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यमन: बढ़ते क्षेत्रीय टकराव से उपजी चिन्ता, मगर ‘शान्ति स्थापना अब भी सम्भव’

यमन: बढ़ते क्षेत्रीय टकराव से उपजी चिन्ता, मगर ‘शान्ति स्थापना अब भी सम्भव’

यमन में सऊदी अरब समर्थित सरकार के सुरक्षा बलों और हूती लड़ाकों (अंसार अल्लाह) के बीच पिछले क़रीब एक दशक से युद्ध जारी है.

विशेष दूत हैंस ग्रुंडबर्ग ने सदस्य देशों के प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि रक्तपात पर विराम लगाने और क्षेत्र में शान्ति स्थापना को समर्थन देने के लिए एकजुट होना होगा.

उन्होंने ग़ाज़ा युद्ध की पृष्ठभूमि में कहा कि संयुक्त राष्ट्र कर्मचारियों के लिए जोखिम बढ़ रहा है. अंसार अल्लाह गुट ने 50 से अधिक यूएन कर्मचारियों, नागरिक समाज के सदस्यों और राजनयिक मिशन के स्टाफ़ को मनमाने ढंग से हिरासत में लिया हुआ है.

बन्दी बनाए गए 17 यूएन कर्मचारियों में चार महिलाएँ हैं, जिनमें से एक यूएन विशेष दूत की टीम का हिस्सा हैं. हैंस ग्रुंडबर्ग के अनुसार, यमन में आम लोग बढ़ते क्षेत्रीय टकराव की आंच को महसूस कर रहे हैं.

अंसार अल्लाह गुट ने लाल सागर जल क्षेत्र में अन्तरराष्ट्रीय जहाज़ों पर हमले जारी रखे हैं और इसराइल पर मिसाइल व ड्रोन हमले किए जा रहे हैं.

इसके जवाब में, अमेरिका व अन्य देशों ने यमनी इलाक़ों में हवाई हमले किए हैं जबकि इसराइल ने लाल सागर स्थित बन्दरगाह शहर हुदायदाह पर हमला किया.

“बदले की कार्रवाई के इस चक्र से, यमन क्षेत्रीय टकराव के गर्त में गहरा धँस रहा है, जिससे शान्ति व स्थिरता के लिए उसकी आकाँक्षाओं पर ख़तरा है.”

कर्मचारियों की रिहाई की अपील

विशेष दूत ने कहा कि पिछले 9 वर्ष से जारी युद्ध के बाद, यमन शान्ति का अभिलाषी है, मगर मनमाने ढंग से लोगो को हिरासत में लेने, मौत की धमकियाँ दी जाने और डराए धमकाने की वजह से, शान्तिनिर्माण प्रयासों के लिए स्थान सिकुड़ रहा है.

उन्होंने सभी विद्रोहियो से आग्रह किया कि मनमाने ढंग से हिरासत में रखे गए सभी लोगों को तत्काल, बिना शर्त रिहा किया जाना होगा, जिनमें यूएन कर्मचारी भी हैं.

हैंस ग्रुंडबर्ग ने बताया कि न्यूयॉर्क, तेहरान और मॉस्को यात्राओं के दौरान, यमन की सरकार व अन्य अन्तरराष्ट्रीय हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया गया है.

शान्ति सम्भव है

उन्होंने सुरक्षा परिषद से कहा कि यमन में मौजूदा टकराव का एक शान्तिपूर्ण समाधान, आगे बढ़ने का एक सर्वाधिक व्यावहारिक रास्ता है, और इसे निश्चित रूप से हासिल किया जा सकता है.

दूसरा, यमन की जनता को सतत, निरन्तर, एकजुट अन्तरराष्ट्रीय समर्थन की दरकार होगी और हमें शान्ति को साकार करने के लिए अपने प्रयास जारी रखने होंगे.

बताया गया है कि दोनों पक्षों ने एक रोडमैप तैयार करने का संकल्प जताया है, जिसमें एक राष्ट्रव्यापी युद्धविराम को लागू करना, ज़रूरतमन्दों की मानवतावादी व आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करना और एक समावेशी राजनैतिक प्रक्रिया की तैयारी करना है.

विशाल मानवीय संकट

संयुक्त राष्ट्र के मानवतावादी कार्यालय में वरिष्ठ अधिकारी जॉयस म्सूया ने सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए कहा कि यमन में मानवीय संकट की स्थिति निरन्तर बिगड़ रही है.

भूख उछाल पर है, और अगस्त में भरपेट भोजन कर पाने में असमर्थ लोगों की संख्या अभूतपूर्व स्तर पर पहुँच गई. हूती लड़ाकों के नियंत्रण वाले इलाकों में पिछले वर्ष से अब तक खाद्य वस्तुओं की क़िल्लत की एक नई चुनौती है.

हैज़ा के मामले भी बढ़ रहे हैं. पिछले मार्च से अब तक, दो लाख से अधिक संदिग्ध मामले सामने आए हैं, और 720 की मौत हो चुकी है.

जॉयस म्सूया के अनुसार, यमन में ज़रूरतमन्दों तक मानवीय राहत पहुँचाने के लिए मानवातवादी समुदाय प्रतिबद्ध है, मगर मानवीय सहायता अपील का केवल 40 फ़ीसदी ही जुट पाया है.

उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा सैक्टर को तत्काल 87 करोड़ लोगों की अतिरिक्त मदद चाहिए. इसके अभाव में क़रीब 90 लाख लोगों को 2024 की अन्तिम तिमाही में आपात खाद्य सहायता नहीं मिल पाएगी.

इसके अलावा, लैंगिक हिंसा से निपटने पर लक्षित कार्यक्रमों के लिए भी सहायता धनराशि जुटाना अहम होगा.

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