यमन में यूनीसेफ़ के प्रतिनिधि पीटर हॉकिन्स ने कहा कि हमें तेज़ी से क़दम बढ़ाने की ज़रूरत है. “मैं बीते तीन दिनों से हुदायदाह में था…मैं पश्चिम में निचले इलाक़ों से होकर गुज़रा, जहाँ लोग सड़कों पर, सड़कों के किनारों पर हैं, भीख मांग रहे हैं और सहायता की तलाश कर रहे हैं.”
“वो हिम्मत हार चुके हैं. मगर, हम हिम्मत नहीं हार सकते हैं.”
यूनीसेफ़ प्रतिनिधि ने यमन की राजधानी सना से जानकारी देते हुए कहा कि मानव-जनित आपदा के कारण देश की अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली और बुनियादी ढाँचा बर्बाद हो गया है.
उन्होंने चिन्ता जताई कि अपेक्षाकृत कम हिंसा वाले दिनों में भी इस टकराव के गम्भीर दुष्परिणाम हैं, विशेष रूप से लड़कियों व बच्चों के लिए.
यमन की आधी से अधिक आबादी, यानि क़रीब चार करोड़ लोग फ़िलहाल मानवीय सहायता पर निर्भर हैं.
यमन में हूथी लड़ाकों (अंसार अल्लाह गुट) और सऊदी नेतृत्व में गठबंधन सेनाओं का समर्थन प्राप्त सरकारी सैन्य बलों के बीच पिछले एक दशक से युद्ध जारी है. मार्च 2015 मे यमनी राष्ट्रपति अब्द रब्बू मंसूर हादी को सत्ता से बेदख़ल कर दिया गया था.
कई वर्षों तक लड़ाई जारी रहने के बाद, यूएन के मध्यस्थता प्रयासों के परिणामस्वरूप अप्रैल 2022 में संघर्षविराम पर सहमति बनी थी. इसके बाद से बड़े पैमाने पर ज़मीनी सैन्य टकराव शुरू नहीं हुआ है हालांकि सैन्य गतिविधियाँ अब भी हो रही हैं.
चुनौतीपूर्ण हालात में यूनीसेफ़ द्वारा यमन में जीवनरक्षक स्वास्थ्य सेवाओं और कुपोषण उपचार केन्द्रों को मदद मुहैया कराई जा रही है, मगर राहत अभियान के लिए ज़रूरी धनराशि में से फ़िलहाल 25 फ़ीसदी का ही प्रबन्ध हो पाया है.
हिंसा भड़कने का जोखिम
इसके मद्देनज़र, यूनीसेफ़ के वरिष्ठ अधिकारी ने चेतावनी जारी की है कि यदि दानदाताओं से मदद नहीं मिली तो न्यूनतम सेवाएँ प्रदान करना भी कठिन हो जाएगा.
इससे पहले, यमन में यूएन महासचिव के विशेष दूत हैंस ग्रुंडबर्ग ने 6 मार्च को सुरक्षा परिषद को जानकारी देते हुए कहा कि हिंसक टकराव पर फ़िलहाल विराम है, मगर हिंसा भड़कने का जोखिम बढ़ रहा है.
संयुक्त राज्य अमेरिका ने यमन में हूथी लड़ाकों के नियंत्रण वाले इलाक़ों में कई हमले किए हैं. ग़ाज़ा में युद्धविराम दरकने के बाद हूथी गुट द्वारा लाल सागर में व्यापारिक जहाज़ों को निशाना बनाए जाने के बाद जवाबी कार्रवाई में ये हमले किए गए हैं.
यूनीसेफ़ प्रतिनिधि पीटर हॉकिन्स ने बताया कि उन्होंने बन्दरगाह शहर हुदायदाह में हुई बर्बादी को प्रत्यक्ष रूप से देखा है. उत्तरी यमन में हाल के दिनों में हवाई हमलों में आठ बच्चे मारे गए हैं.
खाद्य सामग्री, दवा आपूर्ति में कठिनाई
यूनीसेफ़ प्रतिनिधि ने बताया कि महत्वपूर्ण बन्दरगाह और सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई है, जोकि भोजन और दवा पहुँचाने के लिए बेहद अहम हैं. इस वजह से, पिछले एक दशक में खाद्य क़ीमतों में तीन गुना वृद्धि हुई है, भूख व कुपोषण के मामले बढ़े हैं.
एक अनुमान के अनुसार, यमन में पाँच वर्ष से कम आयु के हर दो में से एक बच्चा कुपोषण का शिकार है. यूनीसेफ़ के अनुसार यह आँकड़ा दुनिया में किसी अन्य देश में नहीं है. साढ़े पाँच लाख से अधिक बच्चे गम्भीर कुपोषण का शिकार हैं, जोकि उनके जीवन के लिए ख़तरा है, हालांकि इसकी रोकथाम की जा सकती है.
बड़ी संख्या में बच्चों के लिए कुपोषण से बचाव के लिए उपचार पाना सम्भव नहीं है, चूँकि वे पहाड़ों पर या घाटियों में दूर-दराज़ के इलाक़ों में रहते हैं. वहीं, 14 लाख गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाएँ भी कुपोषण से पीड़ित हैं और यह एक ऐसा घातक चक्र है, जिससे कई पीढ़ियाँ प्रभावित हो रही हैं.
यूनीसेफ़ प्रतिनिधि ने कहा कि यह एक मानवीय संकट नहीं है. यह एक आपात स्थिति नहीं है. यह एक विनाश होगा जहाँ हज़ारों लोग मारे जाएंगे.
