ये घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब लेबनान में संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अधिकारी जिनीन हैनिस-प्लेश्शर्ट ने इसराइल की अपनी आधिकारिक यात्रा शुरू की है जिसके दौरान वो सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत करेंगी.
वो पहले ही कह चुकी हैं कि “ऐसा कोई सैन्य समाधान नहीं है जो किसी भी तरफ़ के पक्ष को अधिक सुरक्षित बनाएगा.”
ऐसी ख़बरें हैं कि लेबनान के दक्षिणी इलाक़े में सोमवार को लोगों को इसराइली सेना की तरफ़ से फ़ोन और सोशल मीडिया सन्देश मिले जिनमें उनसे, ऐसी किसी भी इमारत और गाँव से दूर रहने को कहा गया था, जो चरमपंथी संगठन हिज़बुल्लाह से सम्बन्धित हों.
ख़बरों के अनुसार, हिज़बुल्लाह ने, बीते सप्ताहान्त के दौरान, उसराइल के उत्तरी हिस्से में, लगभग 150 रॉकेट दागे, जिसे ग़ाज़ा युद्ध के दौरान संगठन की नवीनतम कार्रवाई माना जा रहा है.
हिज़बुल्लाह के हमलों के कारण, इसराइल में अभी तक लगभग 60 हज़ार लोग विस्थापित हुए हैं.
इसराइली हमलों के कारण, लेबनान के दक्षिणी इलाक़े में भी क़रीब 30 हज़ार लोगों को अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा है.
सुरक्षा परिषद ने, मध्य पूर्व क्षेत्र में तनाव को कम करने की अन्तरराष्ट्रीय पुकारों के बाद, शुक्रवार को एक आपात बैठक की थी.
ग़ौरतलब है कि शुक्रवार को ही, इसराइल ने लेबनान की राजधानी बेरूत और दक्षिणी इलाक़े में हमले किए थे.
बीते सप्ताह भी इसराइली सेनाओं और हिज़बुल्लाह के बीच सीमा पर गोलीबारी हुई थी, जबकि उससे पहले लेबनान में पेजर और अन्य वायरलैस संचार उपकरणों में विस्फोट हुए थे जिनमें हिज़बुल्लाह के सदस्यों को निशाना बनाया गया था.
इन विस्फोटों में अनेक लोग हताहत हुए थे.
बारिश से मानवीय संकट गम्भीर
फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी UNRWA ने बताया है कि इस बीच ग़ाज़ा के मध्यवर्ती इलाक़े में नुसीरात शिविर के आसपास इसराइली हमले में, आश्रय स्थल तबाह हो गए. इस बीच मीडिया ख़बरों में, इसराइल की सैन्य गतिविधियों में भी उछाल देखा गया है.
UNRWA ने यह भी ख़बर दी है कि भारी बारिश और तूफ़ानी हवाओं के कारण, तटीय इलाक़ों में अस्थाई आश्रय स्थलों में पानी भर गया है, जहाँ इसराइली सेना के कई बार दिए गए बेदख़ली आदेशों के बाद, ये अस्थाई आश्रयस्थ ल बनाए गए हैं.
इसराइल में 7 अक्टूबर (2023) को हमास के नेतृत्व में हुए आतंकवादी हमलों के बाद, ग़ाज़ा में इसराइली बमबारी में, ग़ाज़ा के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार 40 हज़ार से अधिक लोग मारे गए हैं और 19 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं, जोकि ग़ाज़ा पट्टी की लगभग 90 प्रतिशत आबादी है.