वसीयत (Will) बनाने से संपत्ति को लेकर परिवार के सदस्यों के बीच लड़ाई की गुंजाइश नहीं रह जाती है। इसके बावजूद वसीयत लिखने में लोगों की दिलचस्पी ज्यादा नहीं होती है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि इसके लिए वसीयत लिखने के लिए खुद और परिवार के सदस्यों के बारे में कई जानकारियां जरूरी हैं। अगर बेनेफिशियरीज में कोई रिश्तेदार शामिल है तो उसकी भी जानकारियां जरूरी हैं। इसलिए वसीयत लिखने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि आपको कौन-कौन सी जानकारियों की जरूरत पड़ेगी।
पहले जुटा लें ये जानकारियां
वसीयत के लिए कस्टमर आईडी, सेविंग्स अकाउंट नंबर, डीमैट अकाउंट नंबर, इंश्योरेंस पॉलिसी नंबर जैसी जानकारियां जरूरी हैं। ज्वाइंट अकाउंट और इनवेस्टमेंट की स्थिति में ज्वाइंट होल्डर्स के नाम भी चाहिए। इन सभी जानकारियों को जुटाना मुश्किल काम हो सकता है। इसलिए पहले से इन जानकारियों को जुटा लेना ठीक रहेगा। इससे वसीयत लिखने के दौरान दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा।
सेविंग्स अकाउंट्स के बारे में बताना होगा
सभी बैंकों में आपके सेविंग्स/करेंट अकाउंट के साथ ही एफडी और आरडी की जानकारी वसीयत में बतानी होगी। सेविंग्स अकाउंट के नंबर तो नहीं बदलते हैं लेकिन एफडी के नंबर बदल जाते हैं। इसकी वजह यह है कि एक एफडी मैच्योर होने पर उसका नंबर बेकार हो जाता है। फिर व्यक्ति दूसरा एफडी ओपन कर लेता है। इसलिए वसीयत में सभी एफडी के नबंर लिखने की जगह सिर्फ सेविंग्स अकाउंट्स और उनसे लिंक्ड एफडी और आरडी के नंबर बताना पर्याप्त होगा।
म्यूचुअल फंड्स निवेश की भी देनी होगी जानकारी
एनएसडीएल की कॉमन अकाउंट सर्विसेज (CAS) सभी म्यूचुअल फंड्स और डीमैट अकाउंट की जानकारी कलेक्ट करती है। इससे म्यूचुअल फंड्स के फोलियो तऔर डीमैट अकाउंट के नबंर मिल जाएंगे। चूंकि फोलियो नंबर बदलता रहता है जिससे पैन से लिंक्ड म्यूचुअल फंड्स के बारे में बताना पर्याप्त होगा। इसके साथ ही लेटेस्ट CAS स्टेटमेंट अटैच किया जा सकता है।
प्रॉपर्टी की पूरी डिटेल है जरूरी
स्मॉल सेविंग्स स्कीम, इंश्योरेस और दूसरे फाइनेंशियल इनवेस्टमेंट्स आम तौर पर फिजिकल फॉर्म में होते हैं। इसलिए इन सभी के यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर, फोलियो नंबर और पॉलिसी नंबर वसीयत में देना जरूरी है। प्रॉपर्टी के बारे में पूरी जानकारी वसीयत में होना जरूरी है। इनमें प्रॉपर्टी का पता, प्लाट नंबर, सर्वे नंबर और सभी ज्वाइंट ओनर्स के नाम जरूरी हैं। सभी एसेट की डिटेल वसीयत में देना अनिवार्य नहीं है। लेकिन, ऐसा करने से वसीयत लिखने वाले के निधन के बाद प्रॉपर्टी को लेकर लड़ाई की आशंका खत्म हो जाती है।
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