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‘विस्थापित सीरियाई लोगों पर स्वदेश वापसी के लिए कोई दबाव नहीं हो’, UNHCR

‘विस्थापित सीरियाई लोगों पर स्वदेश वापसी के लिए कोई दबाव नहीं हो’, UNHCR

संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी – UNHCR की प्रवक्ता शाबिया मंटू ने मंगलवार को जिनीवा में कहा कि 13 साल के गृहयुद्ध के कारण देश छोड़कर अन्यत्र सुरक्षित स्थानों को जाने के लिए मजबूर हुए लोग अब सीरिया वापिस लौटने पर विचार कर रहे हैं. 

मगर उनके सामने यह सवाल भी दरपेश है कि उनकी वापसी कितनी सुरक्षित होगी और उनके अधिकारों का किस हद तक सम्मान किया जाएगा.

प्रवक्ता ने कहा कि वापिस लौटने का फ़ैसला करने वाले लोगों को बिना किसी दबाव के इस बारे में फ़ैसला करने का अवसर मिलना चाहिए.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सभी शरणार्थियों को अपने मूल देश में अपनी पसन्द के समय वापस लौटने का मौलिक अधिकार है, और अगर इसमें कोई बदलाव होना है तो वह भी उन लोगों की तरफ़ से ही स्वैच्छिक, सम्मानजनक और सुरक्षित रूप में होना चाहिए.

शरण चाहने वालों की सुरक्षा

यूएनएचसीआर के अनुसार, सीरिया का गृहयुद्ध 2011 में उस समय भड़क उठा था जब लोकप्रिय सरकार विरोधी प्रदर्शनों का दमन किए जाने से, एक सशस्त्र संघर्ष पनपा था. 

यह गृहयुद्ध बहुत क्रूर रहा है और लम्बा भी चला है और उसमें लाखों लोग मारे गए हैं, 70 लाख सीरियाई लोग देश के भीतर ही विस्थापित हुए हैं, और 50 लाख से अधिक लोग शरण लेने के लिए पड़ोसी देशों में गए हैं. बहुत से सीरियाई शरणार्थी अन्य देशों में भी पहुँचे हैं.

यह संख्या देश का गृहयुद्ध शुरू होने के पहले ही कुल लगभग 2.3 करोड़ आबादी का लगभग आधा हिस्सा है.

कुछ योरोपीय देशों द्वारा, राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार के पतन के बाद के हालात में, सीरियाई लोगों के शरण या पनाह लेने के दावों पर निर्णयों को निलम्बित किए जाने की नीतियों के बारे में भी ख़बरें आई हैं.

इस बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में शाबिया मंटू ने दोहराया कि “कोई भी सीरियाई व्यक्ति या अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा चाहने वाला कोई भी व्यक्ति शरण प्रक्रियाओं तक पहुँचने में सक्षम होना चाहिए और उसके आवेदन की पूरी तरह से और व्यक्तिगत रूप से उसकी योग्यता के आधार पर जाँच की जानी चाहिए”.

सहायता पहुँचाने सम्बन्धी चुनौतियाँ

28 नवंबर को जब “सशस्त्र हयात तहरीर अल-शाम (HTS) गुट के नेतृत्व में विपक्षी बलों के गठबन्धन ने अपने गढ़ इदलिब से एक आक्रमण शुरू किया था, उसके बाद से, इदलिब, अलेप्पो, हमा और होम्स में दस लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं जिनमें अधिकांश महिलाएँ और बच्चे हैं.

इन विपक्षी ताक़तों ने राजधानी दमिश्क पहुँचने से पहले अलेप्पो, हमा और होम्स सहित दर्जनों इलाक़ों और रणनैतिक शहरों पर क़ब्ज़ा कर लिया था.

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (OCHA) के अनुसार, हाल के दिनों में विस्थापितों में से कुछ के, सीरिया में अपने घरों को वापिस लौटने की ख़बरें हैं.

एजेंसी के प्रवक्ता जेन्स लार्क ने यह भी बताया कि होम्स, हमा और राजधानी दमिश्क सहित, प्रभावित क्षेत्रों में मानवीय सहायता अभियान फिर से शुरू हो गए हैं.

प्रवक्ता ने कहा, “कल से, इदलिब और उत्तरी अलेप्पो में सभी मानवीय सहायता संगठनों ने फिर से काम करना शुरू कर दिया है.”

मानवीय सहायता में बढ़त

सीरिया के लिए संयुक्त राष्ट्र की उप विशेष दूत नजत रोश्डी ने जिनीवा में मानवीय कार्य बल की बैठक बुलाई, जिसमें नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने और सभी पक्षों द्वारा अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का सम्मान करने का आहवान किया गया.

उन्होंने सदस्य देशों से, टकराव और युद्ध से बचकर भाग रहे नागरिकों के लिए सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित करने के लिए दबाव बनाने का आहवान किया.

उन्होंने कहा कि स्कूलों और स्वास्थ्य सुविधाओं सहित आवश्यक बुनियादी ढाँचे को संरक्षित किया जाना चाहिए और नागरिकों के लिए हिंसा से बचकर, सुरक्षित रूप से भागने या घर लौटने के लिए मार्ग खुले छोड़े जाने चाहिए.

नजत रोश्डी ने सभी क्षेत्रों में सीरियाई लोगों के साथ सम्पर्क बनाए रखने का संकल्प व्यक्त किया, और आगे की अस्थिरता को रोकने के लिए अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की ज़िम्मेदारी को रेखांकित किया.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि लोगों को निर्बाध मानवीय सहायता उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है. लगातार बढ़ती ज़रूरतों के बावजूद मानवीय सहायता को धन की गम्भीर कमी का सामना करना पड़ रहा है. वर्ष 2024 के लिए आवश्यक $4.1 अरब डॉलर में से एक तिहाई से भी कम धनराशि मिल पाई है.

अस्पतालों पर है भारी बोझ

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियाँ और साझीदार संगठन, सीरिया के पश्चिमोत्तर इलाक़े में, बुनियादी सहायता प्रदान कर रहे हैं और लाभान्वितों में, नए विस्थापित लोग भी शामिल हैं.

OCHA के प्रवक्ता जेन्स लार्क ने कहा कि लोगों को भोजन, स्वास्थ्य और पोषण सेवाएँ प्रदान की गई हैं, साथ ही अलेप्पो में स्वच्छ पानी तक लोगों की पहुँच बढ़ाने के लिए सहायता भी प्रदान की गई है.

लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं पर भारी बोझ होने की ख़बरें हैं, प्रमुख अस्पताल कर्मचारियों, दवाओं और आपूर्ति की कमी के कारण सीमित क्षमता पर काम कर रहे हैं. 

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