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मानवतावादी युद्धविराम, ग़ाज़ा में ‘दुस्वप्न का अन्त’ करने के लिए एकमात्र रास्ता

उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा में जारी युद्ध में फ़िलहाल कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है, और आम नागरिकों की रक्षा के लिए कोई कारगर व्यवस्था नहीं है. इसराइली बमबारी जारी है और हमास व अन्य गुट इसराइली इलाक़ों में रॉकेट दाग रहे हैं.  

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि अब तक हिंसा में 20 हज़ार से अधिक फ़लस्तीनियों की मौत हुई है, 19 लाख अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर हुए हैं, जोकि स्थानीय आबादी का लगभग 85 फ़ीसदी है.

यूएन प्रमुख के अनुसार, ग़ाज़ा में स्वास्थ्य प्रणाली घुटने टेक चुकी है, स्वच्छ जल की बूँद मिल पाना मुश्किल है, और विश्व खाद्य कार्यक्रम ने बड़े पैमाने पर अकाल के ख़तरे के प्रति आगाह किया है. 

“ग़ाज़ा में लोगों की हताशा भरी ज़रूरतों को पूरा करने और उनके लिए इस दुस्वप्न का अन्त करने के लिए एक मानवतावादी युद्धविराम ही एकमात्र रास्ता है.”

“मैं आशा करता हूँ कि सुरक्षा परिषद के आज के प्रस्ताव से अन्तत: यह साकार करने में मदद मिलेगी, लेकिन तत्काल और अधिक किया जाना होगा.”

यूएन प्रमुख ने पत्रकारों को बताया कि ग़ाज़ा में मानवीय सहायता अभियान की प्रभावशीलता को राहत ट्रकों की संख्या के आधार पर आँकना एक ग़लती है.

“असल समस्या यह है कि इसराइल जिस तरह से यह अभियान चला रहा है, उससे ग़ाज़ा के भीतर मानवीय सहायता वितरण के काम में विशाल अवरोध पैदा हो रहे हैं.”

चार अहम बिन्दु

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि कारगर राहत अभियान के लिए चार अहम बिन्दुओं पर ध्यान दिया जाना होगा, मगर फ़िलहाल ऐसा नहीं हो पा रहा है. 

पहला, युद्धभूमि में मानवीय सहायता पहुँचाने के लिए सुरक्षा सुनिश्चित किया जाना ज़रूरी है.

दूसरा, मानवीय राहत अभियान संचालन के लिए सहायताकर्मियों की आवश्यकता होगी, जो वहाँ सुरक्षा में रह और काम कर सकें.

पिछले 75 दिनों में अब तक 136 यूएन कर्मचारियों ने अपनी जान गँवाई हैं. महासचिव ने ध्यान दिलाया कि यूएन के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ.

तीसरा, अभियान संचालन सम्बन्धी व्यवस्था (logistics) को सरल बनाया जाना होगा. राहत पहुँचाने के काम में लगाए गए अनेक ट्रक ध्वस्त हो चुके हैं या फिर उन्हें उत्तरी ग़ाज़ा में ही मजबूरी में छोड़ कर पीछे हटना पड़ा. इसराइली प्रशासन ने फ़िलहाल अतिरिक्त ट्रकों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी है. जिससे राहत अभियान में दिक्कतें पेश आ रही हैं. 

चौथा, वाणिज्यिक गतिविधियों को फिर से शुरू किया जाना होगा. ग़ाज़ा के बाज़ारों में ज़रूरी सामान की क़िल्लत है, लोग भूखे हैं और पूरे ग़ाज़ा में केवल एक बेकरी काम कर रही है.

राहत पहुँचाने के काम में लगाए गए अनेक ट्रक ध्वस्त हो चुके हैं या फिर उन्हें उत्तरी ग़ाज़ा में ही मजबूरी में छोड़ कर पीछे हटना पड़ा. इसराइली प्रशासन ने फ़िलहाल अतिरिक्त ट्रकों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी है. जिससे राहत अभियान में दिक्कतें पेश आ रही हैं. 

एकजुटता पर बल

यूएन महासचिव ने ध्यान दिलाया कि इसराइलियों और फ़लस्तीनियों के बीच दो-राष्ट्र समाधान ही, सतत शान्ति का एकमात्र रास्ता है.

उन्होंने कहा कि इस हिंसक टकराव के झटके, तात्कालिक क्षेत्र में महसूस किए जा रहे हैं और यह वैश्विक शान्ति व सुरक्षा के लिए एक बड़ा ख़तरा पेश कर रहा है.

महासचिव ने भरोसा दिलाया यह टकराव यदि और गहन होता है और भयावह रूप धारण करता है, तो भी संयुक्त राष्ट्र अपनी भूमिका निभाता रहेगा और प्रयास जारी रखे जाएंगे.

मगर, उनके अनुसार यह ज़रूरी है कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय एक आवाज़ में शान्ति, आमजन की रक्षा, पीड़ा का अन्त करने और दो राष्ट्र समाधान के पक्ष में अपनी बात रखे. 

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