संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम सम्मेलन (UNCCD) ने, दुनिया भर से 35 वर्ष से कम आयु के 10 “भूमि नायकों” का चयन किया है.
इन युवाओं ने अपने कार्यों और विचारों के ज़रिए, ऐसे दौर में स्थाई भूमि प्रबन्धन के उपाय प्रस्तुत किए हैं, जब मरुस्थलीकरण और भूमि क्षरण का ख़तरा वैश्विक स्तर पर बढ़ता जा रहा है.
रियाद में (UNCCD) का वैश्विक मरुस्थलीकरण सम्मेलन (COP16) का 16वाँँ सत्र जारी है.
इस बीच, 2024 के भूमि नायकों से मिलकर जानें कि वे किस तरह बदलाव के कारक बनकर, अन्य युवजन को एकजुट कर सकते हैं, मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं और सामूहिक प्रयासों की परिवर्तनकारी शक्ति प्रदर्शित कर सकते हैं.
सिद्धेश सकोरे, भारत
सिद्धेश सकोरे ने किसानों व उनके परिवारों के सामने मौजूद आर्थिक कठिनाइयों को बहुत क़रीब से देखा है. वह ख़ुद भी “एक ग़रीब किसान परिवार” में पले-बढ़े हैं.
उनकी संस्था ऐग्रो रेंजर्स मुख्यत: मिट्टी के क्षरण की रोकथाम पर काम करती है, जिससे भूमि की उत्पादकता एवं किसानों की आजीविका सीधे तौर पर प्रभावित होती है.
मिट्टी का क्षरण, अक्सर अनुचित उपयोग, कुप्रबन्धन, कटाव, बाढ़, मरुस्थलीकरण और रसायनों से प्रदूषण के कारण होता है.
सिद्धेश सकोरे का सपना ख़ासतौर पर पुणे के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में किसानों के लिए आजीविका के अवसर पैदा करने का है. वो रासायनिक खेती से जैविक कृषि वानिकीकी प्रथाओं का रुख़ करके, किसानों की स्थिति सुधारने पर काम कर रहे हैं.
“ऐग्रो रेंजर्स में हमारा मानना है कि मरुस्थलीकरण और सूखे के ख़िलाफ़ लड़ाई की शुरूआत, स्थाई, समुदाय-आधारित कृषि प्रथाओं एवं कृषि वानिकी नवाचारों से होती है.”
“हम किसानों को पेड़ों और फ़सलों को एकीकृत करने के ज्ञान व उपकरण मुहैया कराकर, मिट्टी को पुनर्जीवित एवं संरक्षित कर रहे हैं, जिससे भूमि को एक मज़बूत तथा टिकाऊ भविष्य के लिए तैयार किया जा सके.”
रोकियातु त्राओरे, माली
रोकियातु त्राओरे ख़ुद को एक “हरित उद्यमी” मानती हैं और माली में मॉरिंगा पेड़ पर आधारित एक सामाजिक उद्यम चला रही हैं.
इसमें उन्होंने लगभग 100 महिलाओं को 20 हज़ार मोरिंगा पेड़ों से उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया है. इन उत्पादों में जैविक चाय, पाउडर, तेल, साबुन, मसाले और शिशु आहार शामिल हैं, जिन्हें सात से अधिक देशों में निर्यात किया जा रहा है.
2023 में, रोकियातु त्राओरे ने 5,000 महिलाओं और युवा किसानों के लिए, मॉरिंगा के बीजों से अंकुरित 1 लाख 50 हज़ार सूखा-प्रतिरोधी मॉरिंगा पौधे तैयार किए.
वो कहती हैं, “बीज एक सुप्त जीवन है. इसे पानी, मिट्टी और सुरक्षा मुहैया कराए जाएँ तो यह मरुस्थलीकरण, महिलाओं की निर्धनता व कुपोषण की समस्याओं का स्थाई समाधान कर सकता है.”
भविष्य के लिए उनकी योजनाएँ बेहद महत्वाकांक्षी हैं. वो वर्ष 2030 तक लाखों मॉरिंगा उत्पादक महिलाओं का एक नैटवर्क स्थापित करना चाहती हैं.
इसके अलावा, 1 करोड़ मॉरिंगा के पेड़ों का रोपण तथा मोरिंगा-आधारित उत्पादों को राष्ट्रीय, क्षेत्रीय व अन्तरराष्ट्रीय बाज़ारों में निर्यात करना चाहती हैं.
