यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत हैंस ग्रुंडबर्ग ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद को आगाह करते हुए कहा है, “यमन में वर्ष 2024 शुरू घटनाक्रम का रुख़ एक ग़लत दिशा में चला गया है और अगर देश में मौजूदा घटनाक्रम पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये विस्फोट मोड़ पर भी पहुँच सकता है.”
ग़ौरतलब है कि यमन में सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठनबन्धन की सरकार की सेना और हूथी विद्रोहियों के दरम्यान 2014 से ही युद्ध जारी है.
हूथी विद्रोहियों ने गत अक्टूबर में ग़ाज़ा में युद्ध भड़कने के बाद, लाल सागर में व्यावसायिक जहाज़ों पर हमले करने शुरू कर दिए थे. लाल सागर को वैश्विक व्यापार के लिए एक अहम मार्ग माना जाता है.
क्षेत्रीय समीकरण हो रहे जटिल
विशेष दूत हैंस ग्रुंडबर्ग ने सुरक्षा परिषद को बताया कि यमन युद्ध के क्षेत्रीय समीकरण, लगातार साफ़ होकर सामने आ रहे हैं, और पिछले सप्ताह तो भड़काऊ घटनाक्रम एक नए और ख़तरनाक स्तर पर पहुँच गया.
एक दिन पहले ही, सुरक्षा परिषद की बैठक हुई थी जिसमें, 19 जुलाई को हूथी विद्रोहियों द्वारा इसराइल के तेलअवीव शहर पर किए गए ड्रोन हमले और उसके जवाब में इसराइल द्वारा यमन के हुदायदाह बन्दरगाह और तेल व बिजली संयंत्रों पर किए गए हमलों से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा की गई थी.
तनाव कम होने के आसार नहीं
यमन के लिए विशेष दूत हैंस ग्रुंडबर्ग ने “क्षेत्र में हाल की सैन्य गतिविधियों को लेकर गहन चिन्ता व्यक्त की”.
उन्होंने लाल सागर में और उसके आसपास, अन्तरराष्ट्रीय व्यावसायिक जहाज़ों को लगातार निशाना बनाए जाने पर भी चिन्ता जताई और कहा कि हाल के घटनाक्रम से मालूम होता है कि ख़तरा, दायरे और सटीकता दोनों में बढ़ रहा है.
व्यावसायिक जहाज़ डुबोए गए हैं या उन्हें नुक़सान पहुँचाया गया है, आम लोगो मारे गए हैं. नवम्बर में अग़वा किए गए एक व्यापारिक जहाज़ गैलैक्सी लीडर के चालक दल के सदस्यों को मनमाने तरीक़े से हिरासत में रखा हुआ है, और अन्तरराष्ट्रीय व्यापार बाधित हुआ है.
संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन ने भी, हूथी विद्रोहियों के नियंत्रण वाले इलाक़े में, सैन्य ठिकानों पर हमले जारी रखे हैं.
हैंस ग्रुंडबर्ग ने कहा, “यह चिन्ताजनक बात है कि तनाव कम होने के कोई आसार नज़र नहीं आ रहे हैं, समाधान तो दूर की बात है.”
“ये हाल के घटनाक्रम, पूरे क्षेत्र में विनाशकारी तनाव बढ़ने के वास्तविक ख़तरे को दिखाते हैं.”
हिरासत में लिए गए कर्मियों की स्थिति पर चिन्ता
यमन के लिए विशेष दूत हैंस ग्रुंडबर्ग ने सुरक्षा परिषद के सदस्यों को याद दिलाया कि हूथी विद्रोहियों द्वारा संयुक्त राष्ट्र के 13 कर्मचारियों और अन्तरराष्ट्रीय व ग़ैर-सरकारी संगठनों, सिविल सोसायटी और निजी क्षेत्र की कम्पनियों के अनेक लोगों को जब हिरासत में लिया था, उसे लगभग दो महीने का समय गुज़र चुका है.
हिरासत में लिए गए सभी लोग यमनी राष्ट्रीयता के हैं, और उनमें कम से कम चार महिलाएँ हैं. उनकी हालत और पते-ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है.
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय – OHCHR और यूएन सांस्कृतिक एजेंसी – UNESCO के भी चार कर्मचारियों को, 2021 से और 2023 से हिरासत में रखा हुआ है.
विशेष दूत हैंस ग्रुंडबर्ग ने इन सभी लोगों को तुरन्त और बिना शर्त रिहा किए जाने की पुकार दोहराई और हुथी विद्रोहियों यानि अंसार अल्लाह समूह से, यूएन, ग़ैर-सरकारी संगठनों और सिविल सोसायटी के अन्य कर्मियं को हिरासत में लेने से बचने का आहवान किया.
हुदायदाह लाखों लोगों के लिए ‘जीवनरेखा’
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता मामलों के लिए कार्यवाहक अवर महासचिव जॉयस म्सूया ने भी सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए, यमन और क्षेत्र में हाल के घटनाक्रम पर चिन्ता व्यक्त की.
उन्होंने कहा कि यमन के हूथी प्रशासन के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, हुदायदाह पर हाल के इसराइली हमलों में कम से कम 9 लोग मारे गए और 83 से अधिक घायल हुए.
उन्होंने हुदायदाह बन्दरगाह को, यमन के लाखों लोगों के लिए “जीवनरेखा” क़रार दिया. देश में पहुँचने वाली लगभग 85 प्रतिशत खाद्य सामग्री, इसी बन्दरगाह से होकर आती है, इसलिए इसका खुले रहना और संचालित रहना बहुत ज़रूरी है.