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युद्ध ख़त्म करें, अस्तित्व सम्बन्धी संकटों का सामना करें, एंतोनियो गुटेरेश

यूएन प्रमुख ने अस्ताना में गुरूवार को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा है, “हमारी बहुपक्षीय व्यवस्था का केन्द्रीय लक्ष्य शान्ति को होना होगा – जोकि टिकाऊ विकास और मानवाधिकारों का आनन्द उठाने के लिए एक पूर्व शर्त है.”

दुनिया के इस सबसे बड़े क्षेत्रीय सुरक्षा संगठन की यह बैठक कज़ाख़स्तान की राजधानी अस्ताना में हो रही है जिसमें सदस्य देशों के नेता शिरकत कर रहे हैं.

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में बेलारूस, चीन, भारत, ईरान, कज़ाख़स्तान, किरगिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज़बेकिस्तान शामिल हैं.

एंतोनियो गुटेरेश ने ऐसे अनेक टकरावों व संघर्षों का ज़िक्र किया जहाँ युद्धविराम और टिकाऊ शान्ति की दरकार है. इनमें मध्य पूर्व से लेकर यूक्रेन और सूडान से लेकर साहेल तक के क्षेत्र शामिल हैं. उनके अलावा काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, सोमालिया, म्याँमार और हेती भी अशान्ति का सामना कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, “हमें अफ़ग़ानिस्तान में शान्ति और एक ऐसी सरकार की ज़रूरत है जो मानवाधिकारों का सम्मान करे और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के साथ घुलमिलकर रहे. सभी देशों को, अफ़ग़ानिस्तान को आतंकवाद का एक मुख्य केन्द्र बन जाने से रोकने के लिए, एकजुट होना होगा.”

विश्व संगठन के मुखिया एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन जैसे व्यापक प्रतिनिधित्व वाले संगठन में, शान्ति को बढ़ावा देने की शक्ति व ज़िम्मेदारी निहित है.

अस्तित्व के लिए ख़तरे

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि अस्ताना में यह बैठक विनाशकारी युद्धों और भूराजनैतिक मतभेदों के बीच हो रही है, जोकि “दंडमुक्ति की एक महामारी” है. इन हालात ने एक प्रमुख वैश्विक लक्ष्य – टिकाऊ विकास को पीछे धकेल दिया है और इस कारण, सन्देह और अविश्वास का संकट उत्पन्न हो गया है.

यूएन प्रमुख ने कहा कि इन वैश्विक चुनौतियों के समाधान, देश दर देश के आधार पर नहीं निकाले जा सकते हैं. यह लम्हा, बहुपक्षवाद के लिए हमारी साझा प्रतिबद्ध पक्की करने का है, जिसके केन्द्र में संयुक्त राष्ट्र हो, और जो यूएन चार्टर, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून और मानवाधिकारों के सार्वभौमिक घोषणा-पत्र में स्थापित किए गए सिद्धान्तों से बाध्य हो.

उन्होंने साथ ही चेतावनी के अन्दाज़ में कहा कि बहुपक्षवाद से, लोगों का भरोसा उठ रहा है, और लोग, तोड़े गए वादों, दोहरे मानदंडों व बढ़ती विषमताओं की तरफ़ इशारा कर रहे हैं.

यूएन महासचिव ने सिर पर मंडरा रहे, अस्तित्व सम्बन्धी दो ख़तरों पर सामूहिक कार्रवाई की तत्काल ज़रूरत को भी रेखांकित किया – जलवायु आपदा और डिजिटिल प्रौद्योगिकियों की बेलगाम वृद्धि, विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता का तेज़ी से उभार.

…जारी…

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