लाल सागर में मौजूद खतरों की वजह से चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत के कुल एक्सपोर्ट में 30 अरब डॉलर की गिरावट हो सकती है। नई दिल्ली के थिंकटैंक ‘रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर डिवेलपिंग कंट्रीज’ के मुताबिक, इन खतरों की वजह से भारतीय एक्सपोर्ट में सालाना आधार पर 6.7 पर्सेंट की गिरावट हो सकती है। पिछले साल भारत का कुल एक्सपोर्ट 451 अरब डॉलर रहा था। थिंकटैंक के डायरेक्टर जनरल सचिन चतुर्वेदी ने बताया, ‘लाल सागर में संकट की वजह से काफी हद तक भारत का व्यापार प्रभावित होगा।’
बहरहाल, सरकार ने भारतीय एक्सपोर्ट पर लाल सागर के असर को लेकर अब तक कोई आधिकारिक रिपोर्ट नहीं जारी की है। दुनिया के सबसे बड़े शिप ब्रोकर से जुड़ी इकाई क्लार्कसन रिसर्च सर्विसेज लिमिटेड (Clarkson Research Services Ltd) के मुताबिक, स्वेज नहर से गुजरने वाले जहाजों की संख्या में दिसंबर के पहले पखवाड़े के मुकाबले 44 पर्सेंट की गिरावट हुई है। इस इकाई के मुताबिक, 3 जनवरी वाले हफ्ते में 25 लाख टन के साथ मालवाहक जहाज इस रास्ते से गुजरे, जबकि पिछले महीने के शुरू में यह आंकड़ा 40 लाख टन था।
हाल के कुछ हफ्तों में यमन के हूती विद्रोहियों ने लाल सागर से गुजरने वाले व्यापारिक जहाजों पर मिसाइल से हमला किया है। इन विद्रोहियों का कहना है कि वे उन सभी जहाजों को निशाना बनाएंगे, जिनका कनेक्शन इजराइल से है।
भारत के लिए लाल सागर यूरोप, अमेरिकी पूर्वी तट, मध्य पूर्व और अफ्रीकी देशों को माल भेजने का प्रमुख रास्ता है। सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इस रूट से होने वाले व्यापार की सुरक्षा के उपाय ढूंढने के लिए एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल्स से बात कर रही है।
भारत ने पिछले हफ्ते अरब सागर में युद्धपोत भेजा था। लाइबेरिया के एक जहाज को सोमालिया के तट पर अगवा किए जाने की खबर के बाद भारतीय युद्धपोत वहां पहुंचा था। भारतीय नौसेना का कहना था कि वह इस जहाज को छुड़ाने में सफल रहा। भारत आम तौर पर लाल सागर रूट के जरिये कई तरह के सामान का एक्सपोर्ट करता है, जिनमें पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स