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मातृत्व मौतों की रोकथाम में धीमी प्रगति, वित्तीय समर्थन में कटौती से बढ़ा जोखिम

मातृत्व मौतों की रोकथाम में धीमी प्रगति, वित्तीय समर्थन में कटौती से बढ़ा जोखिम

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य मामलों के लिए यूएन एजेंसी (UNFPA) ने, सोमवार, 7 अप्रैल, को विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर ‘Trends in maternal mortality’ नामक यह रिपोर्ट जारी की है.

अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2000 से 2023 के दौरान, मातृत्व मौतों — गर्भावस्था या प्रसव के दौरान, या उसके 42 दिनों के भीतर मौत होना — में 40 फ़ीसदी की कमी आई है.

अत्यधिक रक्तस्राव, संक्रमण, उच्च रक्तचाप, जन्म देते समय स्वास्थ्य जटिलताओं, असुरक्षित गर्भपात समेत अन्य कारणों से महिलाओं की मौत होने की आशंका होती है. स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता बढ़ने से हालात में सुधार आया है, हालांकि 2016 के बाद से बेहतरी की रफ़्तार धीमी हो रही है.

एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2023 में दो लाख 60 हज़ार महिलाओं की गर्भावस्था या प्रसव के दौरान जटिलताओं की वजह से जान गई, जोकि लगभग हर दो मिनट में एक मातृत्व मौत के समान है.

वित्तीय समर्थन में कटौती की वजह से मातृत्व, नवजात शिशु व बाल स्वास्थ्य सेवाओं पर गहरा असर होने की आशंका है, जिसके मद्देनज़र यूएन एजेंसियों ने तत्काल क़दम उठाए जाने की पुकार लगाई है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि यह रिपोर्ट आशा की किरण है, मगर डेटा यह भी दर्शाता है कि दुनिया के अधिकाँश हिस्सों में गर्भावस्था अब भी कितनी ख़तरनाक है, जबकि मातृत्व मौतों की रोकथाम के लिए समाधान मौजूद हैं.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि गुणवत्तापूर्ण मातृत्व देखभाल सेवाओं को सुनिश्चित करने के साथ-साथ, महिलाओं व लड़कियों के स्वास्थ्य व प्रजनन अधिकारों को मज़बूती देनी होगी. ये ऐसे कारण हैं, जिनसे गर्भावस्था के दौरान व उससे परे स्वस्थ नतीजे हासिल किए जा सकते हैं.

कोविड-19 का असर

अध्ययन में वैश्विक महामारी कोविड-19 से विश्व भर में मातृत्व स्वास्थ्य पर हुए असर की भी पड़ताल की गई है.

वर्ष 2021 में गर्भावस्था या प्रसव के दौरान 40 हज़ार से अधिक, अतिरिक्त संख्या में महिलाओं की मौत हुई जब 2020 की तुलना में मृतक संख्या 2.82 लाख से बढ़कर 3.22 लाख तक पहुँच गई थी.

मातृत्व मौतों में आए इस उछाल की वजह न केवल कोविड-19 संक्रमण के कारण आई जटिलताएँ थी, बल्कि मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं में भी व्यापक व्यवधान आया.

यूएन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह दर्शाता है कि वैश्विक महामारी और अन्य आपात हालात के दौरान इन देखभाल सेवाओं को बरक़रार रखना अहम है, ताकि महिलाओं के लिए नियमित रूप से स्वास्थ्य जाँच हो सके.

क्षेत्रीय स्तर पर असमानताएँ

रिपोर्ट बताती है कि विभिन्न देशों व क्षेत्रों के बीच असमानताएँ पसरी हुई हैं और प्रगति भी समान रूप से दर्ज नहीं की गई है. 2000 से 2023 के दौरान, मातृत्व मौतों में 40 फ़ीसदी की कमी आई है, और सब-सहारा अफ़्रीका में हालात में सुधार आया है.

वर्ष 2015 के बाद से संयुक्त राष्ट्र के निम्न तीन क्षेत्रों में मातृत्व मौतों में गिरावट आई है: ऑस्ट्रेलिया व न्यूज़ीलैंड, मध्य व दक्षिणी एशिया, सब-सहारा अफ़्रीका.

इसके बावजूद, सब-सहारा अफ़्रीका में व्याप्त निर्धनता व धधकते हिंसक टकरावों की वजह से यह समस्या अब भी विशाल स्तर पर है, और 2023 में कुल मातृत्व मौतों का 70 प्रतिशत यहीं दर्ज किया गया.

2015 के बाद से पाँच क्षेत्रों में प्रगति ठहर गई है: उत्तरी अफ़्रीका व पश्चिमी एशिया, पूर्वी व दक्षिण-पूर्वी एशिया, ओशनिया, योरोप व उत्तरी अमेरिका, लातिन अमेरिका व कैरीबियाई क्षेत्र.

अफ़ग़ानिस्तान के दाइकुण्डी इलाक़े में, एक परिवार कल्याण स्वास्थ्य केन्द्र पर, एक दाई स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया कराते हुए.

अफ़ग़ानिस्तान के दाइकुण्डी इलाक़े में, एक परिवार कल्याण स्वास्थ्य केन्द्र पर, एक दाई स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया कराते हुए.

तुरन्त निवेश पर बल

रिपोर्ट में गर्भावस्था के दौरान, प्रसव और उसके बाद के हफ़्तों में अति-महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को मुहैया कराने पर बल दिया गया है. साथ ही, परिवार नियोजन सेवाओं की सुलभता के ज़रिये महिलाओं के स्वास्थ्य पर पहले से ही ध्यान दिया जाना होगा.

पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याओं, जैसेकि रक्त की कमी, मलेरिया समेत अन्य ग़ैर-संचारी रोगों की समय रहते जाँच व उपचार के साथ-साथ महिलाओं व लड़कियों को स्कूली स्तर पर स्वास्थ्य रक्षा के लिए शिक्षा भी ज़रूरी है.

यूएन एजेंसियों ने कहा कि मातृत्व मौतों की रोकथाम के लिए तुरन्त निवेश की आवश्यकता है, अन्यथा दुनिया सतत विकास लक्ष्यों में अपने लक्ष्य से पीछे रह जाएगी.

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