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म्याँमार: सैन्य तख़्तापलट का आम लोगों पर गहरा असर, ‘हिंसा व राजनैतिक दमन का अन्त ज़रूरी’

यूएन के शीर्षतम अधिकारी के प्रवक्ता ने बुधवार को महासचिव की ओर से एक वक्तव्य जारी किया, जिसमें उन्होंने ध्यान दिलाया है कि म्याँमार में तीन साल पहले 1 फ़रवरी 2021 को सैन्य तख़्तापलट के ज़रिये लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार को सत्ता से हटा दिया था.

इसके बाद, आंग सान सू ची समेत देश के प्रमुख नेताओं को मनमाने ढंग से हिरासत में ले लिया गया. सैन्य तख़्तापलट के बाद से ही देश में विरोध प्रदर्शनों और हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई है, मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है और हज़ारों लोगों को हिरासत में लिया गया है.

महासचिव के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में म्याँमार में स्थिति बद से बदतर होती जा रही है, जिसका आम नागरिकों पर गम्भीर असर हुआ है.

इससे पहले, यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने मंगलवार को बताया था कि पिछले अक्टूबर से अब तक म्याँमार में 554 लोग मारे गए हैं.

वर्ष 2023 में सैन्य बलों के हाथों मारे जाने वाले आम नागरिकों की संख्या 1,600 से ज़्यादा थी, जोकि पहले के वर्ष की तुलना में लगभग 300 अधिक है.

विश्वसनीय स्रोतों के अनुसार, पिछले तीन वर्षो में 26 जनवरी तक राजनैतिक आधार पर क़रीब 26 हज़ार लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, जिनमें से 19 हज़ार 973 अब भी हिरासत में हैं.

महासचिव गुटेरेश ने हिंसा के सभी रूपों की निन्दा की है और आम नागरिकों की रक्षा करने व टकराव रोकने की पुकार लगाई है.

लोकतंत्र की ओर

महासचिव ने कहा कि म्याँमार को फिर से लोकतंत्र की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए एक रास्ता तैयार किया जाना अहम है.

“इस संकट के एक समावेशी समाधान के लिए, उन परिस्थितियों की आवश्यकता होगी, जिनसे म्याँमार की जनता अपने मानवाधिकारों का स्वतंत्रता और शान्तिपूर्वक इस्तेमाल कर सके.”

“सेना द्वारा आम लोगों को निशाना बनाकर की जाने वाली हिंसा और राजनैतिक दमन की मुहिम का अन्त किया जाना होगा, और दोषियों की जवाबदेही तय करनी होगी.”

यूएन प्रमुख ने देश में गहराते टकराव और मानवाधिकार हनन के मामलों के बीच, म्याँमार की सेना द्वारा चुनाव कराए जाने की मंशा पर चिन्ता जताई है. साथ ही, म्याँमार की जनता और एक समावेशी, शान्तिपूर्ण व न्यायसंगत समाज के लिए उनकी आकाँक्षा के साथ एकजुटता व्यक्त की है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सभी समुदायों का संरक्षण सुनिश्चित किया जाना होगा, जिनमें रोहिंज्या समुदाय भी है, जिन्हें सुरक्षा, बुनियादी अधिकारों और गरिमा की तलाश में जोखिमपूर्ण समुद्री यात्राएँ करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

विशाल आवश्यकताएँ

म्याँमार में क़रीब 1.86 करोड़ लोगों, यानि देश की एक तिहाई आबादी को इस वर्ष तत्काल मानवीय सहायता व समर्थन की दरकार है. तीन वर्ष पहले सैन्य तख़्तापलट से पूर्व देश में ज़रूरतमन्दों का आँकड़ा क़रीब 10 लाख था. 

साथ ही, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और साझेदार संगठनों को ज़रूरतमन्दों तक निर्बाध रूप से मानवीय सहायता पहुँचाने के लिए मार्ग की भी ज़रूरत होगी.

यूएन महासचिव ने म्याँमार की जनता के समर्थन के लिए अन्तरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय स्तर पर सतत रूप से ध्यान देने और सामूहिक तौर पर क़दम उठाने की अपील की है.

उन्होंने इस संकट के समाधान के लिए दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के समूह (आसियान) समेत सभी हितधारकों के साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है, तकि देश में सतत व समावेशी शान्ति हासिल की जा सके.

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