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यूक्रेन: ऊर्जा प्रतिष्ठानों पर रूस के ताबड़तोड़ हमले, 5 लाख लोगों के विस्थापन की आशंका

यूक्रेन में मानवाधिकारों की निगरानी के लिए मिशन की यह चेतावनी एक ऐसे समय में आई है जब देश में बिजली संयंत्रों को निरन्तर निशाना बनाए जाने से उन्हें भीषण क्षति पहुँची है. 

साथ ही, एक ऐसा ऊर्जा संकट उपजा है, जिसमें बिजली आपूर्ति, स्वच्छ जल व तापन व्यवस्था पर गहरा असर हुआ है. वहीं उपभोक्ताओं के लिए क़ीमतों में उछाल आया है.

26 अगस्त को यूक्रेन में नेशनल ग्रिड पर सिलसिलेवार ढंग से हमले किए गए. यूएन मिशन की रिपोर्ट के अनुसार, फ़रवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस द्वारा आक्रमण किए जाने के बाद से यह अब तक का सबसे बड़ा हमला था.

100 से अधिक मिसाइलों, 100 ड्रोन विमानों के ज़रिए, यूक्रेन के कई क्षेत्रों में ऊर्जा सम्बन्धी व अन्य बुनियादी ढाँचों को निशाना बनाया गया.

स्थानीय प्रशासन को ग्रिड व्यवस्था में फिर से स्थिरता लाने के लिए देश भर में बिजली कटौती के लिए मजबूर होना पड़ा.

सिलसिलेवार हमलों का असर

रिपोर्ट बताती है कि 22 मार्च से 31 अगस्त 2024 तक, यूक्रेन की बिजली व्यवस्था पर 9 बार सिलसिलेवार हमले किए जा चुके हैं. 

संयंत्रों को हुए नुक़सान के अलावा, आम नागरिकों पर भी गहरा असर हुआ है, देश में बिजली आपूर्ति, जल वितरण, सीवर व्यवस्था व साफ़-सफ़ाई प्रणाली, स्वास्थ्य केन्द्र, शिक्षा व अर्थव्यवस्था समेत अन्य क्षेत्र को नुक़सान पहुँचा है.

इन हमलों की वजह से यूक्रेन में 10 फ़ीसदी आबादी, 37 लाख लोग, दूषित पेयजल पीने के लिए मजबूर हैं.

मार्च 2024 के बाद से अब तक, रूसी सैन्य बलों ने यूक्रेन के नियंत्रण वाले 24 में से 20 क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे पर हमले किए हैं. 

अनेक ऊर्जा प्रतिष्ठानों को बार-बार निशाना बनाया गया, और उन्हें पूर्ण रूप से बहाल करने या उनकी मरम्मत करने में लम्बा समय लगेगा.

24 फ़रवरी 2022 को, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से पहले, देश में 44.1 गीगावॉट बिजली क्षमता थी, जोकि परमाणु, थर्मल, जलविद्युत संयंत्रों और नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त हो रही थी.

मगर, अप्रैल 2023 तक, यूक्रेन के नेशनल ग्रिड की क़रीब आधी उत्पादन क्षमता ख़त्म हो गई है. 95 में से 42 हाई वोल्टेज ट्रांसफ़ॉर्मर ध्वस्त हो गए हैं, जिसकी वजह से घरों तक बिजली वितरण के काम पर असर हुआ है.

जबरन विस्थापन की आशंका

शरणार्थी मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी (UNHCR) के अनुसार, रूसी आक्रमण के बाद से अब तक 67 लाख से अधिक यूक्रेनी नागरिक देश छोड़कर जा चुके हैं.

62 लाख लोग अब भी योरोपीय देशों में हैं, जबकि 36 लाख लोग देश की सीमाओं के भीतर ही विस्थापित हुए हैं. यूएन एजेंसी का मानना है कि इन आँकड़ों में फ़िलहाल कोई कमी आने के आसार नहीं हैं.

बिजली कटौती, तापन व्यवस्था और जल आपूर्ति के अभाव के कारण बड़ी संख्या में लोग अन्य देशों का रुख़ कर रहे हैं, और उनकी वापसी कब होगी, यह अभी निश्चित नहीं है.

इन हमलों से यूक्रेन में शिक्षा व्यवस्था पर भी गहरा असर हुआ है. जुलाई 2024 में, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने बताया कि बिजली कटौती के कारण पढ़ाई-लिखाई की भीषण हानि हो रही है. 

राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का आकार भी 0.6 प्रतिशत सिकुड़ने का अनुमान व्यक्त किया गया है.

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