Uncategorized

म्याँमार में तेज़ हुई लड़ाई में, सिविल ठिकानों पर हमलों पर चिन्ता

म्याँमार की सेनाऔर नस्लीय सशस्त्र गुटों के तीन समूहों के गठबन्धन के बीच युद्धविराम समझौता टूट जाने के बाद, जुलाई के आरम्भ में पूर्वी इलाक़े में सघन लड़ाई भड़क उठी थी. ये तीन समूह देश की सेना के ख़िलाफ़ अक्टूबर 2023 में एकजुट हुए थे.

ख़बरों से संकेत मिलते हैं कि नस्लीय गुटों के समूहों ने कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रीय नगरों पर क़ब्ज़ा कर लिया है, जबकि देश की सेना – तात्मादाव ने लड़ाई में भारी हथियारों का प्रयोग किया है, जिनमें तोपों का प्रयोग और हवाई हमले शामिल हैं.

इस लड़ाई में सैकड़ों आम लोगों की मौत हो गई है और लाखों लोग विस्थापित हुए हैं.

सेना ने जब फ़रवरी 2021 में, देश की सरकार का तख़्तापलट करके सत्ता पर अपना क़ब्ज़ा किया, तब से देश की स्थिति लगातार बिगड़ी है. उस सरकार के नेताओं को क़ैद में डाल दिया था जिनमें राष्ट्रपति विन म्यिन्त और स्टेट काउंसलर आँग सान सू ची व अन्य नेता शामिल थे. देश भर में 20 हज़ार से अधिक राजनैतिक लोगों को भी बन्दी बनाकर रखा गया है.

आम लोगों का घातक नुक़सान

जनसंहार की रोकथाम पर विशेष सलाहकार ऐलिस वाइरीमू न्देरीतू और संरक्षण की ज़िम्मेदारी पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष सलाहकार मो ब्लीकर ने एक संयुक्त वक्तव्य में, आम लोगों पर इस तेज़ हुई लड़ाई के असर की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया है.

उन्होंने कहा है, “नस्लीय सशस्त्र समूहों और म्याँमार सेना के बीच हिंसा में आई इस तेज़ी की भारी क़ीमत, अक्टूबर 2023 के बाद से देश भर में आम लोग उठा रहे हैं.”

उन्होंने ध्यान दिलाया कि हर एक नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करना सेना की ज़िम्मेदारी है, भले ही उनका धर्म, जातीयता, मूल, लिंग या राजनैतिक झुकाव कोई भी हो.

रोहिंज्या के विरुद्ध हमले

इन दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने, देश के पश्चिमी राख़ीन प्रान्त में अल्पसंख्यक रोहिंज्या समुदाय के सदस्यों की स्थिति पर भी गहरी चिन्ता व्यक्त की है. ख़बरों हैं कि इस प्रान्त में नस्लीय सशस्त्र गुट – अराकान आर्मी और सेना दोनों ने ही रोहिंज्या समुदाय के लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है.

इनमें लोगों की निर्मम हत्याएँ, गाँवों को जला देना, ड्रोन हमले और सुरक्षा के लिए भाग रहे निहत्थे लोगों की हत्याएँ किया जाना शामिल हैं.

ऐसी भी ख़बरें हैं कि रोहिंज्या व अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को, मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है और उन्हें सशस्त्र बलों व हथियारबन्द गुटों में लड़ाई के लिए जबरन शामिल किया जा रहा है.

इन दोनों अधिकारियों के संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि रोहिंज्या व अराकान आर्मी के दरम्यान नस्लीय तनाव भड़काने के लिए, वर्ष 2017 के बाद फिर से, हेट स्पीच का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे अन्तर-जातीय ध्रुवीकरण बढ़ने की आशंका है.

Source link

Most Popular

To Top