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यमन: हिरासत में रखे गए यूएन कर्मचारियों को तत्काल रिहा किए जाने की मांग

यमन: हिरासत में रखे गए यूएन कर्मचारियों को तत्काल रिहा किए जाने की मांग

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) की प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने मंगलवार को जिनीवा में पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान अपनी अपील जारी करते हुए इन सभी ‘झूठे’ आरोपों को पुरज़ोर ढंग से ख़ारिज़ किया.

उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि एक कर्मचारी ने भारी दबाव में इन आरोपों को स्वीकारा है, जबकि ये आरोप पूरी तरह से मनगढ़ंत हैं. यूएन कार्यालय प्रवक्ता ने बताया कि सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक वीडियो से स्पष्ट है कि उस कर्मचारी को ये आरोप क़बूलने के लिए मजबूर किया गया है.

“हमारे सहकर्मी इस वीडियो में बहुत तनावग्रस्त नज़र आ रहे थे.”

यूएन मानवाधिकार कार्यालय के छह कर्मचारियों – पाँच पुरूष, एक महिला – को 6 जून को सात अन्य यूएन कर्मचारियों के साथ गिरफ़्तार कर लिया गया था.

इससे पहले भी, यमन में मानवाधिकार कार्यालय के दो और अन्य यूएन एजेंसियों के दो कर्मचारियों को हिरासत में और बिना किसी सम्पर्क के क्रमश: 2021 और 2023 से रखा गया है.

यमन में हूती विद्रोहियों द्वारा मनमाने ढंग से हिरासत में लिए गए यूएन कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 17 तक पहुँच गई है.

देश में पिछले एक दशक से हूती लड़ाकों और अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकारी सुरक्षा बलों के बीच युद्ध जारी है. हूती विद्रोहियों का राजधानी सना समेत देश के अधिकाँश इलाक़े पर नियंत्रण है.

साक्ष्यों का अभाव

रवीना शमदासानी ने कहा कि इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि उन्हें कहाँ रखा गया है, और बार-बार अनुरोध किए जाने के बावजूद, सत्तारूढ़ हूती प्रशासन द्वारा उनसे मिलने की अनुमति नहीं दी गई है.

उनके अनुसार, जिन मामलों में कथित रूप से कर्मचारियों पर क़ानून तोड़ने के आरोप लगे हैं, उनमें “एक समुचित प्रक्रिया, क़ानूनी प्रतिनिधित्व और तथ्यों को प्रस्तुत किए जाने की आवश्यकता है.”

यूएन प्रवक्ता ने क्षोभ प्रकट किया कि ऐसा कुछ भी नहीं किया गया है, और ये स्पष्ट है कि इन्हें जानबूझकर लगाया गया है और इसलिए हम पूरी तरह से ख़ारिज करते हैं.

उन्होंने हूती लड़ाकों के लिए मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क की अपील दोहराई, जिसमें उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संस्थाओं, और अन्य मानवाधिकार व मानवतावादी पक्षों के कामकाज में अवरोध पैदा करने के बजाय उनका समर्थन करने का आग्रह किया गया है.

रवीना शमदासानी के अनुसार, यमन के लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने व उनका संरक्षण करने के लिए यह ज़रूरी है.

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