दावेदार तक पहुंचाना एक बड़ी समस्या है। ऐसे में एक ऐसे सिस्टम की जरूरत महसूस की जा रही है, जिसके जरिए यह पैसा उस व्यक्ति तक पहुंचाया जा सके, जिसका उस पर हक है। सवाल है कि आखिर अलग-अलग सिक्योरिटीज में पड़ा यह पैसा कितना है, जिसका कोई दावेदार नहीं है।
इनवेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड (IEPF) के डेटा के मुताबिक, मार्च 2023 में कुल 25,000 करोड़ रुपये के शेयरों का कोई दावेदार नहीं था। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इंडिया में इनवेस्टमेंट के दावेदार नहीं होने की कई वजह हैं। इसमें पहला है जागरूकता का अभाव। कई इनवेस्टर्स खासकर फाइनेंशियल मार्केट्स के नए इनवेस्टर्स के बीच इस बात को लेकर जागरूकता नहीं है कि कंपनियों और कस्टोडियंस के पास अपनी इंफॉर्मेशन को अपडेटेड रखना कितना जरूरी है।
कई इनवेस्टर्स दूसरे शहरों में बस जाते हैं, लेकिन वे अपना एड्रेस चेंज नहीं कराते हैं। इससे उनके पास न तो फाइनेंशियल स्टेटमेंट पहुंच पाता है न ही डिविडेंड के नोटिस की डिलीवरी हो पाती है। कुछ मामलों में इनवेस्टमेंट से जुड़ा बैंक अकाउंट डॉरमेंट या इनएक्टिव होता है, जिससे इनवेस्टमेंट पर मिला डिविडेंड उनके अकाउंट में नहीं पहुंच पाता है। कुछ मामलों में इनवेस्टर की मौत हो जाती है। लेकिन सही सक्सेशन प्लानिंग नहीं होने से उसके इनवेस्टमेंट का कोई दावेदार नहीं होता है।
मार्च 2023 में म्यूचुअल फंड की स्कीमों में 35,000 करोड़ रुपये ऐसा था, जिसका कोई दावेदार नहीं था। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस अनक्लेम्ड अमाउंट की कई वजहें हो सकती हैं। कई बार इनवेस्टर्स छोटे अमाउंट के इनवेस्टमेंट को भूल जाते हैं। कुछ निवेशक अकाउंट बंद कराए बगैर SIP में निवेश बंद कर देते हैं। ऐसे खातों में नॉमिनी का इंफॉर्मेशन अपडेटेड नहीं होता है।
यह मसला सिर्फ म्यूचुअल फंड और स्टॉक्स तक सीमित नहीं है। देश की सबसे बड़ी म्यूचुअल फंड कंपनी LIC के पास ऐसे 21,500 करोड़ रुपये पड़े हैं जिनका कोई दावेदार नहीं है। प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियों के पास ही काफी बड़ा अमाउंट अनक्लेम्ड पड़ा हुआ है। देश में प्राइवेट सेक्टर के करोड़ों एंप्लॉयीज के रिटायरमेंट फंड का प्रबंधन करने वाले EPFO के पास 48,000 करोड़ रुपये अनक्लेम्ड पड़े हैं। RBI के डेटा के मुताबिक, बैंकों के पास 62,000 करोड़ रुपये के डिपॉजिट का कोई दावेदार नहीं है।
कुछ कंपनियां अनक्लेम्ड इनवेस्टमेंट या डिपॉजिट की समस्या के समाधान के लिए आगे आई हैं। ये कंपनियां अनक्लेम्ड इनवेस्टमेंट रिकवरी में स्पेशियलाइज्ड होती हैं। ये इंडिविजुअल और कंपनियों को अपनी सेवाएं देती हैं। इस सेवा में इनवेस्टमेंट आइडेंटिफिकेशन, डॉक्युमेंट कलेक्शन और वेरिफिकेशन आदि शामिल होता है। ये कंपनियां उस कंपनी या रेगुलेटरी बॉडी से बातचीत करती हैं, जिनमें इनवेस्ट्स का पैसा पड़ा होता है। ये कंपनियां प्रदर्शन आधारित मॉडल पर काम करती हैं। ये रिकवर किए गए अमाउंट का एक हिस्सा फीस के रूप में लेती हैं।
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