मिस्त्र की राजधानी में चल रहे 12वें विश्व शहरी फ़ोरम (WUF12) के दौरान महिलाओं के एक गोलमेज़ सम्मेलन में, वक्ताओं ने वित्त एवं आवास सम्बन्धी मुद्दों पर चर्चा की, और स्थानीय स्तर पर महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए, पर्याप्त आवास उपलब्ध करवाने और साझेदारी विकसित करने पर बल दिया.
इन विषयों को, लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के लिए 1995 में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों द्वारा अपनाए गए ऐतिहासिक वैश्विक एजेंडे, बीजिंग कार्रवाई मंच के पैमाने पर मापा गया. इसका उद्देश्य तथा इस वर्ष के फ़ोरम के समक्ष मौजूद कुछ प्रमुख मुद्दे परस्पर मेल खाते हैं, जैसेकि महिलाएँ और ग़रीबी या फिर, महिलाएँ और पर्यावरण.
‘शुरूआत घरों से’
गोलमेज़ सम्मेलन में भाग लेने के बाद, यूएन न्यूज़ के साथ बातचीत में, कुआलालंपुर की मेयर और सतत शहरीकरण के लिए मलेशिया की विशेष दूत, मैमुना मोहम्मद शरीफ़ ने कहा कि हालाँकि महिलाएँ दुनिया की आबादी का 50 प्रतिशत हिस्सा हैं, लेकिन “हम निर्णय-निर्धारण में शामिल नहीं हैं.” यहाँ तक कि जलवायु परिवर्तन जैसे उन मुद्दों में भी नहीं, जिनका सर्वाधिक ख़ामियाज़ा महिलाओं को ही भुगतना पड़ता है.
इस द्विर्षीय फ़ोरम का आयोजन करने वाली यूएन एजेंसी, UN-Habitat की पूर्व-प्रमुख, मैमुना मोहम्मद शरीफ़ ने कहा, “जब हम उनकी ज़रूरतें पूरा करने के लिए ‘घर पर या स्थानीय’ स्तर पर काम शुरू करते हैं, तो महिलाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है. इसलिए, सभी स्तरों पर नेताओं को ईमानदारी से महिलाओं को निर्णय लेने में शामिल करना चाहिए.”
‘सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर’
मैमुना मोहम्मद शरीफ़ ने “किसी व्यक्ति या किसी स्थान को भी पीछे न छोड़ने” के लक्ष्य को पूरा करने के लिए समाज के प्रति एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया. उन्होंने कहा, महिलाओं की भागेदारी का समर्थन करने के लिए दो तत्वों की आवश्यकता है: “सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर.”
उन्होंने कहा, इस सन्दर्भ में “सॉफ़्टवेयर” का मतलब नैतिक समर्थन से है, जो “महिलाओं के लिए शिक्षा, सार्वजनिक सेवाओं, रोज़गार या फिर आवास तक पहुँच” के रास्ते खोल सकता है.
जहाँ तक ”हार्डवेयर” का सवाल है, मैमुना मोहम्मद शरीफ़ ने कुआलालंपुर समेत पूरे मलेशिया में शासन और निर्णयात्मक भूमिकाओं का उल्लेख किया, जिसमें न केवल रणनीतियाँ बनाते समय, बल्कि वास्तविक नीति निर्धारण में भी महिलाओं की भागेदारी शामिल थी.
‘महिलाएँ नेतृत्व कर सकती हैं’
कैनेडा के टोरेन्टो शहर से आईं 20 वर्षीय जलवायु न्याय कार्यकर्ता, सारा सैयद ने यूएन न्यूज़ से कहा कि अभी तक लग रहा है कि WUF12 “एक मज़बूत शुरुआत साबित होगी.”
सारा सैयद ने आगे कहा, “हमें इस गति को आगे बढ़ाते रहना होगा, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि विश्व शहरी फ़ोरम के अन्त तक हमारे पास युवजन को सम्वाद में शामिल करने की एक ठोस योजना हो.”
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि, “हमें युवा लड़कियों की शिक्षा में निवेश करने की ज़रूरत है, ख़ासतौर पर विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में. हमें युवा लड़कियों और महिलाओं के स्टार्टअप के साथ-साथ, व्यवसायों एवं उद्यमिता में निवेश करने की ज़रूरत है. साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनके पास अपनी योजनाओं को बढ़ाने के लिए वित्तपोषण व धनराशि तक उचित पहुँच हो.
