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लाल सागर क्षेत्र: हूथी लड़ाकों से मांग, जहाज़ों पर हमले तुरन्त रोकने होंगे

लाल सागर में हूथी लड़ाकों ने ये हमले पिछले वर्ष के अन्त में शुरू किए थे और इसकी वजह ग़ाज़ा में फ़लस्तीनियों के साथ एकजुटता व्यक्त करना था.

7 अक्टूबर को दक्षिणी इसराइल में हमास व अन्य गुटों के आतंकी हमलों के बाद, इसराइल की जवाबी सैन्य कार्रवाई में ग़ाज़ा में बड़े पैमाने पर मानवीय संकट उपजा है.

पिछले एक दशक से यमन में अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त यमन सरकार और हूथी विद्रोहियों के बीच टकराव जारी है. देश की राजधानी सना समेत अधिकाँश हिस्से पर हूथी लड़ाकों (अंसार अल्लाह गुट) का नियंत्रण है.

गुरूवार को इस सिलसिले में प्रस्ताव 2739 पारित किया किया गया, जिसके पक्ष में 12 वोट डाले गए जबकि तीन सदस्यों (चीन, अल्जीरिया, रूस) ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.

साथ ही, यूएन सुरक्षा परिषद ने महासचिव गुटेरेश से अगले वर्ष जनवरी महीने तक, हर माह लाल सागर में संकट पर मासिक रिपोर्ट पेश किए जाने का अनुरोध किया है.

सुरक्षा परिषद ने ज़ोर देकर कहा कि सभी सदस्य देशों को, हूथी नेताओं के विरुद्ध हथियार बेचे जाने पर लक्षित पाबन्दी का पूर्ण रूप से निर्वहन करना होगा. वर्ष 2015 में लाए गए प्रस्ताव 2216 के ज़रिये ये पाबन्दियाँ थोपी गई थीं.

इसके अलावा, लाल सागर में समुद्री मार्ग पर जहाज़ों को हूथी लड़ाकों द्वारा निशाना बनाए जाने की घटनाओं की निन्दा की गई है, और ‘गैलेक्सी लीडर’ व उसके चालक दल के सदस्यों को तुरन्त रिहा किए जाने की मांग की गई है.

एक जापानी कम्पनी द्वारा संचालित, गैलेक्सी लीडर पर पिछले वर्ष नवम्बर में क़ब्ज़ा कर लिया गया था, और इस घटना के बाद से मध्य पूर्व क्षेत्र में तनाव और गम्भीर हुआ है.

यूएन शासनादेश की अवधि बढ़ी

इस बीच, सुरक्षा परिषद ने गुरूवार को गोलान पहाड़ियों पर यूएन मिशन (UNDOF) का शासनादेश (mandate) अगले छह महीनों, 31 दिसम्बर 2024 तक, के लिए बढ़ाए जाने का निर्णय लिया है.

परिषद ने यूएन महासचिव से आग्रह किया है कि यूएन मिशन के ध्वज तले शान्तिरक्षकों में ज़रूरी क्षमता व संसाधन हैं, ताकि तयशुदा दायित्वों को सही ढंग से निभाया जा सके.

15 सदस्य देशों वाली सुरक्षा परिषद ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव 2737 को पारित किया, और ज़ोर देकर कहा कि इसराइल व सीरिया का दायित्व अतीत में हुए समझौतों का पूर्ण रूप से सम्मान करना है.

समझौतों परिषद ने सभी पक्षों से आग्रह किया है कि अधिकतम संयम बरता जाना होगा, और युद्धविराम के उल्लंघन की किसी भी कोशिश से बचना होगा.

UNDOF की स्थापना वर्ष 1974 में हुए एक समझौते के तुरन्त बाद की गई थी, जिसका उद्देश्य युद्धविराम बनाए रखना और एक असैन्यीकृत बफ़र ज़ोन विकसित करने के लिए ज़रूरी एजेंडा को तैयार करना है.

UNDOF मिशन की छह महीने में एक बार फिर से मुहर लगाई जाती है. 

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