ग़ौरतलब है कि म्याँमार में उस सैन्य तख़्तापलट के बाद लाखों लोग, मानवीय संकट में फँस गए हैं, और जारी हिंसा में कई हज़ार लोग हताहत भी हुए हैं.
यूएन महासचिन की शुक्रवार को यह अपील ऐसे समय में आई है जब यूए सहायता एजेंसियों ने आगाह किया है कि म्याँमार में लाखों लोगों को बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने के लिए ज़रूरी चीज़ों की सख़्त आवश्यकता है.
विशेष रूप से उत्तरी क्षेत्र, दक्षिण-पूर्वी इलाक़ों और राख़ीन प्रान्त में स्थिति बहुत गम्भीर बताई गई है.
यूएन मानवीय सहायता एजेंसियों का कहना है कि पहले से ही गम्भीर स्थिति को, मौसमी बारिश और भीषण बाढ़ ने और भी बदतर बना दिया है, जिससे मानवीय आपूर्ति में बाधाएँ आ रही हैं और साथ ही ज़रूरी राहत राशि की भी कमी है.
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के संगठन – ASEAN की शुक्रवार को हुई एक बैठक में कहा, “मानवीय स्थिति बहुत ख़राब हो रही है.”
“एक तिहाई आबादी को मानवीय सहायता की गम्भीर आवश्यकता है. लाखों लोगों को अपने घर छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा है.”
उन्होंने म्याँमार के नेतृत्व में प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए नवाचारी रास्तों की तलाश करने में, संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत और ASEAN के अध्यक्ष के बीच मज़बूत सहयोग का समर्थन भी किया है.
यूएन प्रमुख ने कहा कि म्याँमार में शान्ति के लिए, ASEAN की 5 सूत्रीय सहमति को असरदार तरीक़े से लागू किया जाना अहम है.
इस सहमति योजना में हिंसा को तत्काल बन्द किए जाने, सभी पक्षों के दरम्यान बातचीत होने और मानवीय सहायता आपूर्ति बढ़ाए जाने जैसे मामले शामिल हैं.
मानवीय सहायता ज़रूरतें
संयुक्त राष्ट्र की आपदा राहत समन्वय एजेंसी – OCHA के अनुसार, पूरे म्याँमार में लगभग 30 लाख लोग विस्थापित हैं, जो पिछले लगभग तीन वर्षों की हिंसा व अशान्ति से बचने के लिए भागे हैं.
इन हालात ने विशेष रूप से उत्तरी, दक्षिण-पूर्वी और राख़ीन प्रान्त में बहुत बड़े पैमाने पर मानवीय ज़रूरतें उत्पन्न कर दी हैं.
मीडिया ख़बरों के अनुसार, सितम्बर के आरम्भिक दिनों से मानसूनी बारिश, भीषण बाढ़ और उसके बाद आए यागी तूफ़ान से, लगभग 10 लाख लोग, प्रभावित हुए हैं. बाढ़ में कम से कम 360 लोगों की मौतें भी हुई हैं और विभिन्न क्षेत्रों में अनेक लोग घायल भी हुए हैं.
खाद्य अभाव के बढ़ते स्तरों के बारे में भी गहरी चिन्ताएँ व्यक्त की गई हैं क्योंकि इन प्राकृतिक आपदाओं में बहुत सी फ़सलें और मवेशी भी बह गए, जिससे संवेदनशील समुदायों की आजीविकाएँ भी बर्बाद हो गई हैं.
OCHA ने बताया कि स्थानीय स्वेच्छाकर्मी उन इलाक़ों में सफ़ाई कर रहे है जहाँ बाढ़ का पानी उतर गया है, मगर लगातार हो रही बारिश और उफनती नदियों से, अब भी बाढ़ आने का जोखिम बना हुआ है.
यूएन एजेंसियों के सहायता अभियानों में दक्षिण-पूर्वी, पश्चिमोत्तर और राख़ीन प्रान्त में, अभी तक एक लाख 50 हज़ार लोगों तक खाद्य सामग्री पहुँचाई गई है. इसके अलावा दक्षिण-पूर्वी इलाक़े में 73 हज़ार अतिरिक्त लोगों तक भी सहायता पहुँचाए जाने की योजना है.
पश्चिमोत्तर इलाक़े में 80 हज़ार से अधिक लोगों तक स्वच्छ जल, साफ़-सफ़ाई और स्वच्छता किटें उपलब्ध कराई हैं, साथ ही आश्रय सामान और कुछ अन्य चीज़ें भी मुहैया कराई गई हैं.