विश्व

यूक्रेन युद्ध: सर्वाधिक ज़रूरतमन्दों तक सहायता पहुँचाने के लिए 4.2 अरब डॉलर की अपील

यूक्रेन में एक करोड़ 46 लाख लोग, यानि देश की लगभग 40 फ़ीसदी आबादी मानवीय सहायता पर निर्भर है. 63 लाख लोगों ने सीमा पार करके अन्य देशों में शरण ली है.

यूएन मानवतावादी कार्यालय के प्रमुख मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि यूक्रेन में युद्ध और नए साल की शुरुआत से ठीक पहले हमलों की लहर से कोई भी स्थान अछूता नहीं है.

पिछले कुछ सप्ताह में रूस और यूक्रेन के अग्रिम मोर्चे और सीमावर्ती शहरों में निरन्तर भीषण बमबारी हुई है.

85 लाख सर्वाधिक ज़रूरतमन्दों तक सहायता पहुँचाने के लिए इस वर्ष 3.1 अरब डॉलर की आवश्यकता होगी, जबकि विस्थापितों व उनके मेज़बान समुदायों को समर्थन प्रदान करने के लिए अतिरिक्त 1.1 अरब डॉलर की अपील की गई है.

इससे पहले, 2023 में, सहायताकर्मियों ने सहायता मार्ग की सुलभता में चुनौतियों के बावजूद अन्तरराष्ट्रीय दानदाताओं के समर्थन से 1.1 करोड़ लोगों तक मदद पहुँचाई थी. 

यूएन अवर महासचिव ने कहा कि आम नागरिकों को युद्ध की एक विनाशकारी क़ीमत चुकानी पड़ी है, विशेष रूप से दोनेत्स्क और ख़ारकीव क्षेत्र में, जहाँ परिवारों ने क्षतिग्रस्त घरों में बिना जल आपूर्ति, गैस या बिजली के शरण ली है. 

आपात राहत मामलों के प्रमुख ने क्षोभ प्रकट किया कि लड़ाई की जद में आए गाँवों में लोगों के पास जो कुछ भी संसाधन थे, वे ख़त्म हो गए हैं और अब वे जीवित रहने के लिए पूरी तरह से राहत वितरण पर निर्भर हैं.

ज़रूरतमन्दों तक मदद पहुँचाने के लिए यूएन एजेंसियाँ, स्थानीय सरकार के साथ मिलकर प्रयास कर रही हैं. 

मिसाइल व ड्रोन हमलों के कारण लोगों, विशेष रूप से वृद्धजन को भूमिगत स्थलों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है. बच्चे ना स्कूल जा सकते हैं और ना ही बाहर खेल सकते हैं.

युद्ध के बदतरीन प्रभाव

यूएन शरणार्थी संगठन के प्रमुख फ़िलिपो ग्रैंडी ने बताया कि युद्ध के दौरान अपनी जान बचाने के लिए 11 पड़ोसी देशों में शरण लेने वाले लाखों यूक्रेनी नागरिकों को सतत समर्थन देने की आवश्यकता है.

इस क्रम में, उन्होंने दानदाताओं से 2024 के लिए अतिरिक्त 1.1 अरब डॉलर मुहैया कराए जाने की अपील की है, ताकि युद्ध के कारण हुए 23 लाख विस्थापितों और उनके मेज़बान समुदायों को समर्थन दिया जा सके.

फ़िलिपो ग्रैंडी ने क्षोभ प्रकट किया कि आम नागरिकों पर हुए असर की दृष्टि से यह युद्ध का सबसे ख़राब दौर है, और इसलिए प्राथमिकता अब भी प्रभावित लोगों तक मदद पहुँचाना है. 

यूक्रेन युद्ध के शुरुआती दिनों में 60 लाख लोग देश छोड़कर चले गए थे, जबकि अन्य देश की सीमाओं के भीतर विस्थापित हुए. यानि क़रीब एक करोड़ लोग अब अपने घरों में नहीं है, जोकि इसे विश्व का विशालतम विस्थापन संकट बनाता है.

यूएन एजेंसी प्रमुख ने अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन के आँकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि बेघर हो जाने वाले 9 लाख लोग अब यूक्रेन लौट आए हैं.

मगर, कुछ अब भी विस्थापित हैं, अपने घर लौट पाने में असमर्थ हैं चूँकि वे या तो क्षतिग्रस्त हो गए हैं या फिर लड़ाई के अग्रिम मोर्चे पर हैं और वहाँ रहना ख़तरनाक हो सकता है. इसलिए उन्हें सहायता की आवश्यकता है.

मेज़बान देशों में चुनौतियाँ

यूएन शरणार्थी एजेंसी की 2024 के लिए अपील, पिछले वर्ष 1.7 अरब डॉलर से कम है, जोकि दर्शाता है कि आवश्यकताओं में कमी आ रही है, और कि योरोपीय संघ की सरकारों से ‘अनुकरणीय’ समर्थन मिला है. 

यूक्रेन के अधिकाँश विस्थापितों ने योरोपीय देशों में ही शरण ली है.

इसके बावजूद, मोल्दोवा में ज़रूरतों का स्तर ऊँचा है, जोकि एक ग़ैर-योरोपीय संघ देश है. वहाँ शरणार्थियों को काम करने और शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सतत सुलभता की आवश्यकता है.

समावेशन के प्रयासों के बावजूद, स्कूली उम्र के केवल पचास फ़ीसदी बच्चे ही अधिकाँश देशों में स्कूल जा पा रहे हैं, जबकि 25 फ़ीसदी शरणार्थियों को स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ प्राप्त करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के अनुसार, यूक्रेन में 27 हज़ार से अधिक आम नागरिक हताहत हुए हैं, जिनमें साढ़े नौ हज़ार से अधिक लोग मारे गए हैं और साढ़े 17 हज़ार से ज़्यादा घायल हुए हैं.

हताहतों का वास्तविक आँकड़ा इससे कहीं अधिक होने की आशंका है. 

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