विश्व

रफ़ाह में इसराइल के सम्भावित ज़मीनी आक्रमण से युद्धापराधों की आशंका

ओसीएचए के प्रवक्ता येंस लार्क ने मंगलवार को जिनीवा में पत्रकारों से कहा, “संयुक्त राष्ट्र और संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश होने के नाते हम गवाही दे सकते हैं. हम स्पष्ट कर सकते हैं कि क़ानून क्या कहता है… अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के तहत, घनी आबादी वाले क्षेत्रों में अन्धाधुन्ध बमबारी किया जाना, युद्धापराध की श्रेणी में रखा जा सकता है.”

यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ जब ओसीएचए ने रविवार और सोमवार को रफ़ा में “हमलों में वृद्धि” की सूचना दी. 

साथ ही, हज़ारों ग़ाज़ावासियों का रफ़ाह में पहुँचना जारी है, जिनमें बहुत से लोग, ख़ान यूनिस में तीव्र लड़ाई से जान बचाकर निकले हैं.

इस पलायन का परिणाम यह है कि 7 अक्टूबर को इसराइल में हमास के नेतृत्व वाले आतंकवादी हमलों के जवाब में, ग़ाज़ा पट्टी में इसराइली आक्रमण शुरू होने के बाद से, रफ़ाह की आबादी पाँच गुना बढ़ गई है. 

प्रवक्ता येंस लार्क ने कहा, “स्पष्ट रूप से, इस स्थिति में रफ़ाह में तीव्र युद्ध से बड़े पैमाने पर नागरिक जीवन की हानि हो सकती है और हमें इससे बचने के लिए, अपनी शक्ति के भीतर हर सम्भव प्रयास करना होगा.”

ख़ान यूनिस से निकासी

अन्तरराष्ट्रीय रैडक्रॉस और रैड क्रैसेंट सोसायटी के प्रवक्ता टोमासो डेला लोंगा ने ख़ान यूनिस में चल रही भारी लड़ाई की पुष्टि करते हुए बताया कि अल अमल अस्पताल में शरण ले रहे 8 हज़ार ग़ाज़ा वासी, इसराइली अधिकारियों द्वारा सुरक्षित मार्ग की गारंटी दिए जाने के बाद, सोमवार को उस अस्पताल से निकल गए.

टोमासो डेला लोंगा ने कहा कि इस सकारात्मक घटनाक्रम के बावजूद, ग़ाज़ा में स्थिति “विनाशकारी आपदा से भी परे की है … एक ऐसा दुःस्वप्न” जो लगातार बदतर होता जा रहा है.

प्रवक्ता ने कहा, “पिछले दो सप्ताह से अधिक समय तक, अस्पताल भारी गोलाबारी, लड़ाई से घिरा हुआ था, न अन्दर जाने का कोई रास्ता था, न बाहर जाने का, (इस पर) कई बार हमला किया गया था और आख़िरी बार हमला पिछले शुक्रवार को किया गया था जब एक सहकर्मी की मौत हो गई. 

लगभग 100 लोग, इस जर्जर हो चुके अस्पताल के अन्दर हैं जिनमें बुज़ुर्ग मरीज़ और अन्य विकलांग लोग शामिल हैं, जिन्हें कर्मचारियों और स्वयंसेवकों के साथ बाहर नहीं निकाला जा सकता है.

प्रवक्ता टोमासो डेला लोंगा ने कहा, “मैं इस सम्भावना के बारे में सोच भी नहीं सकता कि क्या अल अमल अस्पताल, आने वाले दिनों में बन्द हो जाएगा.” 

उन्होंने ध्यान दिलाया कि ऐसी वास्तविकता ग़ाज़ा सिटी में अल क़ुद्स नामक अस्पताल के साथ हो चुकी है जब उसे 12 नवम्बर को बन्द घोषित कर दिया गया था.

“वास्तविकता यह है कि अगर स्थिति नहीं बदली तो अस्पताल में गतिविधियों को जारी रखना बहुत मुश्किल होगा.”

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