उप प्रतिनिधि वुओलो ने यूएन न्यूज़ के विभू मिश्रा के साथ एक बातचीत में कहा कि इस आपदा से पहले भी, म्याँमार में 1.2 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य देखभाल सहायता की आवश्यकता थी. मगर, भूकम्प से हुई बर्बादी के बाद हालात बद से बदतर हो गए हैं.
अब तक, क़रीब 3,900 लोगों के मारे जाने, छह हज़ार के घायल होने की जानकारी मिली है, और हैज़ा व मलेरिया जैसी घातक बीमारियों के फैलाव का जोखिम है.
WHO अधिकारी के अनुसार, स्वास्थ्य के अलावा भोजन, जल, सुरक्षा व आश्रय समेत अन्य आवश्यकताएँ भी हैं. हालात गम्भीर होते जा रहे हैं और यहाँ आपात हालात के भीतर आपात हालात उत्पन्न हो गए हैं.
उन्होंने कहा कि भूकम्प के 24 घंटों के भीतर ही, यूएन एजेंसी ने तत्काल राहत अभियान के लिए यंगून से चिकित्सा आपूर्ति रवाना कर दी थी. पिछले एक सप्ताह से, संगठन अन्य यूएन एजेंसियों के साथ मिलकर ज़रूरतमन्द आबादी के लिए सहायता अभियान को आगे बढ़ा रहा है.
अनेक अस्पताल ध्वस्त हो गए हैं. म्याँमार में पिछले चार वर्षों से जारी संकट से स्थानीय स्वास्थ्य व्यवस्था पर पहले से ही भीषण दबाव था. भूकम्प से हुई बर्बादी के बाद मानवीय सहायता व स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताएँ और बढ़ेंगी. एक अनुमान के अनुसार, प्रभावित इलाक़ों में 86 फ़ीसदी स्वास्थ्य केन्द्र क्षतिग्रस्त हुए हैं, जिनमें अस्पताल भी हैं.

म्याँमार में 7.7 की तीव्रता वाले भूकम्प से इमारतों व बुनियादी प्रतिष्ठानों को भारी नुक़सान पहुँचा है.
बढ़ती स्वास्थ्य चिन्ताएँ
उप प्रतिनिधि ऐलेना वुओलो ने बताया कि दूषित जल व गंदगी व्याप्त होने की वजह से हैज़ा समेत अन्य बीमारियों के फैलने की रोकथाम के लिए कोशिशें की जा रही हैं.
पिछले वर्ष, मैंडाले में पहले ही हैज़ा संक्रमण के मामले सामने आए थे, और इस आपदा से वही प्रान्त सर्वाधिक प्रभावित है.
रोकथाम प्रयासों के तहत, 70 हज़ार से अधिक टीकाकरण अभियान के लिए शुरू किया गया है, मगर वैक्सीन की उपलब्धता सीमित है और सभी ज़रूरतमन्दों तक टीके लगाना सम्भव नहीं होगा.
मानवीय सहायता उद्देश्यों के लिए धनराशि व अन्तरराष्ट्रीय समर्थन में कमी आई है, जिससे हालात चिन्ताजनक हैं. इसके बावजूद, भूकम्प प्रभावित समुदायों तक जीवनरक्षक सहायता पहुँचाने, मानसिक स्वास्थ्य समर्थन मुहैया कराने और स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान रोकने की कोशिशें की जा रही हैं.

म्याँमार में भूकम्प से प्रभावित आबादी के लिए आपात राहत सामान को यंगून के एक भंडारण केन्द्र में उतारा जा रहा है.
वित्तीय समर्थन में कटौती का असर
WHO उप प्रतिनिधि ने बताया कि 2025 के शुरुआती तीन महीने के दौरान, बहुपक्षीय व्यवस्था में बड़े बदलाव आए हैं. अनेक देशों ने वैश्विक स्वास्थ्य, अन्तरराष्ट्रीय सहायता व विकास की बजाय सैन्य ख़र्च को प्राथमिकता देनी शुरू की है.
दिसम्बर 2024 तक, मानवीय संकट से जूझ रहे म्याँमार के लिए सबसे कम स्तर पर सहायता धनराशि उपलब्ध थी. ऐलेना वुओलो ने कहा कि म्याँमार पर और अधिक ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है.
अमेरिका और अन्य देशों से वित्तीय समर्थन में कटौती आने की वजह से सहायता अभियान में मुश्किलें पेश आ रही हैं. मार्च महीने तक, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए इस वर्ष की कुल ज़रूरतों में से केवल दो फ़ीसदी ही मिल पाया है.
फ़िलहाल, म्याँमार में राहत अभियान के इरादे से अगले 30 दिनों के लिए 80 लाख डॉलर की औचक अपील जारी की गई है, ताकि जीवनरक्षक सहायता मुहैया कराई जा सके. देश में पुनर्निर्माण, क्षतिग्रस्त अस्पतालों व स्कूलों को फिर से खड़ा करने की ज़रूरत है और स्थानीय आबादी का संरक्षण सुनिश्चित करना होगा.
WHO उप प्रतिनिधि ने कहा कि ख़त्म होते संसाधनों के बीच, नवाचारी समाधानों व साझेदारियों की तलाश करने की ज़रूरत है. उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वैश्विक सहायता तंत्र को ठेस पहुँचाने वाले इन क़दमों के नतीजों पर पुनर्विचार किया जाना होगा. जीवनरक्षक दवाओं के लिए समर्थन में कटौती की वजह से लोगों की जान जा रही है और इसे रोकना होगा.
