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मानवाधिकारों के लिए गहराता संकट, ‘बेतुके’ टकरावों व मानव पीड़ा पर विराम लगाने की अपील

मानवाधिकारों के लिए गहराता संकट, ‘बेतुके’ टकरावों व मानव पीड़ा पर विराम लगाने की अपील

हर वर्ष 10 दिसम्बर को अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है. उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने इससे ठीक पहले जिनीवा में अपने सम्बोधन में ध्यान दिलाया कि मौजूदा दौर में मानवाधिकारों का ना केवल उल्लंघन किया जा रहा है, बल्कि उन्हें औज़ार के रूप में भी इस्तेमाल किया जा रहा है.

उनके अनुसार, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष तीन अहम मुद्दे हैं: सशस्त्र टकरावों का प्रसार, जानबूझकर ग़लत जानकारी फैलाने के मामलों में उभार, और दीर्घकालिक सुरक्षा की उपेक्षा.

हिंसक टकराव के दौरान आचरण से अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के प्रति सम्मान को ठेस पहुँचाई जा रही है, और ऐसा प्रतीत होता है कि शक्तिशाली पक्ष बड़ी संख्या में हताहतों और पीड़ा के प्रति बेपरवाह हैं.

इस क्रम में, वोल्कर टर्क ने इसराइल, क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े, लेबनान, यूक्रेन, सूडान, म्याँमार, हेती समेत अन्य संकटों का उल्लेख किया.

पिछले 12 महीनों में बड़े पैमाने पर आम लोगों की जान गई है. केवल हेती में, हिंसा के कारण पाँच हज़ार लोग मारे जा चुके हैं. इस सप्ताहांत ही, आपराधिक गुटों के संहार में 184 लोगों ने अपनी जान गँवाई है.

उच्चायुक्त टर्क ने बताया कि लोगों को निशाना बनाने वाली बारूदी सुरंगों, परमाणु ख़तरों समेत ताबड़तोड़ हमले करने वाले हथियारों का इस्तेमाल बढ़ रहा है.

“हमें इन हथियारों के प्रवाह को रोकने की आवश्यकता है. देशों को हरसम्भव क़दम उठाने होंगे ताकि इन भयावह हथियारों को इस्तेमाल में लाना सरल ना हो, बल्कि और कठिन हो.”

उन्होंने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था के लिए सैन्यीकृत तौर-तरीक़ों का इस्तेमाल बन्द करना होगा, और इसके बजाय मध्यस्थता, आपसी बातचीत और शान्तिनिर्माण प्रयासों को प्रमुखता देनी होगी.

जानबूझकर ग़लत जानकारी को फैलाना

मानवाधिकार मामलों के प्रमुख ने चिन्ता जताई कि जानबूझकर ग़लत जानकारी फैलाने (disinformation) के मामलों में तेज़ी आ रही है, जोकि दरारों को गहरा बनाने, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को कमज़ोर करने और वास्तविकता को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का एक औज़ार है.

उन्होंने मानवता-विरोधी मूल्यों की आलोचना की, जिसके ज़रिये समस्याओं के लिए अल्पसंख्यकों पर दोषारोपण किया जाता है, और लोगों को उनके आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है.

वोल्कर टर्क के अनुसार, नेतृत्व पदों पर आसीन लोगों को अन्य समुदायों को दूसरा बताने से रोकना होगा, जिससे पूरे समुदायों का अमानवीयकरण किया जाता है, नफ़रत व हिंसा को ईंधन मिलता है, और श्वेत वर्चस्ववाद समेत ज़हरीली विचारधाराओं व नस्लवाद को पोषण मिलता है.

पृथ्वी पर तिहरा संकट

यूएन उच्चायुक्त ने ज़ोर देकर कहा कि पृथ्वी पर मंडराते तिहरे संकटों – जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जैवविविधता हानि – से तुरन्त निपटे जाने की आवश्यकता है, और वैश्विक असमानता पर भी पार पाना होगा.

वोल्कर टर्क ने ध्यान दिलाया कि क्षति की रोकथाम के लिए तयशुदा क़ानूनी दायित्वों के बावजूद, कुछ देश अपने जलवायु संकल्पों से पीछे हट रहे हैं, जिससे दीर्घकालिक सुरक्षा पर जोखिम बढ़ रहा है.

इस पृष्ठभूमि में, उन्होंने देशों से आग्रह किया कि नेतृत्व व राजनैतिक ऊर्जा के ज़रिये इन संकटों से निपटा जाना होगा, चूँकि हालात तेज़ी से बिगड़ रहे हैं.

मानवाधिकारों में निवेश

वोल्कर टर्क ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं के पास वित्तीय संसाधनों की कमी है, जिन्हें यूएन के कुल नियमित बजट में से पाँच फ़ीसदी से कम ही मिल पाता है.

उन्होंने देशों से यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय को पर्याप्त स्तर पर संसाधन मुहैया कराए जाने का आग्रह करते हुए कहा कि वित्तीय बाधाओं के कारण मानव गरिमा की रक्षा करने के प्रयास कमज़ोर हो रहे हैं.

उच्चायुक्त टर्क के अनुसार, इस मानवाधिकार दिवस पर, अपने शहरों, समुदायों, कार्यस्थलों व जीवन में गठबंधनों का निर्माण करना होगा और उन्हें समर्थन देना होगा, ताकि हर व्यक्ति के मानवाधिकारों व गरिमा की रक्षा की जा सके.

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