यूएन की शीर्ष अधिकारी ने विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर सन्धि में सम्बद्ध पक्षों के 17वें सम्मेलन (COSP17) को सम्बोधित करते हुए यह बात कही है, जो मंगलवार को न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में आरम्भ हुआ है.
13 जून तक जारी रहने वाला यह COSP17 सम्मेलन, वैश्विक स्तर पर विकलांगजन के अधिकारों पर केन्द्रित सबसे बड़ी बैठक है. विश्व भर से सैकड़ों विकलांगजन, ग़ैर-सरकारी संस्थाएँ, प्रतिनिधि, नागरिक समाज कार्यकर्ता समेत अन्य लोग इस सम्मेलन में शिरकत कर रहे हैं.
इस दौरान विकलांग व्यक्तियों के जीवन में बेहतरी लाने के उपायों, उनके लिए कामकाज के अवसर व चुनौतियों, अत्याधुनिक तकनीक, मानवीय संकट तथा संघर्ष व जलवायु आपदाओं पर चर्चा होगी.
उपमहासचिव आमिना मोहम्मद ने अपने सम्बोधन में कहा कि विकलांगजन के लिए तीन अहम क्षेत्रों में बड़ी कमियाँ हैं, जिन्हें दूर किया जाना होगा: टैक्नॉलॉजी, मानवीय आपात स्थिति, और रोज़गार.
विकलांगजन के लिए सहायक टैक्नॉलॉजी की आवश्यकता है, मगर फ़िलहाल यह पूरी नहीं हो पा रही है.
एक अनुमान के अनुसार, ढाई अरब लोगों को कम से कम एक प्रकार की सहायक टैक्नॉलॉजी की आवश्यकता होगी. मगर ज़रूरतमन्द आबादी में इसकी सुलभता विषमतापूर्ण है.
उदाहरणस्वरूप, निम्न-आय वाले देशों में इन टैक्नॉलॉजी की सुलभता 3 फ़ीसदी है तो कुछ उच्च-आय वाले देशों में यह 90 प्रतिशत तक है.
इसका एक बड़ा कारण, टैक्नॉलॉजी हस्तांतरण का अभाव है, चूँकि सहायक टैक्नॉलॉजी में 80 प्रतिशत से अधिक नवाचारी समाधान, केवल तीन देशों में उभर रहे हैं: चीन, जापान, अमेरिका.
समान अवसरों पर बल
यूएन उप प्रमुख के अनुसार, फ़िलहाल विकलांगता की अवस्था में जीवन गुज़ार रहे 39 प्रतिशत व्यक्तियों को मानवीय आपात स्थिति या जोखिमपूर्ण हालात में सुरक्षित बाहर निकलने में मुश्किलें पेश आएंगी.
“यह अस्वीकार्य है. 2013 के बाद से यह प्रतिशत लगभग इतना ही रहा है.”
इसके मद्देनज़र, उन्होंने विकलांग व्यक्तियों की ज़रूरतों को आधिकारिक रूप से आपदा तैयारी योजना में शामिल करने की अपील की है, ताकि जोखिमों और उनके सामने मौजूद अवरोधों को कम किया जा सके.
उपमहासचिव ने कहा कि क़रीब 79 देशों में विकलांगजन के साथ रोज़गार क्षेत्र में भेदभाव को रोकने के लिए क़ानून हैं, मगर ये उपाय अक्सर सख़्ती से लागू नहीं किए जाते हैं और इस वजह से भर्तियों में उनका असर होता है.
इस पृष्ठभूमि में, उन्होंने समावेशी ढंग से लोगों को भर्ती किए जाने और विकलांगजन के लिए शिष्ट एवं उपयुक्त रोज़गार सुनिश्चित किए जाने पर बल दिया है.
भेदभाव को दूर करना होगा
यूएन महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ़्रांसिस ने कहा कि विश्व भर में 1.3 अरब विकलांगजन, सबसे नाज़ुक हालात में रहने वाले आबादी में हैं, जिन्हें ग़ैर-आनुपातिक ढंग से निर्धनता, हाशिएकरण व भेदभाव का सामना करना पड़ता है.
उन्होंने क्षोभ व्यक्त किया कि महिलाओं व लड़कियों के लिए हालात विशेष रूप से चिन्ताजनक हैं. महासभा प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि विकलांग व्यक्तियों ने ऐसे कई सकारात्मक उदाहरण पेश किए हैं, जिनसे प्रेरणा ली जा सकती है.
ये साबित करते हैं कि जब विकलांगजन को सशक्त बनाया जाता है, वे उनमें निहित सम्भावनाओं को साकार कर सकते हैं.
COSP17 सम्मेलन के अध्यक्ष तारेक लादेब ने कहा कि यह सम्मेलन हमें अपने अनुभवों और अब तक लिए गए सबक़ पर सामूहिक रूप से चिन्तन-मनन करने का एक अनूठा अवसर है.
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही विकलांगजन के अधिकारों पर सन्धि को लागू करने में व्याप्त मौजूदा खाइयों की भी शिनाख़्त की जानी होगी.
टिकाऊ विकास लक्ष्य के 2030 एजेंडा के अनुरूप नीतिगत उपायों और ज़मीनी स्तर पर तौर-तरीक़ों को बेहतर बनाए जाने की आवश्यकता है.
COSP17 सम्मेलन
इस तीन-दिवसीय सम्मेलन के दौरान, यूएन के सदस्य देश और ग़ैर-सरकारी संगठन अपनी सफलताओं व मौजूदा चुनौतियों का रिपोर्ट कार्ड पेश करेंगे और प्रगति मार्ग की बाधाओं को हटाने के तरीक़े खोजेंगे, ताकि विकलांगता के साथ जी रहे व्यक्ति अपने सम्पूर्ण अधिकार हासिल कर सकें.
2008 में यह सन्धि लागू होने के बाद से ही, 191 सदस्य देशों द्वारा अपनाई गई इस अभूतपूर्व संधि के कार्यान्वयन की निगरानी हेतु, हर वर्ष COSP की बैठक आयोजित की जाती है.
इस वर्ष के एजेंडे में, मानवीय आपात परिस्थितियों, शिष्ट एवं उपयुक्त कामकाज, टिकाऊ आजीविका तथा समावेशी भविष्य के लिए प्रौद्योगिकी नवाचारों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा.