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यूक्रेन: परमाणु सुरक्षा की स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण, IAEA की चेतावनी

यूक्रेन: परमाणु सुरक्षा की स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण, IAEA की चेतावनी

यूक्रेन में ज़ैपोरिझझिया परमाणु प्लांट, योरोप में भी सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र है. फ़रवरी 2022 में रूसी सैन्य बलों के आक्रमण के कुछ ही समय बाद से यह रूस के नियंत्रण में रहा है. नज़दीकी इलाक़ों में लड़ाई व गोलाबारी जारी होने से इस प्लांट की सुरक्षा सवालों के घेरे में रही है.

हाल के दिनों में, यूएन परमाणु एजेंसी के विशेषज्ञ, अग्रिम मोर्चे को पार करने के बाद संयंत्र तक पहुँचे, जहाँ उनकी अदला-बदली की गई. ये विशेषज्ञ सितम्बर 2022 से ही बारी-बारी से परमाणु सुरक्षा व बचाव व्यवस्था की निगरानी में जुटे हैं.

यूएन एजेंसी ने अपने वक्तव्य में बताया कि IAEA समर्थन व सहायता मिशन की ज़ैपोरिझझिया समेत चार अन्य परमाणु प्लांट में उपस्थिति, सैन्य टकराव के दौरान किसी रेडियोविकिरण हादसे की रोकथाम करने के लिए है.

IAEA परमाणु निदेशक ने कहा कि इन संयंत्रों पर मौजूदगी, आवश्यकता अनुसार बनाए रखी जाएगी ताकि परमाणु दुर्घटना के ख़तरे को टाला जा सके, जिसके मानव स्वास्थ्य व पर्यावरण के लिए गम्भीर दुष्परिमाण हो सकते हैं, यूक्रेन और उससे परे तक.

“चूँकि परमाणु बचाव व सुरक्षा स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण है, हमारे विशेषज्ञों ने इन सभी केन्द्रों पर स्थायित्वपूर्ण हालात बनाए रखने के लिए अपनी भूमिका जारी रखी है.”

जोखिम बरक़रार

समाचार माध्यमों में ज़ैपोरिझझिया प्लांट के नज़दीक स्थित इलाक़ों में लड़ाई होने और ड्रोन हमले किए जाने की रिपोर्ट हैं.

यूएन एजेंसी के अनुसार, पिछले एक सप्ताह में अक्सर धमाके सुनाई दिए हैं, ये परमाणु प्लांट से कुछ ही दूर हुआ, मगर किसी प्रकार की कोई क्षति नहीं हुई है.

ज़ैपोरिझझिया प्लांट पर दो नए बैकअप ट्राँसफ़ॉर्मर का हाई वोल्टेज परीक्षण सफल रहा, जिसके बाद उन्हें काम में लाया गया है. वहीं इस वर्ष के अन्त तक, अन्य चार बैकअप ट्राँसफ़ॉर्मर की भी मरम्मत का कार्य पूरा कर लिया जाएगा.

बदतरीन मानवीय संकट

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र सहायता एजेंसियों के अनुसार, यूक्रेन में मानवीय संकट गहरा रहा है, विशेष रूप से पूर्वोत्तर, व दक्षिणी क्षेत्र में अग्रिम मोर्चों के नज़दीक स्थित इलाक़ों में. इसकी वजह रूसी सैन्य बलों द्वारा हमलों में तेज़ी बताई गई है. 

24 फ़रवरी 2022 के बाद से अब तक यूक्रेन में हिंसक टकराव में 1,400 लोगों की जान जा चुकी है और हज़ारों अन्य हताहत हुए हैं.

यूएन मानवतावादी कार्यालय का कहना है कि सहायता अभियान बेहद चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है. जुलाई व अगस्त महीनों में छह राहत कर्मचारी मारे गए.

उसके अनुसार, मानवतावादी समुदाय ने समर्थन के लिए 85 लाख लोगों को चिन्हित किया था, जिनमें से 72 लाख लोगों को इस वर्ष के पहले नौ महीनों में राहत मुहैया कराई गई है.

देश में ऊर्जा सम्बन्धी बुनियादी ढाँचे पर निरन्तर हमले किए गए हैं जिससे सर्दी के महीनों में आम नागरिकों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं. जल, गैस व तापन व्यवस्था समेत अन्य आवश्यक सेवाओं में व्यवधान आने की आशंका है.

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