यूएन प्रमुख के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने उनकी ओर से एक वक्तव्य जारी किया, जिसमें उन्होंने हिंसा के इस चक्र पर विराम लगाए जाने का आग्रह किया है. और सभी पक्षों से आग्रह किया है कि तबाही के कगार से वापिस लौटना होगा.
दक्षिणी इसराइल में हमास व अन्य चरमपंथी गुटों द्वारा 7 अक्टूबर 2023 को हमले किए जाने और फिर ग़ाज़ा पट्टी में जवाबी इसराइली कार्रवाई के बाद से ही हिज़बुल्लाह व इसराइल के बीच टकराव रहा है.
दक्षिणी लेबनान और इसराइल को अलग करने वाली सीमा रेखा, ब्लू लाइन पर गोलाबारी होती रही है. मगर कुछ दिन पहले, लेबनान में बड़ी संख्या में पेजर व संचार उपकरणों के फटने से हिज़बुल्लाह गुट के सदस्य हताहत हुए, जिसके जवाब में इसराइल पर रॉकेट हमले किए गए.
इसके बाद इसराइली सैन्य बलों ने लेबनान में भीषण हमले किए गए हैं, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान गई है और हज़ारों अपने घर से विस्थापित होने के लिए मजबूर हुए हैं. शुक्रवार को हुए इसराइली हमले में हिज़बुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह के मारे जाने की ख़बर है.
महासचिव गुटेरेश ने कहा कि लेबनान की जनता, इसराइल और वृहद क्षेत्र के लोग, पूर्ण स्तर पर युद्ध भड़कने का जोखिम मोल नहीं ले सकते हैं.
उन्होंने सभी पक्षों से यूएन सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1701 को पूर्ण रूप से लागू किए जाने और टकराव पर विराम लगाने का आग्रह किया.
प्रस्ताव 1701 को वर्ष 2006 में पारित किया गया था, जिसका उद्देश्य लेबनान में इसराइल व हिज़बुल्लाह के बीच भड़के युद्ध का अन्त करना था. इसमें टकराव पर विराम लगाने, इसराइली सैनिकों को वापिस बुलाने और असैन्यीकृत ज़ोन स्थापित करने की बात कही गई है.
महासचिव गुटेरेश ने ग़ाज़ा पट्टी में तुरन्त युद्धविराम लागू किए जाने और सभी बन्धकों को बिना किसी शर्त के तत्काल रिहा करने की अपील दोहराई है.
हज़ारों विस्थापन का शिकार
बेरूत में इसराइली हमलों की वजह से सामूहिक विस्थापन की एक नई लहर शुरू हुई है. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने अपने आश्रय सहायता अभियान के दायरे में विस्तार किया है, ताकि विस्थापन का शिकार परिवारों को मदद दी जा सके.
पाँच हज़ार से अधिक लोगों को आपात सहायता सामग्री वितरित की गई है. बड़ी संख्या में लोग लेबनान से सीरिया के सीमावर्ती इलाक़ों में जा रहे हैं. पिछले एक हफ़्ते के दौरान सवा लाख से अधिक लोग अपने घरों से विस्थापित होने के लिए मजबूर हुए हैं.
शरणार्थी मामलों के लिए यूएन एजेंसी (UNHCR) के अनुसार, इनमें महिलाएँ, बच्चे व वृद्धज़न हैं, जो बिना भोजन व जल के कई घंटे का सफ़र तय करने के बाद वहाँ पहुँचे हैं.
युद्ध का दंश
लेबनान में इसराइली हमलों के कारण जबरन अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होने वाले लोगों में फ़लस्तीनी शरणार्थी भी हैं.
मौजूदा हालात में फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) ज़रूरतमन्दों तक सहायता पहुँचाने के काम में जुटी है.
इस क्रम में, देश के अनेक हिस्सों में सात आपात आश्रय स्थल का प्रबंधन किया गया है, जहाँ डेढ़ हज़ार से अधिक लोगों ने शरण ली है. इनमें लेबनानी नागरिक और फ़लस्तीनी व सीरियाई शरणार्थी हैं.
यूएन एजेंसी के महाआयुक्त फ़िलिपे लज़ारिनी ने बताया कि निरन्तर बमबारी जारी रहने, अनिश्चितता व भय की वजह से बड़ी संख्या में लोग सदमे से जूझ रहे हैं. उन्होंने आगाह किया कि यदि युद्ध का और अधिक विस्तार होता है तो आम नागरिकों के लिए बड़े स्तर पर पीड़ा उपजेगी.
इसके मद्देनज़र, उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आम नागरिकों की रक्षा सुनिश्चित की जानी होगी और बुनियादी ढाँचों व नागरिक प्रतिष्ठानों को कभी भी निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए.