दुनिया भर की इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को निवेश के लिए आकर्षित करने के मकसद से सरकार ने हाल में एक पॉलिसी का ऐलान किया है। अब सरकार का कहना है कि वह चीन समेत किसी भी देश से इलेक्ट्रिक गाड़ियों के इंपोर्ट पर पाबंदी नहीं लगाएगी। डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इटरनल ट्रेड (DPIIT) के सेक्रेटरी राजेश कुमार सिंह ने बताया, ‘चीन से ऐसी कारों के इंपोर्ट पर कोई पाबंदी नहीं है। ड्यूटी के भुगतान के बाद BYD की गाड़ियां पहले से ही सड़कों पर मौजूद हैं। सिर्फ जमीन की सीमा वाले देशों से निवेश पर पर पाबंदी है। मौजूदा नियम के तहत चीन से फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (FDI) पर पाबंदी है, लेकिन इंपोर्ट मुमकिन है। भविष्य में क्या होगा, इस पर मैं टिप्पणी नहीं कर सकता।’
उन्होंने कहा, ‘मौजूदा पॉलिसी रेगुलेशंस के मुताबिक, चीन से गाड़ियों के इंपोर्ट पर कोई पाबंदी नहीं है, बशर्ते कंपनियां ड्यूटी का भुगतान करें और डोमेस्टिक वैल्यू एडिशन की शर्तों को पूरा करें।’
भारत की नई इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी के तहत इलेक्ट्रिक कारों की मैन्युफैक्चरिंग के लिए न्यूनतम 4,150 करोड़ के निवेश पर 100% से 15% छूट देने की बात कही गई है। इसके तहत आवेदक को बैंक गारंटी देनी होगी और तीन साल के भीतर मैन्युफैक्चरिंग शुरू नहीं होने और 25% डोमेस्टिक वैल्यू एडिशन का लक्ष्य हासिल नहीं करने की स्थिति में यह गारंटी जब्त कर ली जाएगी। हर आवेदक कंपनी के लिए भारत में एंट्री के 5 साल के भीतर 50% डोमेस्टिक वैल्यू एडिशन जरूरी है।
अधिकारी ने सीएनबीसी-टीवी18 को बताया कि नई इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी संतुलित है और उसे अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स से अच्छा रेस्पॉन्स मिला है। इनमें ऐसे स्टेकहोल्डर्स भी शामिल हैं, जो पहले इस पॉलिसी का विरोध कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘मैं सिर्फ इतना कहूंगा कि भारत के बाहर मौजूद कंपनियां और यहां मौजूद ग्लोबल कंपनियों ने इस पॉलिसी को लेकर काफी अच्छी प्रतिक्रिया दी है।’