बताया गया है कि इसराइल ने दक्षिणी लेबनान के कई गाँवों और एक फ़लस्तीनी शरणार्थी कैम्प से लोगों को हटने का आदेश दिया है.
यूएन एजेंसी के अनुसार, यह पहली बार है कि इसराइली सेना ने लेबनान में किसी फ़लस्तीनी शरणार्थी शिविर को खाली करने के लिए कहा है. साथ ही, बालबेक शहर के निवासियों को दो दिन में दूसरी बार घर छोड़कर जाने के लिए आदेश दिया गया है.
OCHA ने बताया कि बुधवार को बेदख़ली आदेश और बालबेक व नज़दीकी इलाक़ों में हवाई हमलों के बाद हज़ारों लोग विस्थापित होने के लिए मजबूर हुए हैं, और गुरूवार को भी यह जारी है.
अनेक प्रभावितों ने सुरक्षा की तलाश में कठिन परिस्थितियों में अपने वाहनों में रात गुज़ारी है.
संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने न्यूयॉर्क में पत्रकारों को लेबनान में यूएन मिशन (UNIFIL) की गतिविधियों से अवगत कराया, जिसके शान्तिरक्षक अपने तैनाती स्थलों पर मौजूद हैं और हालात की निगरानी कर रहे हैं.
यूएन मिशन के अनुसार, इसराइली सैन्य बलों और हिज़बुल्लाह के बीच भीषण झड़पें हुई हैं. इसराइल ने दक्षिणी लेबनान, बालबेक और राजधानी बेरूत में हमले किए हैं, जबकि हिज़बुल्ला के रॉकेट हमलों में उत्तरी इसराइल में पाँच लोगों की जान गई है.
UNIFIL शान्तिरक्षक लेबनान व इसराइल को अलग करने वाली रेखा ब्लू लाइन पर ग़श्त लगा रहे हैं. बुधवार को यूएन मिशन के एक तैनाती स्थल को विस्फोट में नुक़सान पहुँचा है.
यूएन प्रवक्ता ने लड़ाई में आई तेज़ी पर चिन्ता जताते हुए संयुक्त राष्ट्र परिसर और शान्तिरक्षकों का सम्मान किए जाने की अपील दोहराई और कहा कि युद्ध पर विराम लगाना होगा.
बच्चों पर गहरा असर
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की प्रमुख कैथरीन रसैल ने चेतावनी जारी की है कि लेबनान में जारी लड़ाई से बच्चे, शारीरिक व भावनात्मक तौर पर पीड़ित हैं.
लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अक्टूबर 2023 तक 166 बच्चों की जान गई है, 1,168 घायल हुए हैं और यह आँकड़ा निरन्तर बढ़ता जा रहा है.
इस वर्ष 4 अक्टूबर के बाद से अब तक, हर दिन कम से कम एक बच्चे की जान गई है और 10 घायल हुए हैं. लम्बे समय से जारी बमबारी में किसी तरह जान बचाने वाले लोग अब हिंसा व अपने आसपास हुई उथलपुथल से गहरे तनाव में हैं.
यूनीसेफ़ प्रमुख ने कहा कि उनका संगठन ज़मीनी स्तर पर ह़ज़ारों बच्चों और देखभालकर्मियों को समर्थन मुहैया करा रहा है, मगर इन हालात से तभी उबरा जा सकता है जब हिंसा पर विराम लगाया जाए.
गर्भवती महिलाओं के लिए चिन्ता
लेबनान में संयुक्त राष्ट्र टीम ने बताया है कि हज़ारों गर्भवती महिलाओं के लिए चुनौतियाँ पनपी हैं और वे युद्धग्रस्त क्षेत्र में प्रसव और उसकी जटिलताओं से जूझ रही हैं.
यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के लिए यूएन एजेंसी (UNFPA) ने बताया कि बमबारी की वजह से साढ़े 11 हज़ार से अधिक गर्भवती महिलाओं पर असर हुआ है.
इनमें से अनेक विस्थापित महिलाओं ने आश्रय स्थलों पर शरण ली है, उनकी बचत समाप्त हो गई है और उनके पास मेडिकल सहायता पाने का कोई ज़रिया नहीं है. नवम्बर महीने में क़रीब 1,300 महिलाओं द्वारा बच्चों को जन्म दिए जाने की सम्भावना है.
यूएन एजेंसी का कहना है कि बहुत सी महिलाएँ पिछले एक वर्ष से अपने घर से दूर हैं और उनका स्त्री रोग विशेषज्ञों से कोई सम्पर्क नहीं बचा है.
UNFPA की टीम लेबनान में स्वास्थ्य प्रशासन के साथ मिलकर समन्वित प्रयास कर रहा है ताकि दाइयों की संख्या बढ़ाकर गर्भवती महिलाओं की मदद की जा सके और शरण स्थलों पर महिलाओं को गरिमा किट वितरित की जा सके.