लीबिया के लिए यूएन के विशेष प्रतिनिधि अब्दुलए बथीलि ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद को सम्बोधत किया. उन्होंने कहा कि 2022 के अन्त से अब तक, लीबिया में राजनैतिक संकट को सुलटाने के लिए, यूएन के नेतृत्व में किए गए प्रयासों को राष्ट्रीय व क्षेत्रीय स्तर पर विरोध का सामना करना पड़ा है.
“एक गहरी निराशा के साथ, सत्ता पदों पर बैठे व्यक्तियों को अपने देश की ज़रूरतों के बजाय अपने हितों को ऊपर रखते हुए देखना बेहद मायूस कर देने वाली बात है.”
विशेष प्रतिनिधि ने ज़ोर देकर कहा कि लीबियाई नेताओं को व्यक्तिगत हितों से ऊपर उठकर देश के बारे में सोचना होगा और वार्ता व समझौतों के ज़रिये एक राजनैतिक समाधान पर पहुँचना होगा.
“हम 28 लाख पंजीकृत लीबियाई मतदाताओं की आकाँक्षाओं को चंद लोगों के संकीर्ण हितों के हवाले नहीं कर सकते हैं.”
उन्होंने बताया कि लीबिया में मुख्य रूप से पाँच हितधारक हैं: राजसत्ता उच्च परिषद के प्रमुख मोहम्मद तकाला; राष्ट्रीय एकता सरकार में प्रधानमंत्री अब्दुल हामिद ड्बेइबेह; प्रतिनिधि सभा के स्पीकर अगीला सालेह; लीबियाई नेशनल आर्मी के कमांडर जनरल ख़लीफ़ा हफ़्तार; और राष्ट्रपतिय परिषद के प्रमुख मोहम्मद अल-मेनफ़ी.
यूएन दूत के अनुसार इनमें से किसी भी नेता ने बातचीत में शामिल होने के लिए अपनी पूर्व शर्तों में कोई बदलाव नहीं किया है, जिससे राजनैतिक प्रक्रिया के रास्ते में अवरोध हैं.
साथ ही, मोहम्मद अल-मेनफ़ी, अगीला साले और मोहम्मद तकाला के बीच मार्च महीने में मिस्र की राजधानी काहिरा में त्रिपक्षीय वार्ता होने के बाद एक समझौते की ख़बरों से स्थिति और जटिल हो गई है.
अर्थव्यवस्था पर दबाव
विशेष प्रतिनिधि अब्दुलए बथीलि ने बताया कि आर्थिक हालात बद से बदतर हो रहे हैं और सैंट्रल बैंक द्वारा नक़दी संकट के बारे में पूर्व चेतावनी जारी की गई हैं.
बताया गया है कि लीबियाई दीनार के मूल्य में गिरावट आ रही है और विदेशी मुद्राओं की सुलभता पर पाबन्दी है, जिससे अति आवश्यक सामान व सेवाओं की बढ़ती क़ीमतों पर चिन्ता के बीच आम लोग क्रोधित हैं.
यूएन दूत ने कहा कि लीबियाई प्रशासन को ना केवल मौजूदा संकट के लक्षणों से निपटना होगा, बल्कि हानिकारक आर्थिक व वित्तीय तौर-तरीक़ों के बुनियादी कारणों का भी हल ढूंढा जाना होगा.
इस बीच, देश के कई इलाक़ों में सुरक्षा स्थिति में गिरावट आई है और त्रिपोली व मिसराता समेत अन्य इलाक़ों में हालात तनावपूर्ण हैं.
उन्होंने कहा कि लीबिया की राजधानी में सशस्त्र बलों और भारी हथियारों की मौजूदगी एक बड़ी चिन्ता का विषय है, जिससे आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए जोखिम पनप रहे हैं.
अब्दुलए बथीलि ने आगाह किया कि लीबिया में तनाव के भड़कने से चाड, निजेर और सूडान में अस्थिरता गहराने की आशंका है, जोकि वृहद सहेल क्षेत्र को अपनी चपेट में ले सकती है.