बताया गया है कि एक इसराइली हवाई हमले में लेबनान और सीरिया की सीमा के पास स्थित एक चौकी को नुक़सान पहुँचा है, जहाँ से लोग जान बचाकर भागने की कोशिश कर रहे थे.
यूएन शरणार्थी एजेंसी के प्रमुख फ़िलिपो ग्रैंडी ने कहा कि आम नागरिकों के लिए सुरक्षा की तलाश में भागना और उनकी देखभाल करना कठिन व ख़तरनाक होता जा रहा है.
इसराइली हवाई हमलों और बमबारी से देश के अनेक हिस्से दहल रहे हैं. ग़ाज़ा युद्ध की पृष्ठभूमि में, 8 अक्टबूर 2023 से अब तक 2,867 लोगों की जान जा चुकी है, 13 हज़ार से घायल हुए हैं.
सवा आठ लाख से अधिक लोग देश की सीमाओं के भीतर विस्थापित हुए हैं. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार, स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों पर 36 हमलों की पुष्टि हुई है, 85 स्वास्थ्यकर्मी मारे गए हैं.
यूएन मानवतावादी कार्यालय के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में टकराव में तेज़ी आई है और इसराइली सैन्य बलों ने बालबेक और नबातिए में निवासियों को विस्थापित होने के लिए आदेश जारी किए हैं. इसके कुछ ही देर बाद, इन इलाक़ों को निशाना बनाया गया है.
बुनियादी ढाँचे को नुक़सान
इसराइली हमलों से लेबनान में महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा ध्वस्त हुआ है, अस्पतालों पर भीषण बोझ है और उन्हें जल्द से जल्द रक्त की आवश्यकता है.
लेबनान के लिए यूएन मानवतावादी समन्वयक इमरान रिज़ा ने आम नागरिकों और प्रतिष्ठानों को निशाना बनाए जाने की निन्दा की है और निर्बल आबादी की रक्षा के लिए टकराव पर विराम लगाने का आग्रह किया.
इसराइल ने 30-31 अक्टूबर को बालबेक शहर क निवासियों को अपने घरों से जाने के लिए आदेश दिया है. अनेक लोगों ने ठंड और ख़राब सुरक्षा हालात के बीच अपने वाहनों में रात गुज़ारी. ऐसे ही आदेश लेबनान में कुछ अन्य शहरों में भी जारी किए गए हैं, जिससे संकट और गहरा गया है.
31 अक्टूबर को, इसराइली सेना ने एक फ़लस्तीनी शरणार्थी शिविर को जगह खाली करने का आदेश दिया. यह पहली बार है जब लेबनान में फ़लस्तीनी आबादी के लिए ऐसा आदेश दिया गया है. वहाँ के निवासियों को कठिन निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है और सुरक्षित आश्रय के लिए उनके पास ज़्यादा विकल्प नहीं हैं.
ख़तरनाक हालात
लेबनान में स्वास्थ्यकर्मियों को बेहद ख़तरनाक परिस्थितियों में काम करना पड़ रहा है. हिंसा का देश में 11 हज़ार गर्भवती महिलाओं पर भी असर हुआ है, जिनमें से 1,300 महिलाएँ जल्द ही बच्चों को जन्म देंगी.
स्वास्थ्य प्रणाली पर दबाव के बीच, यौन एवं प्रजनन मामलों के लिए यूएन एजेंसी (UNFPA) ज़रूरतमन्द महिलाओं व विस्थापितों के लिए ज़रूरी मेडिकल, मनोसामाजिक और अन्य प्रकार की मदद सुनिश्चित कर रही है.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने भी चेतावनी जारी की है कि युद्ध का बच्चों पर शारीरिक व भावनात्मक असर हुआ है, और वे क्रोधित हैं और सदमे व बेचैनी में हैं.
भरपेट भोजन नहीं
लेबनान में खाद्य सुरक्षा की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. अप्रैल से सितम्बर 2024 तक, 13 लाख लोग यानि देश की कुल आबादी का 23 फ़ीसदी, खाद्य असुरक्षा के ऊँचे स्तर से ग्रस्त था.
इसके मद्देनज़र, यूएन विशेषज्ञों ने ज़रूरतमन्दों के लिए भोजन, नक़दी समर्थन और कृषि कार्य के लिए सहायता का आग्रह किया है ताकि लेबनान में संकट से जूझ रही आबादी तक मदद पहुँचाई जा सके.
युद्ध के कारण लेबनान में आर्थिक संकट भी क़ायम है और सकल घरेलू उत्पाद में 15 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है. कृषि व पर्यटन जैसे सैक्टर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, मुद्रास्फीति बढ़ी है और सप्लाई चेन के लिए कठिनाई बढ़ी हैं.