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म्याँमार: सशस्त्र सेना और पृथकतावादी गुट के बीच बढ़ती हिंसा पर चिन्ता

हाल के दिनों में उत्तरी राख़ीन में स्थित बुथीदाउंग शहर में म्याँमार की सशस्त्र सेना और अलगाववादी गुट ‘अराकान आर्मी’ के बीच लड़ाई तेज़ हुई है.

मानवीय सहायता मामलों के लिए यूएन एजेंसी (OCHA) के गुरूवार को जारी अपडेट के अनुसार आम लोगों को विनाशकारी हिंसा, बढ़ते अन्तर-सामुदायिक तनाव और युद्धरत पक्षों द्वारा जबरन सैनिक के रूप में भर्ती किए जाने का सामना करना पड़ रहा है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार, अन्य हथियारबन्द गुट भी अब लड़ाई में शामिल हो रहे हैं, जिससे अन्तर-सामुदायिक हिंसा भड़कने का भय है.

म्याँमार में सेना द्वारा फ़रवरी 2021 में सत्ता पर क़ब्ज़ा किए जाने और लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नेताओं को हिरासत भेजे जाने के बाद से ही देश विरोध प्रदर्शनों और हिंसक टकराव से जूझ रहा है.

बौद्ध बहुल देश म्याँमार में राख़ीन सबसे निर्धन क्षेत्र है और इसी प्रान्त में अधिकतर रोहिंज्या आबादी रहती है. 

यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने कुछ सप्ताह पहले अपने एक वक्तव्य में आगाह किया था कि राख़ीन प्रान्त एक बार फिर से अनेक पक्षों के लिए रणभूमि बन गया है. आम नागरिकों को इसकी एक बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ रही है, और रोहिंज्या लोगों पर विशेष रूप से जोखिम है.

बढ़ता टकराव

अराकान आर्मी शहर के केन्द्रीय इलाक़े की ओर जैसे-जैसे बढ़ रही है, वैसे ही सैन्य हवाई हमलों की गहनता बढ़ रही है जिससे आम नागरिक और मानवीय सहायताकर्मियों में भय व्याप्त है.

यूएन एजेंसी ने ध्यान दिलाया है कि सभी युद्धरत पक्षों को अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून के तहत अपने तयशुदा दायित्वों का निर्वहन करना होगा. इसके तहत मानवीय सहायताकर्मियों और मानवतावादी संगठनों के परिसरों को निशाना बनाकर हमले नहीं किए जा सकते हैं.

म्याँमार में बिगड़ते हालात के बीच, यूएन ने आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने, हिंसक टकराव रोकने और मानवीय सहायता मार्ग सुलभ बनाने का आग्रह किया है.

साथ ही, भ्रामक जानकारी और नफ़रत भरे सन्देशों के फैलाव को रोकना अहम होगा, और सामाजिक जुड़ाव व मानवाधिकारों के लिए सम्मान ज़रूरी है.

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