एक नए अपडेट के अनुसार, इसराइली हमलों में पिछले वर्ष अक्टूबर से अब तक, 3,100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और 13,800 से ज़्यादा घायल हुए हैं.
हिंसक टकराव से बालबेक, लेबनान माउंट, बाबडा, टायर समेत कई अन्य प्रभावित इलाक़ों में आठ अस्पतालों में कामकाज ठप है, 9 में आंशिक रूप से स्वास्थ्य सेवाएँ दी जा रही हैं, जबकि छह अस्पतालों को क्षति पहुँची है.
समाचार माध्यमों के अनुसार, लेबनान में रविवार को हमलों में अलमाट नामक एक गाँव में 23 लोगों की मौत हो गई. अन्य हिस्सो में भी हमलों में आम नागरिकों के हताहत होने की ख़बर है.
स्थानीय स्वास्थ्य प्रशासन का कहना है कि अलमाट गाँव में मृतकों में कम से कम सात बच्चे भी हैं.
लेबनान में हर चार में एक व्यक्ति हिंसक टकराव से प्रभावित हुआ है, जिसमें 23 सितम्बर को तेज़ी आई जब हिज़बुल्लाह हथियारबन्द गुट के सदस्यों के पास पेजर उपकरणों में अचानक विस्फोट होने लगे. इन विस्फोटों में बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए थे, जिसकी बड़े पैमाने पर निन्दा की गई.
इसके बाद, हिज़बुल्लाह के रॉकेट हमलों के जवाब में इसराइली सुरक्षा बलों ने घातक हवाई हमले किए. हालांकि दोनों पक्षों में लड़ाई पिछले वर्ष अक्टूबर में ग़ाज़ा में युद्ध भड़कने से ही जारी है.
अब तक लेबनान में 14 लाख नागरिक विस्थापित होने के लिए मजबूर हैं, जिनमें आठ लाख 75 हज़ार घरेलू विस्थापित हैं.
विश्व खाद्य कार्यक्रम ने जनवरी महीने से अब तक छह लाख 18 हज़ार लोगों को भोजन व नक़दी सहायता प्रदान की है, मगर संसाधनों की तुलना में आवश्यकताओं का स्तर निरन्तर बढ़ रहा है.
अक्टूबर में हिंसक टकराव भड़कने से पहले से ही, लेबनान आर्थिक समस्याओं से जूझ रहा था, जिसकी वजह कोविड-19 महामारी और देश में लम्बे समय से व्याप्त राजनैतिक संकट थी.
युद्ध के कारण अब बदतरीन हालात हैं और इमारतों, बुनियादी ढाँचों समेत अर्थव्यवस्था को 12 अरब डॉलर की चपत लग चुकी है.
इसके अलावा, बेका और दक्षिणी लेबनान में कृषि सैक्टर पर भी ख़तरा मंडरा रहा है, जहाँ लेबनान का 60 प्रतिशत से अधिक कृषि उत्पादन होता है.
सीमा पार सुरक्षा की तलाश
नए आँकड़ों के अनुसार, 23 सितम्बर के बाद से अब तक पाँच लाख 61 हज़ार लोगों ने सीरिया में प्रवेश किया है, जिनमें 66 फ़ीसदी सीरियाई व 34 प्रतिशत लेबनानी नागरिक हैं.
लेबनान की सीमा के नज़दीक इसराइल ने हमले किए हैं, जिससे सीमा पार करने के अवसर सीमित हो गए हैं. यूएन शरणार्थी एजेंसी का कहना है कि सीमा पार करने वाले लोग अपने साथ जल, राहत सामग्री लेकर सुरक्षा की तलाश में आ रहे हैं.
यूएन एजेंसी ने कहा कि 27 सितम्बर से 5 नवम्बर 2024 के दौरान, लेबनान से 31 हज़ार लोगों ने इराक़ में प्रवेश किया है.