विश्व

यूक्रेन: रूसी हमलों का आम नागरिकों, बुनियादी ढाँचों पर ‘भयावह असर’

बुधवार को जारी इस रिपोर्ट में, 1 मार्च से 31 मई 2024 के दौरान यूक्रेन में मानवाधिकारों की स्थिति पर विस्तार से जानकार दी गई है.

रिपोर्ट बताती है कि आम नागरिकों को बेहद जटिल हालात से जूझना पड़ रहा है, उनके जीवन पर जोखिम है और दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों के कारण उनकी चिन्ताएँ बढ़ी हैं.

24 फ़रवरी 2022 को यूक्रेन पर रूसी सैन्य बलों के आक्रमण के बाद से ही देश एक बड़े मानवीय संकट का सामना कर रहा है.

रूसी सैन्य बलों द्वारा मार्च 2024 में नए सिरे से हमले किए गए, जिनमें महत्वपूर्ण ऊर्जा प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया. इसके बाद, मई महीने में ख़ारकीव में सैन्य बलों ने ज़मीनी अभियान की शुरुआत की.

इन हिंसा प्रभावित क्षेत्रों, यूक्रेन में रूसी क़ब्ज़े वाले इलाक़ों और यूक्रेनी सरकार के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में भी हालात चुनौतीपूर्ण हैं, जिनका मानवाधिकारों पर गहरा असर हुआ है.

मानवाधिकार निगरानी मिशन की प्रमुख डेनियल बेल ने बताया कि, “क़रीब एक वर्ष में मई के दौरान, किसी एक महीने में सबसे अधिक संख्या में आम नागरिक हताहत हुए हैं.”

“इस बार वसन्त के मौसम में हुई लड़ाई का आम नागरिकों पर भयावह प्रभाव हुआ है, विशेष रूप से ख़ारकीव क्षेत्र और शहर में.”

उन्होंने क्षोभ जताया कि निरन्तर हो रहे हमलों में ज़िन्दगियों की त्रासदीपूर्ण हानि हुई है, लोग विस्थापित हुए हैं और घरों व व्यवसायों की बर्बादी हुई है.

रिहायशी इलाक़ों में हमले

यूएन कार्यालय के अनुसार, बड़े पैमाने पर आम नागरिकों को पहुँचे नुक़सान की एक बड़ी वजह, विमानों से गिराए गए शक्तिशाली बमों व मिसाइलों का रिहायशी इलाक़ों में इस्तेमाल किया जाना है.

एक के बाद एक हमलों की कम से कम पाँच ऐसी घटनाएँ हैं जब एक ही जगह पर, कुछ ही अन्तराल में बमबारी हुई है, जिसकी वजह से बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए. इनमें पहले हमले के बाद वहाँ पहुँचने वाले राहतकर्मी भी हैं.

रिपोर्ट की अवधि के दौरान, रूसी सैन्य बलों ने 2022-2023 की सर्दियों के बाद पहली बार, इतने बड़े पैमाने पर महत्वपूर्ण ऊर्जा प्रतिष्ठानों पर हमले किए, जिनमें आम लोगों की जान गई है, वे घायल हुए हैं और देश भर में लाखों नागरिक प्रभावित हुए हैं.

यूएन कार्यालय का कहना है कि ऊर्जा प्रतिष्ठानों पर हमलों की पाँच लहरें उठी, जिनमें आम नागरिक हताहत हुए और बिजली आपूर्ति बाधिक होने की वजह से, देश भर में लाखों लोग प्रभावित हुए.

इस व्यवधान का असर जल आपूर्ति, मोबाइल सेवा, इंटरनैट कनेक्टिविटी और सार्वजनिक परिवहन पर भी पड़ा है.

निगरानी मिशन प्रमुख बेल के अनुसार, ऊर्जा प्रतिष्ठानों पर हुए हमलों का पूर्ण असर, इस सर्दी के मौसम में ही स्पष्ट हो पाएगा, जब यूक्रेन में बिजली उत्पादन क्षमता में आई गिरावट के कारण, बड़ी संख्या में लोग तापन व्यवस्था व गुज़ारे के लिए ज़रूरी अन्य सेवाओं से वंचित हो सकते हैं.

क़ाबिज़ इलाक़ों में मुश्किलें

निगरानी कार्यालय द्वारा जुटाई गई जानकारी दर्शाती है कि यूक्रेन सरकार के नियंत्रण वाले क्षेत्र में, कथित रूप से दूसरे पक्ष के साथ सहयोग गतिविधियों के आरोप में लोगों पर मुक़दमे चलाए गए हैं. जबकि सैद्धांतिक रूप से, क़ाबिज़ शक्ति द्वारा किसी क्षेत्र पर अपने नियंत्रण के दौरान लोगों को ऐसे क़दम उठाने के लिए मजबूर किया जा सकता है.

बताया गया है कि यूक्रेन सरकार द्वारा, ऐसे मामलों में कार्रवाई को अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकारों व मानवतावादी क़ानून के अनुरूप बनाए जाने के लिए क़दम उठाए गए हैं.

वहीं क़ाबिज़ क्षेत्र में, स्थानीय निवासियों को क़ाबिज़ शक्ति से रूसी नागरिकता स्वीकार करने का दबाव झेलना पड़ रहा है, जोकि चिकित्सा सेवाओं को हासिल करने और अपने सम्पत्ति अधिकार बनाए रखने के लिए ज़रूरी है.

यूक्रेनी युद्धबन्दियों और हिरासत में रखे गए आम नागरिकों के परिवारजन ने बताया कि अपने प्रियजनों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलना उनके लिए बेचैनी व पीड़ा की वजह है.

रूसी सैन्य बलों द्वारा बन्दियों को बाहरी दुनिया के साथ कोई सम्पर्क व्यवस्था नहीं दी गई है. साथ ही, एक नए क़ानून के तहत, सैन्य बलों द्वारा अंजाम दिए गए हनन मामलों में दंडमुक्ति सुनिश्चित की गई है. यूएन कार्यालय द्वारा इस रिपोर्ट को 9 जुलाई को मानवाधिकार परिषद में प्रस्तुत किया जाएगा.

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