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यूक्रेन: ख़ारकीव में घातक हमले, यूएन की शीर्ष सहायता अधिकारी ने जताया क्षोभ

पिछले कुछ हफ़्तों में पूर्वोत्तर यूक्रेन में स्थित ख़ारकीव में कई हमले हुए हैं, जिनमें बड़ी संख्या में आम नागरिक मारे गए हैं या घायल हुए हैं. सैकड़ों रिहायशी इमारतें ध्वस्त हो गई हैं और हज़ारों लोग अब बेघर हैं. स्कूलों व अस्पतालों समेत बुनियादी ढाँचे को भी नुक़सान पहुँचा है.

कुछ ही दिन पहले ख़ारकीव के एक व्यस्त ख़रीदारी केन्द्र पर हुए हमले में कम से कम चार लोगों की जान गई थी और 40 अन्य घायल हुए थे.

वहीं, गुरूवार रात हुए हमले में ख़ारकीव के नोवोबोवार्स्की ज़िले को निशाना बनाया गया, जिसमें बच्चों समेत कई लोगों के हताहत होने की ख़बर है और इमारतों को नुक़सान पहुँचा है.

यूएन की वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को जारी अपने एक वक्तव्य में क्षोभ जताया कि उसी इलाक़े में बार-बार हमले किए गए, जिससे बचाव कार्य में जुटे राहतकर्मियों पर भी असर हुआ.

डेनिज़ ब्राउन ने उन सभी प्रभावित परिवारों के लिए अपनी गहरी सम्वेदना व्यक्त की है, जो रूसी सैन्य बलों की अनवरत बमबारी का सामना कर रहे हैं. 

यूक्रेन में ख़ारकीव समेत कुछ अन्य इलाक़ों में टकराव में तेज़ी आई है, जिससे बड़े पैमाने पर आम नागरिक प्रभावित हो रहे हैं, और मानवीय सहायता प्रयासों में मुश्किलें आ रही हैं.

यूएन समन्वयक ने ध्यान दिलाया कि अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून के तहत, आम लोगों या नागरिक प्रतिष्ठानों पर हमले किए जाने पर सख़्त पाबन्दी है. “घर, कार्यस्थल या बाज़ार में ख़रीदारी करते हुए हवाई कार्रवाई के डर में रहना सामान्य बात नहीं है.”

यूक्रेन का पूर्वोत्तर क्षेत्र ख़ारकीव अब युद्ध का अग्रिम मोर्चा बन गया है. रूसी सैन्य बलों के पिछले कुछ हमलों में हताहत हुए लोगों में बड़ी संख्या वृद्धजन और उन लोगों की है जो या तो ये इलाक़ा छोड़ने में असमर्थ थे, या अपने घरों को छोड़कर नहीं जाना चाहते.

बाल अधिकारों का हनन

इस बीच, यूक्रेन में संयुक्त राष्ट्र ने रूसी आक्रमण की वजह से बाल अधिकारों के गम्भीर हनन मामलों की निन्दा की है.

यूक्रेन युद्ध को शुरू हुए दो वर्ष से अधिक समय बीत चुका है, और बच्चों को शारीरिक, मनोसामाजिक व भावनात्मक चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है. उनके जीवन में भीषण उठापठक हुई है और भविष्य पर जोखिम मंडरा रहा है. 

डेनिज़ ब्राउन ने कहा कि ख़ारकीव क्षेत्र में रूसी हमलों की नई लहर, युद्ध की भयावह क़ीमत और यूक्रेन के बच्चों के लिए विकट स्थिति को दर्शाते हैं.

“अनेक की जान गई है या घायल हुए हैं. हज़ारों अपने घर छोड़कर बिना कुछ साथ लिए, बस कपड़ों के साथ भागने के लिए मजबूर हैं.” इतनी भयावह स्थिति को देखने की वजह से उन पर गहरा दबाव है.

हताहतों की बड़ी संख्या

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के अनुसार, अब तक 600 से अधिक बच्चों की जान गई है और 1,420 घायल हुए हैं. हालांकि मृतकों का आँकड़ा कहीं अधिक होने की आशंका जताई गई है.

यूएन कार्यालय का कहना है कि ताबड़तोड़ हमलों के कारण बच्चों को की घंटे बम हमलों से बचाव के लिए शरण स्थलों पर गुज़ारने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. 

एक अनुमान के अनुसार, लड़ाई के अग्रिम मोर्चे पर लड़के-लड़कियों ने तीन हज़ार से पाँच हज़ार घंटे (4-7 महीने) ऐसे व्यतीत किए हैं, जिससे उनका जीवन बेहद मुश्किल व तनावग्रस्त है. 

जबरन विस्थापित होने की वजह से उनके लिए मुश्किलें व ख़तरे बढ़े हैं. बहुत से बच्चे अपने परिवारों से अलग हो गए हैं और उनके तस्करी, शोषण व दुर्व्यवहार का शिकार होने का जोखिम है.

यूक्रेन युद्ध के कारण बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित हुई है और अनेक स्कूलों ने ऑनलाइन या भूमिगत कक्षाओं के विकल्प को चुना है. लड़ाई के अग्रिम मोर्चे वाले इलाक़ों में हालात विशेष रूप से ख़राब हैं. 

सहायता का संकल्प

यूएन कार्यालय ने अपने वक्तव्य में भरोसा दिलाया है कि संयुक्त राष्ट्र अपने साझेदार संगठनों के साथ मिलकर, बच्चों को ज़रूरी समर्थन मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

पिछले वर्ष, यूएन ने 51 लाख से अधिक बच्चों व माताओं को अहम प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान की है, और 25 लाख से अधिक छात्रों व शिक्षकों को शिक्षा सेवाएँ मुहैया कराई गई हैं.

मानवतावादी समन्वयक डेनिज़ ब्राउन ने ज़ोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र, यूक्रेन की जनता को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है, मगर किसी भी स्तर की सहायता से रूसी हमलों के कारण बच्चों की एक पूरी पीढ़ी को हुए नुक़सान की भरपाई नहीं की जा सकती है.

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