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मध्य पूर्व ‘अहम पड़ाव’ पर, इराक़ में यूएन प्रतिनिधि ने संयम बरतने का किया आग्रह

मध्य पूर्व ‘अहम पड़ाव’ पर, इराक़ में यूएन प्रतिनिधि ने संयम बरतने का किया आग्रह

हाल ही में अमेरिका द्वारा इराक़ में हवाई कार्रवाई की पृष्ठभूमि में इराक़ में यूएन मिशन (UNAMI) की प्रमुख ने बताया कि ग़ाज़ा में हिंसक टकराव और अन्य स्थानों पर सशस्त्र संघर्ष के बीच, मध्य पूर्व एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर खड़ा है, और यही बात इराक़ के लिए कही जा सकती है.

उन्होंने मंगलवार को सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों को मौजूदा हालात से अवगत कराते हुए कहा कि, “इराक़ पहले से ही जटिल चुनौतियों के आवरण में घिरा हुआ है, और यह बेहद अहम है कि ये सभी हमले रुकें.”

विशेष प्रतिनिधि प्लाशर्ट के अनुसार, इराक़ को स्थिरता के मार्ग पर आगे बढ़ाने के लिए सभी पक्षों द्वारा संयम बरता जाना ज़रूरी है.

“इराक़ में सशस्त्र पक्षों द्वारा, और जैसाकि अपेक्षित है, इराक़ के पड़ोसियों द्वारा और अन्य देशों द्वारा भी यह बहुत महत्वपूर्ण है.”

उन्होंने ध्यान दिलाया कि हमलों के ज़रिये सन्देश देने से लापरवाही के साथ तनाव भड़कता है, आम लोग हताहत होते हैं और सम्पत्ति को नुक़सान पहुँचता है. 

इराक़ की सुरक्षा को प्राथमिकता

यूएन मिशन प्रमुख ने इसके उदाहरण के रूप में 28 जनवरी को हुए हमले का उल्लेख किया, जिसमें तीन अमेरिकी सेवाकर्मी मारे गए और अनेक अन्य घायल हुए थे, जिसके बाद अमेरिका ने जवाब में हवाई कार्रवाई की.

उनके अनुसार, ईरान ने कुछ सप्ताह पहले ऐरबिल में घातक मिसाइल हमले किए थे, जबकि तुर्कीये की सेना का उत्तरी इलाक़े में सैन्य अभियान जारी हैं.

विशेष प्रतिनिधि प्लाशर्ट ने कहा कि ताक़त दर्शाने के बजाय, इराक़ को फिर से किसी वृहद टकराव में उलझने से बचाने के लिए प्रयास किए जाने होंगे.

उन्होंने आगाह किया कि अमेरिका द्वारा जवाबी कार्रवाई की वजह से हालात भड़कने की आशंका थी, जिसके मद्देनज़र, अमेरिकी और इराक़ी सैन्य अधिकारियों के बीच हालिया बातचीत स्वागतयोग्य है. 

सफलताएँ व चुनौतियाँ

विशेष प्रतिनिधि प्लाशर्ट ने इराक़ में सकारात्मक घटनाक्रम पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि दिसम्बर 2023 में, इराक़ में पिछले एक दशक में पहली बार स्थानीय चुनाव कराए गए. वर्ष 2005 के बाद यह पहली बार है जब किरकुक गवर्नरेट में मतदान हुआ.

इराक़ में यूएन मिशन प्रमुख के अनुसार, निर्वाचन प्रक्रिया मोटे तौर पर शान्तिपूर्ण माहौल में सम्पन्न हुई, जोकि अतीत में मौजूद गतिरोधों से आगे बढ़ने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों को दर्शाता है.

“हमें वास्तव में स्थानीय प्रतिनिधिक निकायों के फिर से स्थापित होने की आशा है, जोकि 2019 से निष्क्रिय रहे हैं, और ये एक बड़े क़दम की ओर इंगित करेगा.”

मगर, भावी चुनावों के लिए चुनौतियाँ बरक़रार हैं, विशेष रूप से अधिक संख्या में मतदाताओं को वोटिंग के अधिकार को इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किए जाने और सार्वजनिक स्तर पर भरोसा बहाल करने के नज़रिये से.

विस्थापन शिविर बन्द

विशेष प्रतिनिधि ने बताया कि इराक़ में मंत्रिपरिषद ने देश भर में सभी विस्थापन शिविरों को बन्द करने के लिए 30 जुलाई की तिथि निर्धारित की है. इनमें कुर्दिस्तान क्षेत्र भी है, जहाँ आइसिल (दाएश) के साथ सम्बन्ध होने के आरोप में कुछ लोगों को रखा गया है.

संयुक्त राष्ट्र ने इस निर्णय का स्वागत किया है मगर ध्यान दिलाया है कि विस्थापितों के लिए इन शिविरों के बाहर भी समाधान ढूंढे जाने होंगे, और हर एक व्यक्ति की वापसी सुरक्षित, स्वैच्छिक, गरिमामय व समावेशी होनी चाहिए.

विशेष प्रतिनिधि जिनीन हैनिस-प्लाशर्ट ने बताया कि यह सुरक्षा परिषद में उनका अन्तिम सम्बोधन हो सकता है, और मई महीने में उनका पाँच वर्षीय कार्यकाल पूरा हो रहा है.

उन्होंने भरोसा जताया कि एक दिन, दुनिया भर से लोग वास्तविक इराक़ को जान पाएंगे, जोकि विविधता व संस्कृति से समृद्ध है और जहाँ अनेक अवसर उपलब्ध हैं. 

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