उनका मानना है कि “दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ कुछ भी नामुमकिन नहीं है.”
तकुदज़वा एश्ले म्लाम्बो, ज़िम्बाब्वे
तकुदज़वा एश्ले म्लाम्बो के लिए पेड़ लगाना, भूमि की पुनर्बहाली और मरुस्थलीकरण को रोकने के प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
युवजन-संचालित उनके संगठन ‘फ़ॉरेस्ट्री एंड सिट्रस रिसर्च (FACIR)’ का लक्ष्य, ज़िम्बाब्वे में एक अरब पेड़ लगाना और उनकी निगरानी करना है.
वह ख़ुद को एक “विघ्नकारी नवाचारी” की संज्ञा देते हुए, इस पहल की निगरानी के लिए, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और सैटेलाइट तकनीक का उपयोग करते हैं.
उनका मानना है कि वनीकरण करने, जलवायु परिवर्तन की रफ़्तार रोकने और वैश्विक तापमान को पूर्व औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सैल्सियस तक सीमित रखने के लिए आवश्यक क़दम है.
उनका मानना है, “हरियाली जितनी अधिक बढ़ेगी, वातावरण उतना ही ठंडा होगा.”
बिली क्रिस्टल जी. डुमालियांग, फ़िलीपींस
फ़िलीपींस प्राकृतिक आपदाओं के प्रति दुनिया के सबसे संवेदनशील देशों में से एक माना जाता है. जलवायु परिवर्तन के कारण हाल ही में आए तूफ़ानों की तीव्रता में वृद्धि देखी गई है.
राजधानी मनीला के आसपास की भूमि और जलग्रहण क्षेत्रों में हो रही वनों की कटाई से यह शहर, चरम मौसम की घटनाओं के अधिक जोखिम में है.
बिली क्रिस्टल जी. डुमालियांग और उनके नेतृत्व वाली मसुंगी जियोरिज़र्व फाउंडेशन ने एक महत्वाकांक्षी पुनर्वनीकरण पहल शुरू की है.
इसका उद्देश्य, जियोरिज़र्व के आसपास के लगभग 2,700 हैक्टेयर क्षतिग्रस्त जलग्रहण क्षेत्रों की पुनर्बहाली और पर्यावरणीय सन्तुलन स्थापित करना है.
उनका यह प्रयास न केवल पर्यावरण को संरक्षित करने, बल्कि मनीला और आसपास के क्षेत्रों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए भी महत्वपूर्ण है.
बिली क्रिस्टल का कहना है, “फ़िलीपींस के लोगों की खेती, कल्याण और दैनिक जीवन पर सूखे और भूमि क्षरण का गम्भीर प्रभाव पड़ रहा हैं. इसलिए हमें जैव विविधता का संरक्षण करने और सूखे व जलवायु परिवर्तन के प्रभाव घटाना ज़रूरी होगा.”
उन्होंने बताया कि उनकी संस्था, ज़मीन पर संरक्षण कार्रवाई, पुनर्वनीकरण और सतत भू-पर्यटन से जुड़ी प्रेरक कहानियाँ सुनाने जैसी गतिविधियों में लगी है.
एस्ट्रिड पेरेज़ा, कोस्टा रीका
एस्ट्रिड पेराज़ा का मानना है कि “अकेले काम करके सार्थक बदलाव लाना सम्भव नहीं है.”
उन्होंने, युवा जलवायु शिक्षक के तौर पर इसी भावना को वास्तविकता में बदलने के लिए कोस्टा रीका में ” Rescuing Penguins” नामक एक सहयोगात्मक बोर्ड गेम विकसित किया है.
इस खेल का उद्देश्य, खिलाड़ियों को जलवायु परिवर्तन और उसके समाधानों के बारे में शिक्षित करना है.
वह इसके अलावा इस मध्य अमेरिकी देश में मैन्ग्रोव के वनों की पुनर्बहाली की एक परियोजना में भी सक्रिय रूप से शामिल रही हैं.
इस परियोजना के तहत, पर्यावरण संरक्षण और तटीय क्षेत्रों के मरुस्थलीकरण को रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं.
उन्होंने कहा, “भूमि मरुस्थलीकरण जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए, समुदायों का एकजुट होना बेहद महत्वपूर्ण है. क्योंकि जब हम जलवायु परिवर्तन की बात करते हैं, तो अकेले काम करना कोई विकल्प नहीं है.”