विश्व

लैंगिक खाई को पाटने की सुस्त रफ़्तार, निवेश व प्रयासों में तेज़ी लाने की पुकार

महिला सशक्तिकरण के लिए यूएन संस्था (UN Women) और आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के लिए यूएन विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट में लैंगिक असमानता का उन्मूलन करने के लिए सिफ़ारिशों का पुलिन्दा भी प्रस्तुत किया गया है.

सोमवार को प्रकाशित Progress on the Sustainable Development Goals: The Gender Snapshot 2024, नामक इस रिपोर्ट के अनुसार, चरम निर्धनता में जीवन गुज़ार रही लड़कियों व महिलाओं के अनुपात में कमी आई है.

कोविड-19 महामारी के दौरान इस आँकड़े में वृद्धि दर्ज की गई थी, मगर अब यह गिरकर 10 प्रतिशत से नीचे चला गया है. हर चार संसदीय सीटों में से एक पर महिला सांसद है, जोकि एक दशक पहले की तुलना में बड़ी उपलब्धि है.

वहीं, दुनिया भर में 56 क़ानूनी सुधार लागू किए गए हैं, जिनमें लैंगिक खाई को भरने का प्रयास किया जा रहा है.

इसके बावजूद, रिपोर्ट में प्रस्तुत डेटा के अनुसार, लैंगिक समानता हासिल करने के लिए निर्धारित पाँचवे टिकाऊ विकास लक्ष्य के सभी संकेतक फ़िलहाल पहुँच से दूर हैं.

यूएन वीमैन की कार्यकारी निदेशक सीमा बहाउस ने बताया कि यह रिपोर्ट एक ऐसा सच बताती है, जिसे नकारा नहीं जा सकता है. प्रगति को हासिल किया जा सकता है, मगर यह जल्दी नहीं हो पा रहा है.

इसके मद्देनज़र, उन्होंने महिलाओं व लड़कियों के समक्ष मौजूद सभी अवरोधों को हटाने की अपील की है, और लैंगिक समानता को आकाँक्षा से आगे बढ़कर वास्तविकता में तब्दील करने की पुकार लगाई है.

समानता का लम्बा सफ़र

प्रगति की मौजूदा रफ़्तार से, संसदों में लैंगिक समता हासिल कर पाना एक सपना ही बने रहने की आशंका है, और इसे 2063 तक साकार करना सम्भव नहीं होगा.

सभी महिलाओं व लड़कियों को निर्धनता के गर्त से बाहर निकालने के लिए 137 वर्षों का समय लगेगा. हर चार में से एक लड़की की बचपन में शादी कराई जाती रहेगी, जबकि 2092 तक ही बाल विवाह का उन्मूलन हो सकेगा.

यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि विश्व नेता, सितम्बर 22-23 को न्यूयॉर्क में भविष्य की शिखर बैठक में हिस्सा लेने के लिए तैयारी कर रहे हैं.

“उनसे आग्रह है कि लैंगिक खाई को भरने, लैंगिक समानता हासिल करने और सभी लड़कियों व महिलाओं के सशक्तिकरण को आगे बढ़ाने के लिए अन्तरराष्ट्रीय सहमति को मूर्त रूप मिले. यह दूर नज़र आने वाला एक लक्ष्य है, लेकिन इसे हासिल किया जा सकता है.“

लैंगिक खाई की विशाल क़ीमत

रिपोर्ट में ज़ोर देकर कहा गया है कि लैंगिक असमानता की एक बड़ी क़ीमत चुकाई जाती है. उदाहरणस्वरूप, अपनी युवा आबादियों को पर्याप्त स्तर पर शिक्षित करने में विफल रहने वाले देशों को हर साल कुल 10 हज़ार अरब डॉलर की चपत लगती है. 

निम्न- और मध्य-आय वाले देश, यदि डिजिटल माध्यमों पर लैंगिक खाई को भरने में नाकाम रहे, तो उन्हें अगले पाँच साल में 500 अरब डॉलर का नुक़सान उठाना पड़ सकता है.

इसके मद्देनज़र, यूएन वीमैन ने टिकाऊ विकास एजेंडा के तहत आने वाले सभी क्षेत्रों में लैंगिक असमानता के उन्मूलन के लिए सिफ़ारिशें प्रस्तुत की हैं. इनमें क़ानूनी सुधार भी है. जैसेकि जिन देशों में घरेलू हिंसा से निपटने के लिए क़ानूनी प्रावधान मौजूद हैं, वहाँ अंतरंग साथी द्वारा हिंसा को अंजाम देने की दर कम होती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि आगामी भविष्य की शिखर बैठक, बीजिंग घोषणापत्र व कार्रवाई प्लैटफ़ॉर्म की 30वीं वर्षगाँठ पर निर्णायक क़दम उठाने होंगे. 

महिलाओं व लड़कियों के विरुद्ध भेदभाव का अन्त करना होगा, और उनके बेहतर जीवन के लिए निवेश किया जाना होगा ताकि टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा को साकार किया जा सके. 

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