विश्व

विश्व भर में, जबरन विस्थापितों की संख्या अपने रिकॉर्ड स्तर पर – UNHCR

यूएन एजेंसी ने गुरूवार को प्रकाशित अपनी नवीनतम रिपोर्ट में विस्थापन मामलों पर वैश्विक रुझान का खाका प्रस्तुत किया है.

रिपोर्ट बताती है कि मई 2024 में जबरन विस्थापित होने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 12 करोड़ तक पहुँच गई. यह लगातार 12वाँ साल है जब इस आँकड़े में वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है.

विश्व के अनेक हिस्सों में पहले से जारी और हाल के समय में भड़कने वाले युद्ध व हिंसक टकराव इसकी एक बड़ी वजह बताए गए हैं.

जबरन विस्थापितों की संख्या में रिकॉर्ड उछाल के लिए, सूडान में परस्पर विरोधी सैन्य बलों के बीच युद्ध भी एक कारण है, जहाँ 2023 के अन्त तक एक करोड़ से अधिक लोग विस्थापित हो चुके थे.

वहीं, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) में लाखों लोग देश की सीमाओं की भीतर विस्थापित हुए हैं. म्याँमार में भी यही हालात हैं, जहाँ सेना और अलगाववादी गुट के बीच भीषण लड़ाई में तेज़ी आई है.

रिपोर्ट में फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) के अनुमानों का हवाला दिया गया है, जिनके अनुसार, ग़ाज़ा पट्टी की क़रीब 75 प्रतिशत आबादी, 17 लाख लोग, जबरन विस्थापन का शिकार हुए हैं.

सबसे अधिक विस्थापितों के नज़रिये, सीरिया में हालात सबसे ख़राब हैं, जहाँ देश की सीमाओं के भीतर और अन्य देशों में 1.38 करोड़ लोग विस्थापित हैं.

यूएन एजेंसी के उच्यायुक्त फ़िलिपो ग्रैंडी ने कहा कि इन चौंकाने वाले आँकड़ों और विस्थापितों की बढ़ती संख्या के पीछे, मानव त्रासदी की अनगिनत दास्तान हैं. उनकी पीड़ा को समझ करके, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को तुरन्त क़दम उठाने होंगे, ताकि जबरन विस्थापन के मूल कारणों को हल किया जा सके.

पाँच वर्ष में, 50 प्रतिशत वृद्धि

यूएन एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हिंसक टकराव से जान बचाकर भागने की कोशिश में अपने देश की सीमाओं के भीतर ही विस्थापित होने वाले लोगों की संख्या से यह वृद्धि सबसे अधिक हुई है.

आन्तरिक विस्थापन निगरानी केन्द्र के अनसार, यह संख्या बढ़कर 6.83 करोड़ लोगों तक पहुँच गई है, जोकि पिछले पाँच वर्षों में 50 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी को दर्शाता है.

इसके अलावा, शरणार्थियों और अन्तरराष्ट्रीय संरक्षण की तलाश कर रहे लोगों की संख्या बढ़कर 4.34 करोड़ पहुँच गई है.

फ़िलिपो ग्रैंडी ने कहा कि युद्धरत पक्षों को अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का सम्मान करना होगा और यह ध्यान रखना होगा कि बेहतर सहयोग और हिंसक टकरावस मानवाधिकार हनन, जलवायु संकट से निपटने के लिए समन्वित प्रयासों के बिना, विस्थापितों की संख्या में वृद्धि जारी रहेगी.

यह लोगों के लिए एक बड़ी पीड़ा का सबब है, और इस स्थिति से निपटने के लिए ख़र्चीले मानवतावादी सहायता अभियान की दरकार होती है.

शरणार्थियों की घर वापसी

यूएन एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व भर में 50 लाख से अधिक आन्तरिक विस्थापित और 10 लाख शरणार्थी, वर्ष 2023 में अपने घर लौट आए. इसी साल, फिर से बसाए जाने वाले शरणार्थियों की संख्या बढ़कर एक लाख 54 हज़ार तक पहुँच गई.

उच्चायुक्त ग्रैंडी ने कहा कि पिछले वर्ष लाखों लोग अपने घर लौट पाए, जोकि आशा की एक महत्वपूर्ण किरण है. समाधान मौजूद हैं, और हमने देखा है कि केनया जैसे देशों ने किस तरह शरणार्थियों के समावेश के लिए रास्ता दिखाया है. मगर, इसके लिए वास्तविक संकल्प की ज़रूरत होगी.

फ़िलिपो ग्रैंडी के अनुसार, शरणार्थियों और उनके मेज़बान देशों को एकजुटता व मदद बढ़ाने वाले हाथ की आवश्यकता होगी. उनको जिन समाजों का हिस्सा बनाया जाता है, वहाँ वे काफ़ी कुछ योगदान दे सकते हैं. 

इस क्रम में, यूएन एजेंसी ने नए तौर-तरीक़ों और समाधानों पर काम करने की प्रतिबद्धता जताई है ताकि विश्व भर में लाखों विस्थापितों तक मदद पहुँचाई जा सके.

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