सारा सैयद ने कहा कि इसके लिए नेतृत्व भी महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपने स्थानीय समुदायों, सरकारों और शहरी नियोजन परिषदों में नेतृत्व करने में सक्षम होना चाहिए.उन्होंने कहा, “महिलाओं में…नेतृत्व की अपार क्षमता मौजूद है.”
अफ़ग़ानिस्तान में सुरक्षित स्थान
बुधवार को गोलमेज़ बैठक के दौरान चर्चा में स्थानीय स्तर की कार्रवाई पर ध्यान केन्द्रित करने के अलावा, शहरों और कस्बों में महिलाओं के सामने मौजूद अवसरों और चुनौतियों पर भी विचार किया गया.
अफ़ग़ानिस्तान में UN-Habitat के कार्यालय की कन्ट्री प्रोग्राम मैनेजर, स्टैफ़नी लूज़ ने बताया कि चर्चा में महिलाओं की आवश्यक सेवाओं तक पहुँच बढ़ाने की रणनीतियों पर प्रकाश डाला गया.
स्टैफ़नी लूज़ ने यूएन न्यूज़ के साथ बातचीत में कहा, “यह सुनिश्चित करना बहुत ज़रूरी है कि महिलाओं को कुछ सार्वजनिक स्थान हासिल हो सकें. लेकिन साथ ही पर्याप्त आवासों तक उनकी पहुँच सुनिश्चित होनी भी आवश्यक है, क्योंकि यदि आप घर पर बहुत समय बिताते हैं, तो आपको ऐसे घर की ज़रूरत होगी, जहाँ आप सुरक्षित महसूस कर सकें.”
उन्होंने उदाहरण देते हुए राजधानी काबुल में UN-Habitat की एक परियोजना का ज़िक्र किया, जिसमें एजेंसी ने समुदायों के साथ मिलकर, एक अनौपचारिक बस्ती में सार्वजनिक स्थान परियोजना पर काम किया है.
यह अनौपचारिक बस्ती, खड़ी पहाड़ी पर स्थित है और यहाँ तक पहुँचने का कोई मार्ग नहीं है. इसे बनाते समय आपदा जोखिम सहनसक्षमता पर भी कोई विचार नहीं किया गया.
उन्होंने कहा कि UN-Habitat ने समुदाय के नेताओं के साथ मिलकर काम किया और पुरुषों एवं महिलाओं दोनों की सलाह से, “यह तय किया गया कि किस तरह एक ऐसे सार्वजनिक स्थान का निर्माण किया जा सकता है, जो लिंग-संवेदनशील हो, और महिलाओं को भी उस जगह का उपयोग करने की अनुमति देता हो.”
शून्य अपशिष्ट’ शहर
युगांडा में हरित अफ़्रीका युवा संगठन की कन्ट्री मैनेजर, घाना में जन्मी बैट्टी ओसेई बोनसू के अनुसार, प्रतिभागियों द्वारा उठाए गए कुछ अन्य मुद्दों में, सशक्तिकरण, समान अवसर और समावेशन प्रमुख रहे.
उन्होंने यूएन न्यूज़ को बताया कि उनके संगठन की परियोजना तीन प्रमुख विषयों पर केन्द्रित है: जलवायु परिवर्तन, आपदा जोखिम न्यूनीकरण और परिपत्र अर्थव्यवस्था.
उन्होंने उत्साहपूर्वक बताया, “हम अपनी सबसे बड़ी परियोजना, शून्य अपशिष्ट शहर परियोजना को बढ़ावा देने के लिए यहाँ आए हैं.”महिलाओं और लड़कियों का सशक्तिकरण, उनके काम का अहम हिस्सा है. मिसाल के तौर पर, उनकी संस्था एक परियोजना के तहत, खनन क्षेत्रों में महिलाओं और लड़कियों को मशरूम उगाने और स्थानीय स्तर पर साबुन बनाने के लिए कोको की भूसी का उपयोग करने के गुर सिखाती है.
साथ ही, वो मधुमक्खी पालन के ज़रिए, और स्थानीय स्तर पर हरित उत्पादों का उत्पादन व वितरण में मदद करके, महिलाओं एवं लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करते हैं.