हाल के दिनों में म्याँमार की सेना और एक जातीय सशस्त्र गुट अराकान सेना के बीच, भीषण लड़ाई सघन हुई है, जिसके कारण बूथिडाउंग और माउंगडाव क़स्बों से, हज़ारों लोग पलायन करने को विवश हुए हैं.
लगभग 45 हज़ार रोहिंज्या लोग सुरक्षा की ख़ातिर, बांग्लादेश की सीमा के निकट नफ़ नदी के पास के इलाक़े को पलायन कर गए हैं. ग़ौरतलब है कि वर्ष 2017 में म्याँमार की सेना की संगठित हिंसा के बाद दस लाख से अधिक रोहिंज्या लोग बांग्लादेश पलायन कर गए थे.
गम्भीर आरोप
यूएन मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता लिज़ थ्रॉसेल ने शुक्रवार को जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि कार्यालय को टकराव के प्रभावों के बारे में भयभीत और व्यथित करने वाली ख़बरें मिली हैं.
उन्होंने कहा, “कुछ सर्वाधिक गम्भीर आरोपों में, रोहिंज्या आम लोगों को मारे जाने सम्बन्धी घटनाओं और उनकी सम्पत्तियों को जलाए जाने के बारे में हैं.”
मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने कहा है कि बूथीडाउंग क़स्बे को लगभग पूरी तरह जला दिया गया है, जिसकी पुष्टि गवाहियों, उपग्रह तस्वीरों और ऑनलाइन वीडियो सामग्रियों से होती है.
प्रात जानकारी में संकेत मिलता है कि गाँवों को जलाए जाने की ये घटनाएँ, बूथीडाउंग क़स्बे से सेना के हट जाने के बाद, 17 मई को शुरू हुईं. ख़बरों के अनुसार अराकान सेना ने उस इलाक़े पर अपना पूर्ण नियंत्रण हो जाने का दावा किया है.
बूथीडाउंग से लोगों का पलायन
म्याँमार में OHCHR के टीम लीडर जेम्स रोडेहेवर ने बैंकाक से बताया है, “एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि उसने क़स्बे से बाहर भागत समय अनेक शव देखे.”
“एक अन्य गवाह ने कहा कि वो विस्थापित लोगों के एक समूह में था, जिसमें हज़ारों लोग थे, जो सुरक्षा की ख़ातिर क़स्बे से बाहर निकलते हुए, माउंगडाव की तरफ़ जाने की कोशिश कर रहे थे. मगर उन्हें अराकान सेना ने उस दिशा में जाने से रोक दिया.”
जीवित बचे लोगों ने बताया है कि अराकान सेना ने उन्हें अपमानित किया और उनसे धन भी ऐंठ लिया, जब वो पास के रोहिंज्या गाँवों की तरफ़ जाने की कोशिश कर रहे थे. उन गाँवों में अतीत में हुई हिंसा से बचकर भागे रोहिंज्या लोग रह रहे हैं.
कई सप्ताहों से इन इलाक़ों में रहने वाले रोहिंज्या लोगों ने ऐसे परिवारों के साथ शरण लेने की बात की है जिन्हें वो नहीं जानते हैं और उन परिवारों के पास भरपेट भोजन के लिए भी सामग्री नहीं है.
गोलीबारी, हत्याएँ, गुमशुदगी
OHCHR ने रोहिंज्या लोगों पर हाल के सप्ताहों में अराकान सेना और म्याँमार की सेना – तत्मादाव दोनों द्वारा ही नवीन हमलों के लेखाजोखा दर्ज किया है.
जेम्स रोडेहेवर ने कहा, “इनमें म्याँमार की सेना द्वारा किए गए हवाई हमलों और ड्रोन व अन्य स्वचालित वाहनों से किए गए हमलों के मामले शामिल हैं.”
“हमें निहत्थे भागते हुए ग्रामीणों पर गोलीबारी किए जाने की ख़बरें भी मिली हैं. कम से कम चार लोगों का गला काट दिए जाने की घटनाओं की पुष्टि हुई है और अनेक लोगों को जबरन लापता किया गया है, इनके अलावा अनेक गाँव और घर जला दिए गए हैं.”
हिंसा के फैलाव का ख़तरा
यूएन मानवाधिकार कार्यालय का कहना है कि इस हिंसा के और फैल जाने का स्पष्ट जोखिम नज़र आता है.
कार्यालय की प्रवक्ता लिज़ थ्रॉसेल ने कहा है कि यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने इस हिंसा पर तत्काल रोक लगाए जाने का पुकार लगाई है, और आम लोगों को उनकी पहचान के आधार पर कोई भेद किए बिना संरक्षण मुहैया कराए जाने का भी आहवान किया है.
प्रवक्ता ने कहा, “त्वरित और निर्बाध मानवीय सहायता की आपूर्ति सुनिश्चित की जानी होगी, और सभी पक्षों को अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का पूर्ण और बिना किसी शर्त के पालन करना होगा. साथ ही रोहिंज्या लोगों के संरक्षण के लिए, अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा आदेश दिए गए अन्तरिम प्रावधानों को भी लागू किया जाना होगा.”