यूएन मिशन ने रविवार को जारी अपने एक वक्तव्य में बताया कि स्थानीय समयानुसार, सुबह साढ़े चार बजे इसराइली सेना के दो मरकावा टैंकों ने तैनाती स्थल के मुख्य द्वार को ध्वस्त कर दिया और जबरन वहाँ प्रवेश किया.
“उन्होंने अनेक बार शिविर से वहाँ की बत्तियाँ बन्द करने का आग्रह किया.”
यूएन मिशन ने इस घटना पर अपना विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि इसराइली सैन्य बलों की उपस्थिति से शान्तिरक्षकों के लिए ख़तरा है. इसके बाद क़रीब 43 मिनट बाद ये टैंक वहाँ से बाहर गए.
सुबह 6.40 पर, इसी शिविर पर तैनात शान्तिरक्षकों ने बताया कि लगभग 100 मीटर दूर कई राउंड की गोलीबारी हुई है, जिससे वहाँ धुँआ व्याप्त है.
बताया गया है कि शान्तिरक्षकों द्वारा रक्षात्मक मास्क पहने जाने के बावजूद, शिविर में धुँआ फैल जाने से क़रीब 15 शान्तिरक्षकों को स्वास्थ्य मुश्किलें झेलनी पड़ी हैं. प्रभावित शान्तिरक्षकों का उपचार किया जा रहा है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा स्थापित UNIFIL मिशन का दायित्व, इसराइल और हिज़बुल्लाह गुट के बीच लड़ाई पर विराम की निगरानी करना, दक्षिणी लेबनान से इसराइली सैनिकों की वापसी सुनिश्चित करना और इस क्षेत्र में लेबनान सरकार की राजसत्ता को बहाल करना है.
तनाव में वृद्धि
ग़ाज़ा युद्ध की पृष्ठभूमि में, दक्षिणी लेबनान में इसराइल के हवाई व ज़मीनी हमलों में पिछले कुछ दिनों में तेज़ी आई है, वहीं हिज़बुल्लाह की ओर से इसराइल पर रॉकेट हमले किए गए हैं.
इसराइल और लेबनान को अलग करने वाली रेखा ‘ब्लू लाइन’ पर तैनात यूएन शान्तिरक्षक भी हिंसा की चपेट में आए हैं और अब तक पाँच शान्तिरक्षक घायल हो चुके हैं.
यूएन मिशन ने पिछले कुछ दिनों में इसराइली सेना समेत सभी पक्षों को ध्यान दिलाया है कि उनके लिए तयशुदा दायित्व के अनुरूप, यूएन कर्मचारियों व सम्पत्ति की रक्षा की जानी होगी और यूएन परिसर के किसी भी प्रकार के उल्लंघन से बचना होगा.
UNIFIL के अनुसार, शान्तिरक्षकों पर जानबूझकर किया गया किसी भी प्रकार का हमला, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून व सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1701 का उल्लंघन होगा, जिसे 2006 में पारित किया गया था.
यूएन मिशन ने अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के उल्लंघन मामले में इसराइली सेना से स्पष्टीकरण मांगा है.